-कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन को ले डीभीबीडीओ ने दिये निर्देश
– निगरानी व अनुश्रवण के लिये जिला नियंत्रण कक्ष का किया गठन।

दरभंगा,1 सितंबर। जिले में कालाजार नियंत्रण के लिये सिंथेटिक पैराथायराइड पाउडर का द्वितीय चक्र का छिड़काव पांच सितंबर से शुरू किया जाएगा. इसके लिए सभी तैयारियां की जा रही है. छिड़काव कर्मी का चयन किया जा रहा है. इसके तहत प्रथम चक्र में छिड़काव करने वाले कर्मी को प्राथमिकता दी जाएगी.

जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी महतो के द्वारा सफल कार्यान्वयन को लेकर सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (तारडीह, मनिगाछी, गौड़ाबौराम और घनश्यामपुर को छोड़कर) को आदेश जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि 7.5 लीटर पानी में 125 ग्राम सिंथेटिक पैराथायराइड पाउडर का घोल तैयार कर निर्धारित मापदंड के अनुसार सभी घरों के सभी कमरों के दीवार पर छह फीट की ऊंचाई तक (छत को छोड़कर) छिड़काव करना है. प्रत्येक दिन 2.76 किलोग्राम एसपी पाउडर से 60 घरों में छिड़काव करने का निर्देश दिया गया है, इसके प्रचार- प्रसार के लिये आशा, स्थानीय शिक्षक को लगाया जा रहा है. साथ ही पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों के भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. कार्यक्रम की निगरानी एवं अनुश्रवण के लिए जिला नियंत्रण कक्ष का गठन किया गया है, जिसमें प्रतिनियुक्त कर्मी नागेंद्र लालदेव मोबाइल नंबर 9934680560 , फिरोज अहमद मोबाइल नंबर-9504053792 एवं शिव कुमार गिरी मोबाइल नंबर-7004991607 जानकारी देने के लिये उपलब्ध रहेंगे.

कालाजार के कारण–

कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है. किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा. इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है.

सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :
जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ जेपी महतो ने बताया कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।

कालाजार के लक्षण :

– लगातार रुक-रुक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना।
– वजन में लगातार कमी होना।
– दुर्बलता।
– मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।
– व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।
– प्लीहा में नुकसान होता है।

छिड़काव के दौरान इन बातों का रखें ख्याल :

– छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें
– घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर छः फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें
– छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें
– ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, जिसमें कीटनाशक (एस.पी) का असर बना रहे
– अपने क्षेत्र में कीटनाशक छिड़काव की तिथि की जानकारी आशा दीदी से प्राप्त करें