कुशीनगर।कुछ प्रेम कहानियां ऐसी होती है जिसे सुनकर यही लगता है कि सच्चे प्यार में बंदिशें और सरहदें मंजूर नहीं होती। शायद इसलिए ही कहा जाता है कि प्यार अंधा होता है। इंसान प्यार में न रूप-रंग देखता है, न जाति धर्म देखता और न‌ ही उम्र और कद देखता है।ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में देखने को मिला है।

हिन्दुस्तानी दूल्हा और रशियन दुल्हन इनके सात फेरों के साक्षी बने चार देशों के बाराती। कुशीनगर के मंगलपुर गांव में एक ऐसा मंगल कार्य हुआ।जिसकी चर्चा चारों ओर है।देशी छोरे पर एक रशियन लड़की का दिल आ गया, बस अपने प्यार को पाने की चाहत में लड़की अपना देश छोड़ कुशीनगर आ पहुंची और हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली

इस शादी की चर्चा खूब हो रही है,क्योंकि इसमें न केवल सरहदों की दीवारें गिर गईं, बल्कि यह साबित हो गया कि अगर प्यार सच्चा है तो जाति-मजहब और सरहदीं पहरों का कोई मतलब नहीं।रूस की रहने वालीं जारा लाल जोड़े में पिया मिलन की आस लिए तीन देशों की सरहद लांघ आईं।

देशी छोरे पर आया रशियन लड़की का दिल,कुशीनगर में लिए सात फेरे।

कुशीनगर के रहने वाले डॉ. दीपक सिंह से शादी रचाने जब दुल्हन जारा पहुंचीं तो हर कोई हैरान रह गया,क्योंकि जिले में यह अपने तरह का पहला मामला था।जब कोई सरहद पार की दुल्हन खुद हिन्दुस्तानी बनने कई देशों की दीवारें लांघ आई।

*हिन्दुस्तानी दूल्हा और रशियन दुल्हन, सात फेरों के साक्षी बने चार देशों के बाराती*

कुशीनगर के मंगलपुर गांव के रहने वाले दीपक सिंह मेडिकल की पढ़ाई के लिए चार साल पहले ऑस्ट्रिया ग‌ए थे।जहां जारा जो अब डॉ. जया सिंह बन चुकी हैं। उनसे आंखें चार हुईं। दोनों में नजदीकियां बढ़ीं और फिर मोहब्बत के आगे सरहदों की दीवारें छोटी पड़ गईं।ऑस्ट्रिया के एलेनिया स्टेट की रहने वालीं जारा ने जब सबकुछ छोड़ दीपक के साथ जाना तय किया तो फिर दीपक ने भी आगे बढ़कर जारा का हाथ थाम लिया।खास बात यह रही कि दूल्हा-दुल्हन तो हिन्दुस्तानी और रशियन रहे, मगर दुल्हन का साथ देने पहुंचे इजरायल के रहने वाले उनके दोस्त डेनियल अल्फांसो, जो हिन्दुस्तानी वेडिंग के मुरीद हो गए।