“भारतीय ज्ञान- परंपरा में गुरु की महत्ता” विषयक राष्ट्रीय वेबीनार में 150 से अधिक अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों की हुई सहभागिता।
उद्घाटन सत्र के बाद दो तकनीकी सत्रों का भी हुआ आयोजन, जिसमें देश के प्रमुख राज्यों के प्रतिनिधियों ने रखे अपने महत्वपूर्ण विचार।
आचार्य अश्वघोष नामक प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो रामनाथ सिंह तथा महाप्रजापति गौतमी नामक द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डा मैत्रेय कुमारी ने किया।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग तथा मारवाड़ी महाविद्यालय, दरभंगा के संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘शिक्षक दिवस’ की पूर्व संध्या पर “भारतीय ज्ञान- परंपरा में गुरु की महत्ता” विषयक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया, जिसमें देश के अधिकांश राज्यों से डेढ़ सौ से अधिक अतिथियों, वक्ताओं तथा प्रतिभागियों की सहभागिता हुई। राष्ट्रीय वेबीनार 3 सत्रों में संचालित हुआ।
स्नातकोत्तर संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो की अध्यक्षता में आयोजित उद्धाटन सत्र में जेएनयू के संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर सुधीर कुमार मुख्य अतिथि, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की संस्कृत अनुशासन मानविकी संकाय के प्रो कौशल पंवार विशिष्ट अतिथि, संस्कृत विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव प्रथम डा दीनानाथ झा मुख्य वक्ता, पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो जीवानंद झा विशिष्ट वक्ता, मारवाड़ी महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा दिलीप कुमार सम्मानित अतिथि, संयोजक सह संस्कृत- प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया विषय प्रवर्तक के रूप में उपस्थित हुए।
वहीं वेबीनार के आयोजन सचिव एवं मारवाड़ी महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा विकास सिंह के कुशल संचालन में आयोजित उद्घाटन सत्र में अतिथियों का स्वागत समाजशास्त्र विभागाध्यक्षा डा सुनीता कुमारी ने किया, धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत- प्राध्यापिका डा ममता स्नेही तथा रिपोर्टिंग भौतिकी- प्राध्यापक डा अमित कुमार सिंह ने किया ने किया।
विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो रामनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित आचार्य अश्वघोष सत्र में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के साहित्य विभाग के प्राध्यापक डा शैलेन्द्र कुमार शाहू, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के इंटरनेशनल सेंटर फॉर डिस्टेंस एजुकेशन एंड ओपन लर्निंग के प्राध्यापक डा देव राज, नवद्वीप विद्यासागर कॉलेज, नदिया, कल्याणी विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल के संस्कृत विभाग के प्राध्यापक बिप्लव बागड़ी, महामाया राजकीय डिग्री कॉलेज, श्रावस्ती सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, उत्तर प्रदेश के संस्कृत- प्राध्यापक डा धर्मेन्द्र कुमार, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, गुरुवायूर परिसर, केरल के शिक्षा शास्त्र विभाग के प्राध्यापक डा वेणुगोपाल राव तथा कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय, बैंगलोर के वेदांत विभाग के प्राध्यापक डा मंजूनाथ भट्ट ने विशिष्ट वक्ता के रूप में अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
सत्र का संचालन जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत- प्राध्यापक डा राजेन्द्र कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन एमआरएम कॉलेज की समाजशास्त्र- प्राध्यापिका डा शगुफ्ता खानम तथा रिपोर्टिंग एसबीएसएस कॉलेज, बेगूसराय के संस्कृत- शिक्षक साजन कुमार ने किया।
वहीं कमला नेहरु कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की संस्कृत- प्राध्यापिका डॉ मैत्रेयी कुमारी की अध्यक्षता में आयोजित महा प्रजापति गौतमी सत्र में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर व्याकरण की प्राध्यापिका डा साधना शर्मा, पूर्णादेवी चौधरी कन्या महाविद्यालय, बीरभूम, वर्धमान विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल की संस्कृत- प्राध्यापिका डा पिंकी दास, विल्ला मेरी डिग्री कॉलेज फॉर विमेन, समाधिगुड़ा, उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद की संस्कृत- प्राध्यापिका डा गीतांजलि नायक, सैंट एन कॉलेज फॉर विमेन, मेहदीपटनम, उस्मानिया विश्वविद्यालय, तेलंगाना की संस्कृत- प्राध्यापिका श्रीदेवी काशावझ्झाला, संदेश आर्ट्स कॉलेज, सिरसी, नागपुर, महाराष्ट्र की पाली विभागाध्यक्षा डा रोजा मेश्राम तथा जी डी कॉलेज, बेगूसराय की संस्कृत- प्राध्यापिका डा मोना शर्मा ने विशिष्ट वक्ता के रूप में अपने उद्बोधन से प्रतिभागियों को लाभान्वित किया।
एमआरएम कॉलेज, दरभंगा की हिन्दी- प्राध्यापिका नीलम सेन के संचालन में आयोजित इस सत्र में मिल्लत कॉलेज की मनोविज्ञान- प्राध्यापिका डा कीर्ति चौरसिया ने धन्यवाद ज्ञापन किया। वहीं विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग की शोधार्थी नजमा हासान ने पश्चिम बंगाल से ऑनलाइन रिपोर्टिंग की।