दरभंगा, दिनांक 25 जुलाई को स्नातकोत्तर जंतुविज्ञान विभाग में संशोधित पी एच डी डिग्री अध्यादेश एवं अधिनियम पर एक दिवसीय शैक्षणिक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें विषय संबंधित सभी शोध पर्यवेक्षक तथा उनके शोधार्थी शामिल हुए. अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में विषय वस्तु का विस्तारपूर्वक विवरण देते हुए विज्ञानं संकायाध्यक्ष सह विभागाध्यक्ष प्रोफ शिशिर कुमार वर्मा ने बताया पी एच डी विश्वविद्यालय स्तरीय सर्वोच्च उपाधि है अतः पर्यवेक्षक एवं शोधार्थियों के लिए संशोधित नियमों की समुचित जानकारी एवं निष्ठापूर्वक पालन अत्यावश्यक है. नए नियमानुसार हर शोधार्थी को प्रत्येक छह महीने के बाद अपना शोधकार्य प्रगति प्रतिवेदन देना अनिवार्य होगया है.

विभाग के वरीय प्राचार्य प्रोफ एम् नेहाल ने इस कार्यशाला की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पी एच डी वस्तुतः एक शैक्षणिक कार्यक्रम है, अतः शोध छात्रों को विषय शीर्षक और उसके उद्देश्यों से भली भांति परिचित होना चाहिए. प्रोफ अजय नाथ झा ने समयबद्धता एवं प्रासंगिकता को शोधकार्य का अभिन्न अंग बताया.

कार्यक्रम की उपयोगिता और जीवंतता का सबसे मुख्य भाग विभिन्न पर्यवेक्षकों तथा शोधार्थियों द्वारा पूछे गए शंका समाधान सत्र के रूप में रहा जिसमे सभी शिक्षकों ने संसाधन पुरुष के रूप में भागीदारी की. दिन भर चले इस कार्यक्रम में सी एम् साइंस कालेज की डॉ आरती कुमारी तथा डॉ अग्रहरि , मिल्लत कॉलेज की डॉ सोमा रानी कोले, आर के कॉलेज मधुबनी के डॉ सुशोभन बनिक, समस्तीपुर कॉलेज के डॉ एस एम् ए रज़ी एवं डॉ अतनु बनर्जी और जी डी कॉलेज बेगूसरआय के डॉ उत्तम कुमार शामिल रहे. कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक डॉ पारुल बनर्जी द्वारा किया गया.