*ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय शिक्षक संघ तथा बीएमए कॉलेज, बहेड़ी के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित*
*संस्कृति एवं संस्कार की वाहक महिलाओं का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में रहा है महत्वपूर्ण भूमिका- डा अजीत चौधरी*
*भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं का योगदान प्रशंसनीय व अनुशंधनीय -डा चौरसिया*
*समस्त शक्ति संपन्न महिलाओं के बिना भारत की आजादी की कल्पना थी असंभव- डा शंभू*
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय शैक्षिक संघ तथा बीएमए कॉलेज, बहेड़ी के संयुक्त तत्वावधान में “भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं का योगदान” विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन महाविद्यालय परिसर में प्रधानाचार्य डा शंभू कुमार यादव की अध्यक्षता में किया गया।
जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के बिहार प्रांतीय महामंत्री डा अजीत कुमार चौधरी, मुख्य वक्ता के रूप में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय शैक्षिक संघ के महामंत्री डा आर एन चौरसिया, अध्यक्ष प्रो उमेश कुमार,डा आदित्य नारायण चौधरी, डा सुबोध कुमार, डा महेश कुमार, डा सुमित कुमार दास, डा शमशाद अहमद, डा सुजीत कुमार द्विवेदी, डा विजय प्रताप सिंह, डा नरेश कुमार, डा सुजीत कुमार, डा अमित कुमार, डा मनोज कुमार साह, डा राजेश कुमार दास, डा सुभाष चंद्र सिंह, डा राजेश कुमार चौधरी, डा मो मंजर हुसैन, पूनम कुमारी सहित एक सौ से अधिक शिक्षक- शिक्षकेतर कर्मी एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया।
भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष वें मनाए जा रहे स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित सेमिनार में अपने संबोधन में डा अजीत कुमार चौधरी ने कहा कि यदि महाविद्यालय के सभी लोग सकारात्मक हो तो महाविद्यालय का विकास तीव्र गति से होना सुनिश्चित है। शैक्षिक संघ छात्र हित में शिक्षक, शिक्षक हित में समाज तथा समाज हित में शिक्षा को सुदृढ़ करता है।
उन्होंने संस्कृति एवं संस्कार की वाहिका महिलाओं का भारतीय स्वतंत्र आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए नारी को शालीनता, दया व परोपकार का प्रतीक बताया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महिलाओं के कारण ही खादी वस्त्र एवं चरखा आंदोलन सहित अन्य आंदोलन भी सफल हुआ और भारत को आजादी प्राप्त हुई।
डा.चौरसिया ने कहा कि भारतीय स्वतंत्र आंदोलन में महिलाओं का योगदान प्रशंसनीय एवं अनुसंधानीय है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में लक्ष्मीबाई, कस्तूरबा गांधी, बेगम हजरत महल, एनी बेसेंट, सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, सावित्रीबाई फुले, लक्ष्मी सहगल व मीरा बेन आदि के अनुदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की विशेष भूमिका को रेखांकित करते हुए उनपर अध्ययन- अध्यापन एवं शोध कार्य की आवश्यकता पर बल दिया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में महाविद्यालय के पूर्व छात्र प्रदीप कुमार चौधरी ने कहा कि महिलाओं का योगदान सभी क्षेत्र में बेहतरीन रहा है। आजाद हिंद फौज में भी लक्ष्मी सहगल का अविस्मरणीय सहयोग रहा है। ब्रिटिश महिला होते हुए भी एनी बेसेंट का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सराहनीय योगदान रहा है। भारतीय आजादी में महिलाओं ने अपना सर्वस्व निछावर कर हमें आजादी दिलाने में काफी सहयोग किया।
प्रधानाचार्य ताश शंभू कुमार यादव ने कहा कि समस्त शक्ति संपन्न महिला यदि भारत की आजादी कल्पना संभव थी। उन्होंने सेमिनार के विषय को विस्तृत एवं महत्वपूर्ण बताते हुये कहा कि शिक्षकों का दायित्व है कि वे छात्रों को पढ़ाई के लिए प्रेरित एवं उत्साहित करते रहें।
विषय प्रवेश कराते हुए संघ के विश्वविद्यालय मंत्री रविंद्र कुमार चौधरी ने प्राचीन काल से ही महिलाओं के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि आजादी दिलाने में महिलाओं का योगदान बढ़-चढ़कर रहा है।
आगत अतिथियों का स्वागत पाग- चादर, फूल-माला एवं स्मृति चिह्श से किया गया। स्वस्तिवाचन आनंद कुमार एवं विद्यासागर ने किया, जबकि स्वागत गान साक्षी एवं गुंजा कुमारी ने प्रस्तुत किया।
स्वागत एवं मंच संचालन सेमिनार के संयोजक प्रो उमेश कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा विजय कुमार सिंह ने किया।