*’जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम्’ विषयक सेमिनार सह पाठ्य- पुस्तक वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए 60 से अधिक छात्र- शिक्षक*
*संस्कृत रोचक, उच्च अंक तथा व्यावहारिक ज्ञान देने वाला व्यवस्थित एवं समृद्ध विषय- डा अनिल*
*भारतीय संस्कृति का मूल स्रोत देववाणी संस्कृत संस्कारित एवं उच्च जीवन शैली प्रदान करने वाली भाषा- डा फुलो*
*संस्कृत मधुर व अमृत भाषा, जिसके अध्ययन-अध्यापन से हमारे शरीर में सकारात्मक भाव का उदय होना संभव- प्रो विश्वनाथ*
*संस्कृत प्राचीन, सनातन एवं संस्कार की भाषा, जिसके अध्ययन का लक्ष्य अति व्यापक- डा दीनानाथ*
*संस्कृत में निहित प्राचीन ज्ञान- विज्ञान का वर्तमान देश- विदेश में हो रहा है बेहतर नवीन उपयोग- प्रो विद्यानाथ*
*भारतीय सभ्यता- संस्कृति की रक्षक संस्कृत की सूक्तियां को यादकर, उनके भावों को जीवन में अपनाने की जरूरत- डा सुकृति*
*पढ़ने, लिखने, सुनने व बोलने से ही गौरवान्वित करने वाली संस्कृत भाषा को सीखना होगा आसान- प्रो इन्दिरा*
*अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण सर्टिफिकेट कोर्स में नामांकित 61 छात्र- छात्राओं के बीच संस्कृत सीखाने की पांच पुस्तकों के सेट का हुआ वितरण*
सी एम कॉलेज, दरभंगा में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा स्थापित केन्द्र के अंतर्गत संचालित अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण सर्टिफिकेट कोर्स के तत्वावधान में “जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम्” विषयक सेमिनार सह पाठ्य पुस्तक वितरण समारोह का आयोजन सेमिनार हॉल में किया गया। पूर्व प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानाचार्य डॉ फुलो पासवान एवं नवनियुक्त प्रधानाचार्य डा अनिल कुमार मंडल उद्घाटन कर्ता, एमएलएसएम कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य प्रो विद्यानाथ झा, संस्कृत विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रथम डा दीनानाथ साह मुख्य वक्ता, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो इंदिरा झा अतिथि वक्ता, एमआरएम कॉलेज की संस्कृत विभागाध्यक्ष डा सुकृति विशिष्ट अतिथि, अनौपचारिक संस्कृत शिक्षिका अंशु कुमारी, पेंशन पदाधिकारी डा सुरेश पासवान, हिन्दी विभागाध्यक्ष अखिलेश कुमार राठौर, प्रधान सहायक विपिन कुमार सिंह, प्रतुल कुमार, प्रशांत कुमार झा, प्रणव नारायण, वैष्णवी कुमारी, मुकेश, आनंद, ज्योति, सरोज, काजल, गुंजन, पूजा, प्रहलाद, गोलू, अजीत, श्वेता, दीपेश, अतुल, जयशंकर, मिथुन, रजत रंजन, पुरुषोत्तम, विक्रम, दीपक, कृष्णा, आर्य शंकर, नीरज, अनामिका, शिवम, मनीष, पीयूष सहित 60 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया। अतिथियों का स्वागत पाग-चादर, फूल- माला एवं बुके आदि से किया गया।
दीप प्रज्वलित कर समारोह का उद्घाटन करते हुए डा फुलो पासवान ने कहा कि हमलोग भाग्यशाली हैं कि मिथिला हमारी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि है, जहां संस्कृत का प्रचार- प्रसार अधिक हो रहा है। प्राचीन काल में आम लोग भी संस्कृत बोलते थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल स्रोत देववाणी संस्कृत संस्कारित एवं उच्च जीवन शैली प्रदान करने वाली भाषा है। सी एम कॉलेज में संचालित अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र में नामांकन ले छात्र शिक्षण-प्रशिक्षण लेकर संस्कृत संभाषण में लाभ उठाएं।
नवनियुक्त प्रधानाचार्य डा अनिल कुमार मंडल ने कहा कि संस्कृत रोचक, कुछ अंक तथा व्यावहारिक ज्ञान देने वाला व्यवस्थित एवं समृद्ध भाषा है, जिसका व्याकरण पूर्णतया वैज्ञानिक एवं व्यापक है। संस्कृत अध्ययन से छात्रों का जीवन सफल होना सुनिश्चित है। उन्होंने कहा कि मैं महाविद्यालय में अपना पूरा समय देकर, पूरी क्षमता व तन्मयता से गति प्रदान करने का भरपूर प्रयास करूंगा।
पूर्व प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा ने कहा कि संस्कृत मधुर एवं अमृत भाषा है, जिसके अध्ययन- अध्यापन से हमारे शरीर में सकारात्मक भाव का उदय होना स्वाभाविक है। यदि संस्कृत नहीं पढे या सीखे तो हमारा जीवन सफल नहीं हो सकता। उन्होंने महाविद्यालय में नामांकित 40 संस्कृत छात्रों एवं अनौपचारिक शिक्षण के 61 छात्रों के नामांकन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
डा दीनानाथ साह ने कहा कि संस्कृत प्राचीन, सनातन एवं संस्कार की भाषा है, जिसके अध्ययन का लक्ष्य अति व्यापक है। संस्कृत परिमार्जित एवं दिव्य वाणी होने के कारण ही इसे देवभाषा कहा जाता है। संस्कृत हमारे दैनिक जीवन से जुड़ी हुई भाषा है, जिससे हमारी भावी पीढ़ी मानवीय मूल्य एवं संस्कृति युक्त होती है। संस्कार से हमारा तन तथा मन पवित्र हो जाता है।
प्रो विद्यानाथ झा ने कहा कि संस्कृत में निहित प्राचीन ज्ञान- विज्ञान का वर्तमान देश- विदेश में बेहतर नवीन उपयोग हो रहा है। उन्होंने अनेक संस्कृत सूक्तियां एवं न्यायों की विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि परिवार व समाज में संस्कृत में माहौल होने से संस्कृत सीखना आसान हो जाता है। संस्कृत में प्रकृति संरक्षण एवं मानव कल्याण की बेहतरीन बातें निहित हैं।
प्रो इंदिरा झा ने कहा कि संस्कृत मेरे रक्त में निहित है। यह सिर्फ कर्मकांड की भाषा नहीं है,बल्कि हीनभावना को दूर कर गर्वान्वित कराने वाली भाषा है। संस्कृत के प्रचार- प्रसार में सी एम कॉलेज का प्रयास सराहनीय एवं अनुकरणीय है।
डा सुकृति ने कहा कि भारतीय सभ्यता- संस्कृति की रक्षक संस्कृत की सूक्तियां को यादकर उनके भावों को जीवन में अपनाने की जरूरत है। उन्होंने जर्मनी, पोलैंड व इंग्लैंड आदि विदेशों में भी संस्कृत के पठन-पाठन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए यहां के छात्रों का आह्वान किया कि वे भी संस्कृत पढ़ने में पिक रुचि लें तथा इस क्षेत्र में उपलब्ध व्यापक रोजी- रोजगार भी प्राप्त करें।
इस अवसर पर अनौपचारिक कोर्स में नामांकित छात्र-छात्राओं के बीच केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा तैयार वर्णमाला, वाक्यविस्तार, वाक्यव्यवहार, संभाषण तथा परिशिष्ट नामक संस्कृत व्याकरण तथा संभाषण सिखाने वाली 5 पुस्तकों का वितरण किया गया।
आगत अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश संस्कृत विभागाध्यक्ष एवं अनौपचारिक शिक्षा केन्द्र के समन्वयक डा आर एन चौरसिया ने किया, जबकि कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत- शिक्षिका अंशु कुमारी ने किया।