दिनांक 10 जुलाई 2022 को मिथिला स्टूडेंट यूनियन की उच्चस्तरीय पदाधिकारी की बैठक आयोजित की गई । इस बैठक में मिथिला राज्य हेतु आगामी 21 अगस्त को आहूत संसद घेराव की तैयारी को मजबूत किया गया ।
इस बैठक में वक्ताओं ने मिथिला राज्य के सम्बंध में कहा कि :पहली बात तो हम बिहारी नहीं हैं, हम मैथिल हैं और यही हमारी पहचान है.हमारे मिथिला को जबरदस्ती बिहार में मिला दिया गया है. और बिहार में हमारे साथ भेदभाव किया जाता है. यहां तक कि बिहार गीत में भी मैथिली और मिथिला की उपेक्षा की गई है. पूरे बिहार गीत में ना तो कहीं कवि विद्यापती है ना हीं मां जानकी.
विकास के नाम पर भी मिथिला की उपेक्षा ही की गई है . आज कोई भी कारखाना, यूनिवर्सिटी खोलने की मांग होती है तो उसे मगध एरिया में धकेल दिया जाता है. आईआईटी की बात हो या सेंट्रल यूनिवर्सिटी की. मिथिला सदैव से उपेक्षित रहा है और यही सबसे बड़ी वजह है जो अलग मिथिला राज्य के आंदोलन को बढ़ावा दे रहा है.
मिथिला की अपनी अलग संस्कृति और एक अलग भाषा है. मिथिला हमेशा से एक अलग राज्य रहा है. यही वह भूमि है जिसने पूरे विश्व को वैशाली के जरिए डेमोक्रेसी का पाठ पढ़ाया. हम चाहते हैं कि मिथिला एक अलग स्टेट बने, जिससे उसका उचित विकास हो सके . सभी धर्म, अभी जाति और अभी जिले के लोग एक साथ आ चुके हैं. बाढ़ मिथिला की सबसे बड़ी समस्या है. आजादी से पहले ही ‘लोर्ड वेवेल’ ने इसके लिए खास प्रोजेक्ट तैयार किया था.
कोसी के बाराह इलाके में हाई डैम बनाना था. इससे मिथिलांचल बाढ़ की तबाही से बचता. लेकिन आजादी के बाद बिहार सरकार ने बहाने बनाकर इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया. अगर इन प्रोजेक्ट्स पर ढंग से काम हो और कोसी नदी पर हाइड्रो पॉवर प्लांट्स लगाएं जाएं तो इससे इतनी एनर्जी जेनरेट होगी। जिससे कि बिहार और मिथिला ही नहीं पूरे भारत को जगमगाया जा सकता है. मिथिला राज्य को लेकर हमने दरभंगा में भी नितीश कुमार का घेराव किया था. हम युवा हैं और इतिहास गवाह है कि जीत हमेशा युवाओं की ही हुई है.”
ज्ञात हो कि दरभंगा, तिरहुत, कोशी, पूर्णियां, मुंगेर, भागलपुर और झारखंड के दुमका प्रमंडल को मिलाकर अलग मिथिला राज्य के गठन की मांग की गई है।