#MNN@24X7 बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम (सी.आर.ए.) एक बहु-लाभकारी परियोजना है, जिसमे कृषि को जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढालने का प्रयास किया गया है। जलवायु अनुकूल कृषि क्रियाएँ उत्पादकता स्थायी रूप से बढ़ती है, जलवायु के प्रति अनुकूलन बढ़ाता है, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करता है, और साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और विकास लक्ष्यों की उपलब्धियों को भी बढ़ाता है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए कई नई तकनीकों का एवं डिजिटल कृषि परियोजना का भी प्रचार किया गया है।
डिजिटलीकरण के क्षेत्र में भारत ने अतुलनीय प्रगति की है और आज भारत में करोड़ो लोग इंटरनेट एवं स्मार्ट फोन से जुड़े हुए हैं। कहा जाये तो भारत ने एक नए डिजिटल युग में प्रवेश कर लिया है जिसके चलते आज कृषि भी डिजिटलीकरण से अछूता नहीं है।
कृषि के क्षेत्र में डिजिटल एप्लिकेशन का प्रयोग और उसकी क्षमता काफी उत्साहजनक है। मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा किसानों को
शीघ्रता से दी जाने वाली कृषि समबन्धित सलाह, जानकारी और सहायता जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होने वाली गंभीर
कृषि एवं खाद्य समस्या को हल करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीसा) ने ने सी. आर. ए. कार्यक्रम के तहत क्रॉपइन टेक्नोलॉजी के साथ एक ऐसा ही मोबाइल एप्लिकेशन “स्मार्ट फार्म पूस” विकसित किया है जिसे किसान अपने मोबाइल पर जल्द ही उपयोग कर पाएंगे. यह एप्लिकेशन, बीज बोने की इष्टतम तारीख के बारे में सलाह भेजता है और उत्पादकता बढ़ाने के लिए डेटा आधारित निर्णय
लेने के लिए किसानों, वैज्ञानिकों और फील्ड कर्मचारियों को मदद करता है।
इस मोबाइल एप्लिकेशन को किसानो तक पहुचाने के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन बीसा, पूसा में इस सोमवार को किया गया था और मंगलवार को प्रशिक्षण संपन्न हुआ, इस प्रशिक्षण में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के कर्मचारियों ने भाग लिया। इस दौरान क्रॉपइन से आये सहयोगिओं, बिसा वैज्ञानिक डॉ विजय सिंह मीणा और डॉ राजेश रेड्डी ने प्रत्येक को नयी एप्लीकेशन की ट्रेनिंग दी ।
डॉ. राजकुमार जाट, वैज्ञानिक एवं बीसा – पूसा प्रभारी ने बताया की “देश के कोने-कोने में मोबाइल फोन की पहुंच के साथ, किसानों को जलवायु, कृषि और प्रौद्योगिकी से संबंधित जानकारी का प्रसार अब और आसान हो गया है। सूचना प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से और ठोस आंकड़ों के आधार पर किसानो को निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
इस मोबाइल एप्लिकेशन से बिहार के 190 गांवों के 50,000 से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। वे ऐप के माध्यम से उपलब्ध या प्रदान कराई गई जानकारी और डेटा का उपयोग करके अपने खेतों का प्रबंधन करने में सक्षम होंगे।
ऐप से किसान सी. आर. ए. परियोजना का प्रभाव, डीएसआर, प्रौद्योगिकी का प्रसार, मेढ़ विधि, बाजार, फसल की लागत का ऐप से किसान सी. आर. ए. परियोजना का प्रभाव, डीएसआर, प्रौद्योगिकी का प्रसार, मेढ़ विधि, बाजार, फसल की लागत का अर्थशास्त्र, सरकार की योजनाएं और कृषि से संबंधित कार्यक्रम जैसी जानकारी हासिल कर सकते है। यह एप्लिकेशन डैशबोर्ड के माध्यम से सीआरए परियोजना की रियल टाइम मॉनिटरिंग की भी अनुमति देता है।
मोबाइल एप्लिकेशन अवयवभूत अंश
बिहार में प्रमुख फसलों के लिए डिजिटल पैकेज और प्रथाएँ
फसल व्यवस्था पर आधारित कैलकुलेटर
वैज्ञानिक डेटा संग्रह और विश्लेषण के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म
मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से फसल निगरानी / जाँच और सलाह कृषि – रासायनिक अनुप्रयोग के लिए मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी / ड्रोन) का प्रयोग
बिसा वैज्ञानिक मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी / ड्रोन”) का भी प्रयोग कर रहे है। इसका प्रयोग कर बिसा के वैज्ञानिक किसानों के लिए फसल विशिष्ट कीटनशक, दवाएं एवंम खाद का सटीक एवं लाभान्वित तरीके से छिड़काव करने का सलहा दे सकेंगे। बीसा, बिहार सरकार एवं अन्य संस्तानो के साथ यूएवी / ड्रोन आधारित रिमोट सेंस्ड डेटा का उपयोग करके फसल की उपज और नुकसान के आकलन के लिए एक पद्धति विकसित कर रहे है जो किसानों के लिए बहुआयामी रूप से फायदेमंद साबित होगी