दरभंगा। आज 31 अगस्त 2022 को विश्वविद्यालय मैथिली विभाग के तत्वावधान में नरगौना परिसर स्थित डान्स हाॅल में प्रो. रमण झा, मानविकी संकायाध्यक्ष के सम्मान सह विदाई तथा विभागीय शोध-पत्रिका ‘मैथिली’ एवं ‘वाणी वर्गीकृत शब्दकोश : वाणी भारद्वाज के विमोचन समारोह का आयोजन हुआ।आयोजन समारोह का शुभारम्भ दीप-प्रज्ज्वलन से हुआ।

समारोह के उद्घाटनकर्त्ता सह अध्यक्ष माननीय कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि यह मेरे साथ विश्वविद्यालय मैथिली विभाग के लिए अत्यन्त गर्व का विषय है कि प्रो. रमण झा जैसा सबल और सफल व्यक्ति मिला । आज इनकी सेवानिवृत्ति है, इस अवसर पर सभी वक्ताओं ने अपने उद्गार में इनकी दक्षता, कर्मठता एवं निष्ठा के सन्दर्भ में जो भी बातें कहीं वह अकाट्य है।

कुलपति ने कहा कि मानुषी जीवन में व्यक्तित्व और गरिमा दो महत्त्वपूर्ण पहलू है । किसी व्यक्ति में जब विद्वता के साथ संस्कार जुड़ता है तब व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रखर और महान होता है । अनुशासन और संस्कार से व्यक्तित्व का निर्माण होता है । ये सभी गुण प्रो. झा में विद्यमान है । इनके व्यक्तित्व के सामने आज सम्बोधित प्रत्येक शब्द छोटा प्रतीत होता है ।

प्रतिकुलपति माननीया डाॅली सिन्हा ने कहा कि वास्तव में शिक्षक कभी अवकाश नहीं प्राप्त करते हैं । प्रो. रमण झा शांत स्वभाव, मृदुभाषी, सफल शिक्षक, मूर्धन्य विद्वान, साहित्यकार , उत्कृष्ट अनुवादक के साथ बहुआयामी प्रतिभा से धनी हैं । इनका कार्यशैली वैज्ञानिक तरीके का है । उन्होंने कही कि बहुत कम शिक्षक को यह सौभाग्य मिलता है जिनके सेवा के अंतिम दिन ऐसा इभेन्टपूर्ण माहोल रहता है ।

कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि वास्तव में शिक्षक मात्र अपने वर्ग में ही शिक्षक नहीं होते हैं । उनकी सम्पूर्ण कार्यशैली और जीवनशैली अनुकरणीय होता है। सेवानिवृत्ति के दिन अगर किसी शिक्षक की कमी खलती है तो जीवन में इससे अधिक कोई शिक्षक और क्या अर्जित कर सकता है । इस उपस्थिति को देखकर एवं वक्ताओं के उद्गार को सुनकर ये कहने में थोड़ी भी हिचक नहीं है कि प्रो. रमण झा की कमी हमलोगों को खलेगी ।

विशिष्ट अतिथि के रुप में मैथिली साहित्य के सिरमौर प्रो. भीमनाथ झा उपस्थित थे । अपने संबोधन में उन्होंने कहा आज उदासी नहीं बल्कि उल्लास का समय है। सेवानिवृत्ति तो सभी का होता ही है । प्रो. रमण झा के सेवानिवृत्ति से आज मैथिली विभाग के लिए एक पीढ़ी का अंत हो रहा है । संबोधित करने वाले अन्य महत्त्वपूर्ण वक्ता थे : सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष प्रो. जितेन्द्र नारायण, वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. बी. बी. एल दास, पूर्व अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. ए. के. बच्चन ।

सभागार में उपस्थित थे- हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र साह, उर्दू विभागाध्यक्ष आफताब अशरफ, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. मंजू राय, समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. शाहीद हसन, प्रो. कुलानंद यादव, डाॅ. अखिलेश प्रसाद सिंह, प्रो. मंजू झा , डाॅ. कुमारी अमृता चौधरी, सीनेट सह वित्त समिति सदस्य गोपाल चौधरी, आकाशवाणी दरभंगा के गायक दीपक कुमार झा, विभागीय जेआरएफ, यूजीसी शोधार्थी रौशन कुमार, सत्यनारायण प्रसाद यादव, बंदना कुमारी, भोगेन्द्र प्रसाद सिंह, दीपक कुमार , दीपेश कुमार, हरेराम पंडित, शालिनी कुमारी, नीतू कुमारी, राज्यश्री कुमारी, बंदना कुमारी, अम्बालिका कुमारी, शिवनंदन पंडित, निखिल कुमार आदि । स्वागत उद्गार प्रो.अशोक कुमार मेहता ने प्रस्तुत किया । मंच संचालन प्रो. नारायण झा तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. दमन कुमार झा ने किया ।