ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की स्थापना के स्वर्ण जयंती के अवसर पर आज जुबली हॉल में “उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार” विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा, विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षा विभाग, बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, कुलाधिपति सचिवालय के संयुक्त सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता, कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद, प्रो एन के अग्रवाल, डॉ गौरव सिक्का, आइक्यूएसी के निदेशक डा जिया हैदर आदि ने अपना संबोधन दिया। वहीं कार्यशाला में संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, पदाधिकारी, प्रधानाचार्य एवं आइक्यूएसी के कोऑर्डिनेटर तथा विभिन्न महाविद्यालयों के सहायक प्राध्यापक सहित 350 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।
अपने संबोधन में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि इस कार्यशाला का खास उद्देश है। इसके माध्यम से हम जानना चाहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र स्थित महाविद्यालयों में शिक्षा की क्या स्थिति है, क्या वहां शिक्षक व छात्र नियमित आते हैं? यदि हम इसे न देखेंगे और न मूल्यांकन करेंगे तो हमारा सारा प्रयास बेकार हो जाएगा। सरकार कॉलेजों की कठिनाइयों को जानकर उसे दूर करना चाहती है, ताकि शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सके। हम सबका एक ही लक्ष्य है कि हमारी शिक्षण संस्थाएं न केवल सुचारू रूप से चले, बल्कि बेहतरीन कार्य भी करें।
शिक्षा मंत्री ने स्वीकार किया कि यद्यपि भवनों और शिक्षकों की कमी है, पर उसे सरकार दूर करने का पूरा प्रयास कर रही है। इसी क्रम में शिक्षकों की नियमित नियुक्ति में हो रही देरी के कारण महाविद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। उन्होंने मिथिला विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्य सरकार की नीतियों को लागू करने में मिथिला विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की समाज में बड़ी भूमिका है तथा उनका स्थान भी ऊंचा होता है। अतः वे अपनी दक्षता व क्षमता को शत प्रतिशत छात्रहित में लगाएं। हम बातचीत कर बेहतर माहौल बनाने आए हैं, क्योंकि अच्छे माहौल में ही शिक्षक बेहतर कार्य कर सकते हैं। आज दुःखद स्थिति यह है कि कई संस्थाएं अपने को यूजीसी में पंजीकृत नहीं करा पाए हैं। हमें अपने उपलब्ध संसाधनों का पूरा उपयोग करना है।
उन्होंने कहा कि मिथिला ऋषि-मुनियों तथा वेद रचयताओं की भूमि रही है। हमारे शिक्षक योग्य एवं दक्ष हैं। बस ध्यान लगाने की जरूरत है। जिस दिन हमलोग ऐसा कर लेंगे, उस दिन यहां के छात्र देश- विदेश में और ऊंचा स्थान प्राप्त करेंगे। पढ़ने- पढ़ाने के लिए जिज्ञासा होनी चाहिए। हमें छात्रों में जानने- सीखने की प्रवृत्ति उत्पन्न करना होगा। मंत्री ने कहा कि यदि छात्र परेशान होंगे तो सरकार और समाज दोनों परेशान हो जाएंगे। अतः हम सब मिलकर बेहतर काम करें और अच्छा माहौल बनाएं, ताकि उच्च शिक्षा को ऊंचाई पर ले जाया जा सके।
अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह ने अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि नैक का मूल्यांकन 5 वर्षों के लिए होता है जो शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता की जांच- परख करता है। उन्हें नैक में अच्छे ग्रेड पाने से तरीकों की चर्चा करते हुए सभी प्रधानाचार्यों एवं आईक्यूएसी कोऑर्डिनेटरों से नैक मूल्यांकन की अनिवार्यता को विस्तार से बताया और नैक मूल्यांकन हेतु शीघ्रताशीघ्र गंभीर प्रयास करने का आह्वान किया।
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि कार्यशाला में शिक्षकों के अच्छे फीडबैक आए हैं। कोई भी व्यवस्था न तो रातो- रात खराब होती है और न ही सुधरती है, बल्कि व्यवस्था सुधार हेतु हमें लगातार प्रयास करना होगा। उन्होंने शोध कार्य को बढ़ावा देने हेतु योग्य शिक्षकों की टीम बनाने का सुझाव देते हुए कहा कि शोध हेतु फैलोशिप के लिए राज्य सरकार स्तर पर विचार किया जाएगा। उन्होंने शिक्षकेतर कर्मियों की भी कार्यशाला आयोजित करने, परीक्षा भवन बनाने तथा शिक्षकों के बायोमेट्रिक उपस्थिति 15 अगस्त से तथा छात्रों की जनवरी से लागू करने की बात कही।
राज्यपाल सचिवालय के संयुक्त सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता ने उच्च शिक्षा को गति प्रदान करने के लिए अनेक सुझाव देते हुए शिक्षा मंत्री के सुझाव पर अमल करने पर बल दिया। उन्होंने विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षकों से आए सुझाव पर सहमति देते हुए अपनी ओर से उन कमियों को पूरा करने का आश्वासन दिया। संयुक्त सचिव ने मिथिला विश्वविद्यालय के सत्र नियमित होने की भूरी- भूरी प्रशंसा की।
प्रति कुलपति प्रो डोली सिन्हा ने पीपीटी के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि यह छात्र केंद्रित है, जिसका आउटकम बेहतर होगा। छात्र एक साथ विज्ञान और कला की डिग्रियां ले सकेंगे। किसी भी प्रोग्राम के बीच में किन्हीं कारणों से छात्र यदि छोड़कर जाते हैं तो फिर वापस आकर उस कोर्स को वे पूरा कर सकते हैं। प्रति कुलपति ने शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने पर जोर दिया, ताकि छात्र केवल रोजगार युक्त ही न हों, बल्कि रोजगार दूसरों को भी प्रदान कर सकें।
कुलसचिव प्रोफ़ेसर मुश्ताक अहमद ने कहा कि मिथिला विश्वविद्यालय बिहार का पहला विश्वविद्यालय है, जहां के सभी कॉलेजों के सभी विभागों में शिक्षक उपलब्ध हैं। यदि कहीं भी किसी विभाग में शिक्षक न हो तो प्रधानाचार्य विश्वविद्यालय को सूचित करेंगे। कुलसचिव ने सभी प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों से कहा कि वे ससमय महाविद्यालयों में उपस्थित रहकर पूरी अवधि तक कार्य करें, क्योंकि निर्देशानुसार निरीक्षण किए जाएंगे और बिना किसी कारण के अनुपस्थित शिक्षक- शिक्षकेत्तर कर्मियों पर कार्रवाई की जायेगी।
प्रोफेसर एन के अग्रवाल ने पीपीटी के माध्यम से नैक की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इसकी स्थापना 1994 में हुई थी, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। नैक में वही संस्थान जा सकते हैं जो कम से कम 6 वर्षों के शैक्षणिक काल पूरा किए हों। उससे कम वाले पैक में जा सकते हैं। नैक मूल्यांकन के कई मापदंड हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त किया कि एनआईआरएफ में बिहार से सिर्फ मिथिला विश्वविद्यालय तथा सी एम कॉलेज ने ही भाग लिया है। वहीं गौरव सिक्का ने पैक का विस्तार से जानकारी देते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया।
अतिथियों का स्वागत पाग, चादर, मिथिला पेंटिंग एवं पुष्पगुच्छ से किया गया। डा दिवाकर झा के संचालन में आयोजित कार्यशाला में धन्यवाद ज्ञापन आईक्यूएसी के निदेशक डा जिया हैदर ने किया। कार्यशाला का समापन सामूहिक राष्ट्रगान के गायन से हुआ।