– 27,28 अगस्त को राज्यस्तरीय टीम करेगी मूल्यांकन।

-भौतिक निरीक्षण कर 8 इंडीकेटरों की होती है जांच।

-सुविधाओं की ब्रांडिंग के लिए किया जाता है मूल्यांकन।

-लक्ष्य योजना के तहत पहले भी की जा चुकी है ग्रेडिंग

मधुबनी/ 8, सदर अस्पताल के प्रसव गृह व मातृत्व ओटी के लक्ष्य प्रमाणीकरण की कवायद शुरू की गई है। विदित हो कि हर 6 माह पर प्रमाणीकरण किया जाता है। , 2020 में भी सदर अस्पताल के प्रसव गृह तथा मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर का लक्ष्य प्रमाणीकरण किया गया था। जिसमें सदर अस्पताल का प्रसव गृह लक्ष्य प्रमाणित हो गया था, वहीं मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर कुछ अंकों से पिछड़ गया था। ओटी की खामियों को पूरा किया जा रहा है। इसके लिए सदर अस्पताल स्थित ओटी का विस्तार किया गया है। ताकि ओटी भी लक्ष्य सर्टिफाइड हो जाए। वहीं ओटी की एएनएम, टेक्निशियन, स्टाफ नर्स स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया है।

मालूम हो कि लक्ष्य सर्टिफिकेशन के लिए प्रति वर्ष अस्पताल का मूल्यांकन किया जाता है। वर्ष 2021 में कोविड के कारण मूल्यांकन नहीं किया जा सका। वहीं वर्ष 2022 में फिर से कवायद शुरू कर दी गई है। जिसके लिए सोमवार को क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमुल हौदा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने सदर अस्पताल का निरीक्षण किया। टीम में क्षेत्रीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी ख़ातिबुर रहमान आरिफ, क्षेत्रीयअकाउंट मैनेजर विकास रौशन सम्मिलित थे।

मालूम हो कि लक्ष्य प्रमाणीकरण को लेकर 27, व 28 अगस्त को राज्य स्तरीय टीम सदर अस्पताल का मूल्यांकन करेगी। आरपीएम ने बताया प्रसव कक्ष तथा ओटी की गुणवत्ता को इंप्रूव करने के लिए बेहतर कार्य किया गया है। इनफेक्शन कंट्रोल में सुधार हुआ है। इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया जा रहा है। वहीं कुछ खामियों को दुरुस्त करने का निर्देश दिया गया है।

इन वार्ड का किया निरीक्षण :

इस क्रम में आरपीएम ने एमसीएच, प्रसव वार्ड, एसएनसीयू, ओपीडी, एआरटी, दवा भंडार सहित अन्य वार्डों की गहनता से निरीक्षण किया तथा उपस्थित कर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। प्रसव कक्ष में निरीक्षण के दौरान नियमित साफ सफाई करने का निर्देश दिया। , प्रसव कक्ष में ट्राइज रूम में गर्भवती की प्रसव कराने की पद्धति के बारे में जानकारी प्रसव की इंचार्ज माधुरी कुमारी से ली। हर प्रसव के बाद टेबल साफ करने का निर्देश दिया। साथ ही उपस्थित 38 पंजी को अद्यतन करने का भी निर्देश दिया। आरपीएम ने बताया सदर अस्पताल के एसएनसीयू को मॉडल एसएनसीयू के रूप में परिणत किया जाएगा।

भौतिक निरीक्षण कर 8 इंडीकेटरों की होती हैं जांच:

केयर इंडिया के डीटीएल महेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा लक्ष्य प्रमाणीकरण के 8 मानकों (इंडीकेटरों ) जिसमें मुख्य रूप से सेवा प्रावधान (सर्विस प्रोविजन), रोगी का अधिकार, इनयूट्रस, सपोर्ट सर्विसेज, क्लिनिकल सर्विसेज, इंफेक्शन कंट्रोल , क्वालिटी मैनेजमेंट, आउटकम शामिल हैं । इन सभी आठों इंडीकेटरों के कुल 362 उपमानकों पर अस्पताल के प्रसव कक्ष एवं शल्य कक्ष का लगभग 6 से 9 महीनों तक लगातार क्वालिटी सर्किल (संस्थान स्तर पर), ज़िला कोचिंग दल (ज़िला स्तर पर) इसके अलावा क्षेत्रीय कोचिंग दल द्वारा लगातार पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण कर आवश्यकता अनुसार सभी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है।

प्रशिक्षण के बाद अस्पताल का भौतिक निरीक्षण किया जाता है। यह देखा जाता है कि प्रशिक्षण लेने के बाद स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा कार्य किया जा रहा है या नहीं। साथ ही उपरोक्त आठों इंडीकेटरों के अनुरूप पंजी का संधारण व नियमानुसार समुचित ढंग से रखा जाता है या नहीं, इससे संबंधित निरीक्षण किया जाता है।

सुविधाओं की ब्रांडिंग के लिए किया जाता है मूल्यांकन:

प्रसव कक्ष में देखभाल सुविधाओं के मूल्यांकन के बाद प्रसूति कक्ष और मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर में गुणवत्ता सुधार का मूल्यांकन राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) के माध्यम से किया जाना है। उसके बाद ही एनक्यूएएस पर 70% अंक प्राप्त करने वाली प्रत्येक सुविधाओं को लक्ष्य प्रमाणित सुविधा के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। इसके अलावा एनक्यूएएस स्कोर के अनुसार लक्ष्य प्रमाणित सुविधाओं की ब्रांडिंग की जाएगी। 70 से 80 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को सिल्वर की श्रेणी में रखा जाता है। जबकि 81 से 90 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को गोल्ड की श्रेणी में रखा जाता है। वहीं 91 से 100 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को प्लेटिनम की श्रेणी में रखा जाता है। इन सभी को श्रेणियों में को प्रशस्ति पत्र व प्रोत्साहन के रूप में नकद राशि प्रदान की जाती है ।

लक्ष्य योजना के तहत पहले भी हो चुकी है ग्रेडिंग:

अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद ने बताया सदर अस्पताल के लेबर रूम को लक्ष्य योजना के तहत वर्ष 2020 में ही प्रमाणित किया जा चुका है। लक्ष्य कार्यक्रम के तहत तीन स्तर पर रैंकिंग की जाती है। जिसमें पहले स्तर पर जिला, दूसरे स्तर पर क्षेत्रीय (रीजनल) एवं तीसरे स्तर पर राष्ट्रीय रैंकिंग की जाती है. । प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए अस्पताल को 75 अंक प्राप्त करना होता है।

इन मानकों पर तय किया जाता है हैं पुरस्कार:
-अस्पताल की आधारभूत संरचना
-साफ-सफाई एवं स्वच्छता
-जैविक कचरा निस्तारण
-संक्रमण रोकथाम
-अस्पताल की अन्य सहायक प्रणाली
-स्वच्छता एवं साफ़-सफाई को बढ़ावा देना