दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्वर्ण जयंती समापन समारोह का आयोजन दिनांक 05.08.2022 (शुक्रवार) को जुबली हॉल में हुआ। समापन समारोह की विधिवत् शुरुआत शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, नगर विधायक संजय सरावगी, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग,बिहार दीपक कुमार सिंह, कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर की। कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों का मिथिला पेंटिंग, पुष्पगुच्छ, पाग और चादर से सम्मानित किया गया।
इसके बाद अतिथियों ने स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह पर आधारित स्वर्ण जयंती द्वार पट्टिका का अनावरण और स्मारिका का विमोचन भी किया। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा की स्थापना में अहम योगदान निभाने वाले 11 व्यक्तियों को लाइफ टाइम एचीवमेंट सम्मान से सम्मानित किया गया।
स्वर्ण जयंती वर्ष समापन समारोह को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि मिथिला के कण-कण में ज्ञान- बुद्धि समायी हुई है। मिथिला में प्राचीन काल से ही ज्ञान और अध्यात्म का बोलबाला रहा है। मिथिला शब्द से ही बौद्धिक खुशी नजर आती है। भारत के जीवन- दर्शन को सबसे ज्यादा प्रसारित और प्रचारित करने का कार्य मिथिलावासियों ने ही किया है। मिथिला की हृदय स्थली में स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य ही उपनिषद् से है, जिसका मूल मंत्र ही है शिक्षा। शिक्षा वही है जो आत्मा को आनंदित करें। मिथिला विश्वविद्यालय इस ध्येय वाक्य को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है। शिक्षित और साक्षर होने में फर्क होता है। आज शिक्षा का पैमाना धर्नोपार्जन हो गया है, उसमें बदलाव करने की जरूरत है। शिक्षा का मूल समाजसेवा होनी चाहिए। आजकल देखा जा रहा है कि समाज में शिक्षित व्यक्ति ही एकाकी पड़ जाते हैं। शिक्षित व्यक्ति कमियों को निकालने के बजाय बेहतरी पर कार्य करें तो समाज के लिए काफी लाभकारी साबित होगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुझे स्वर्ण जयंती वर्ष समापन समारोह में शामिल होकर काफी खुशी हो रही है। मुझे इस कार्यक्रम की 1 वर्ष पूर्व कोरोना काल में ऑनलाइन शुरुआत और आज सदेह उपस्थित होकर समापन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मिथिला विश्वविद्यालय मेरी शिक्षा की भी जननी है। इस विवि ने ही मुझे आज इस काबिल बनाया है कि मैं शिक्षा मंत्री तक पहुंचा गया हूं। मैं विश्वविद्यालय के स्थापना काल का छात्र रहा हूं। ललित बाबू को मुझे देखने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं अपनी ओर से मिथिला विवि के स्थापना में अहम योगदान निभाने वाले सभी व्यक्तियों को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। मजाकिया लहगे में मंत्री ने कहा कि मैं भी विशुद्ध मिथिला क्षेत्र का हूं। अंगिका और वज्जिका भाषा बोलने वाले भी मैथिल ही हैं।
मंत्री ने मिथिला विश्वविद्यालय की तारीफ करते हुए कहा कि मिथिला विवि हर क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहा है। यहां पर सफलतापूर्वक अतिथि शिक्षिकों की बहाली हुई है। मिथिला विवि लगातार दो वर्षों से एनआईआरएफ रैकिंग प्राप्त करने के लिए भी कोशिश कर रहा है। मुझे पूरा उम्मीद है कि विवि जल्द ही इसमें भी सफलता प्राप्त करेगी। सरकार की पहल का ही असर है कि आज सकल नामांकन अनुपात 12 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया है। जल्द ही राष्ट्रीय औसत के बराबर हो जायेगा। बच्चों की पढ़ाई मेरी पहली प्राथमिकता है। कक्षाएं और परीक्षायें दोनों ही महत्वपूर्ण है, उतना भी समय पर रिजल्ट भी देना जरूरी है। इसके लिए मैंने राज्य भर के सभी कुलपतियों के साथ बैठक करके सत्र नियमित करने का निर्देश भी दिया हूं। सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जायेगी, जिस कॉलेजों व विभागों में सहायक प्राध्यापकों की कमी है, वहां पर अतिथि प्राध्यापकों की बहाली करने के लिए सरकार की ओर से निर्देश दिया गया है। शिक्षा विभाग भी एप के माध्यम से वर्ग उपलब्ध कराते हैं। मुझे उम्मीद है कि शिक्षा की सूरत जल्द ही बदल जायेगी।
बिहार सरकार में श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि मुझे इस कार्यक्रम में आकर गौरव महसूस हो रहा है। मैं मिथिला विश्वविद्यालय का अभी भी शौधार्थी हूं। स्वर्ण जयंती वर्ष पर उपलब्धियों के बारे में चर्चा करने के साथ आत्ममंथन करने की भी जरूरत है। शिक्षा का भाव सेवा करना होना चाहिए। मैं लाइफ टाइम एचीवमेंट प्राप्त करने वाले सभी लोगों को अपनी ओर से बधाई देता हूं। शिक्षा मंत्री से मिथिला विश्वविद्यालय के लिए एक हजार लोगों की बैठने वाले सभागार बनाने की भी मांग की।
नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि आज मिथिला विवि से पढ़ा हुआ छात्र देश-दुनिया में मिथिला का नाम रौशन कर रहे हैं। मिथिला विवि देश के टॉप 100 विश्वविद्यालयों में भी स्थान बना चुका है। लगातार तीन बार से सीईट-बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा का सफल आयोजन कर रहा है। साथ ही उन्होंने शिक्षा मंत्री से सी एम लॉ कॉलेज और दूरस्थ शिक्षा निदेशालय को चालू चलाने की मांग की। अंत में सभी का आभार प्रकट किया।
विधान पार्षद हरि सहनी ने कहा कि ललित बाबू के नाम पर मिथिला विवि का नाम होना ही अपने आप में बड़ी बात है। मिथिला विवि का नाम इसी प्रकार आगे बढ़ता रहे, मैं कामना करता हूं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद ने मिथिला विवि की स्थापना में योगदान देने वाले सभी व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मिथिला विवि के छात्र इसी प्रकार नाम करते रहे, इसकी मैं शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने इस दौरान अपने पिता शकूर अहमद को याद करते हुए कहा कि आज मैं जो कुछ हूं, उन्हीं की देन है। मिथिला विवि ने जो उनको लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया है, इसको लेकर मैं काफी गौरवांतित महसूस कर रहा हूं।
अलीनगर- विधायक मिश्रीलाल यादव ने कहा कि सरकार लगातार शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रही है। मिथिला विवि में भी शिक्षा को लेकर काफी सराहनीय कार्य किये जा रहे हैं। मैं शिक्षा मंत्री से दरभंगा जिला को बिहार की उप राजधानी बनाने की मांग करता हूं।
बेनीपुर विधायक प्रो विनय कुमार चौधरी ने कहा कि सरकार और शिक्षा मंत्री लगातार शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इसका परिणाम है कि 52 वर्षों से बीएमए कॉलेज, बेहड़ी में केवल एक ही कला संकाय की पढ़ाई हो रही थी, पर अब जाकर शिक्षा मंत्री की पहल पर वहां विज्ञान संकाय की पढ़ाई भी शुरू हुई है। जल्द ही वाणिज्य संकाय की भी पढ़ाई शुरू हो जायेगी। मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना से डब्ल्यूआईटी को जोड़ने के लिए शिक्षा मंत्री का धन्यवाद ज्ञापित किया।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए ये खुशी का दिन है कि शिक्षा मंत्री ने ही स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह की शुरुआत और समापन किये हैं। उन्होंने मिथिला विवि का इतिहास की जानकारी देते हुए कहा कि मिथिला विवि के 50 वर्षों का सफर काफी गौरवपूर्ण है। यहां के बच्चे देश-दुनिया के हर क्षेत्र में नई उच्चाइयों को छू रहे हैं। किसी भी संस्था की कोई उम्र नहीं होती है। गतिशिलता हमेशा बनी रहनी चाहिए। यहां के छात्र-छात्राएं अपनी क्षमता का उपयोग करके समृद्ध भारत बनाने में अपना अहम योगदान दे रहे हैं और दे सकते हैं।
साथ ही स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह मुझे इस बात के लिए भी सचैत करता है कि हमें हमेशा आत्मचिंतन करते रहना चाहिए। मिथिला विवि ने हमेशा परिवर्तन को स्वीकार किया है। इसका परिणाम है कि मिथिला विवि हमेशा अपने पूरे दायित्वों को निभाने में सफल रहा है। मिथिला विवि सबको अच्छी शिक्षा और कुशल भारत के ध्येय को सफल करने में अपनी अहम भूमिका निभाता रहेगा।
प्रति-कुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय लगातार ज्ञान के आदान-प्रदान का स्थल है। यह मिथिला विवि के लिए काफी खुशी का पल है कि स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह के साथ ललित बाबू के जन्म शताब्दी वर्ष और देश के आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष भी है। विश्वविद्यालय ने सभी कॉलेजों और विभागों में वर्ष भर कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं का आयोजन कर स्वर्ण जयंती वर्ष मनाया। सभी के सहयोग से ही मिथिला विवि का लगातार विकास हो रहा है।
अंत में कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने सभी सम्मानित अतिथियों का कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आभार प्रकट किया। साथ ही कहा कि शिक्षा मंत्री मिथिला विवि के 50 वर्षों से सफर के साथी है। इससे विश्वविद्यालय परिवार का सर गर्व से उच्चा हो गया है, उनको अपने बीच पाकर। शिक्षा मंत्री के आलेख के माध्यम से हम सभी उनके विचार से अवगत होते रहते हैं। मिथिला विवि लगातार बिहार की तस्वीर और तकदीर बदलने में अपना योगदान दे रहा है।
मंच का संचालन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. अशोक कुमार मेहता ने किया। स्वर्ण जंयती वर्ष समापन समारोह में पूर्व विधान पार्षद डॉ. दिलीप कुमार चौधरी, डॉ. विनोद कुमार चौधरी, अर्जुन सहनी, पूर्व विधायक हरखू झा, सिंडिकेट सदस्य डॉ. बैद्यनाथ चौधरी, साथ ही लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के परिजन, सभी सिंडिकेट, सीनेट, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।