•बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी।
•नियमित टीकाकरण के पूर्ण लक्ष्य को प्राप्ति के लिए दिए गए दिशा निर्देश।
•प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को ऑगनबाड़ी केंद्रों पर होता है नियमित टीकाकरण।
#MNN@24X7 मधुबनी,18 सितम्बर। नियमित टीकाकरण को लेकर सरकार बच्चों के प्रतिरक्षण के साथ साथ शत प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। इसको लेकर नियमित टीकाकरण को बढ़ावा देने के साथ साथ सुदृढ़ीकरण लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर कोविड केयर सेंटर रामपट्टी में शुक्रवार व शनिवार को दो दिवसीय नियमित टीकाकरण निगरानी सुदृढ़ीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस दौरान जिले के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से आए एमओआईसी, बीएचएम, बीसीएम को नियमित टीकाकरण को लेकर विशेष जानकारी दी गयी। साथ ही पूर्ण टीकाकरण में पिछड़ रहे प्रखंडों के एमओआईसी, बीएचएम सहित बीसीएम को कई दिशा निर्देश दिए गए। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एस.के. विश्वकर्मा ने 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों को दिए जाने वाले विभिन्न टीकों के अलावा बच्चों को टीकाकरण करने के तरीके के बारे में विशेष प्रशिक्षण दिया।
12 रोग के लिए 12 टीका की दी गई जानकारी:
कार्यशाला के दौरान सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया कि 0 से 12 महीने तक के बच्चे को टीबी, पोलियो, डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनेस, हेपेटाइटिस बी, इनफ्लुएंजा, जेई, डायरिया सहित कुल 12 जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए गर्भवती माँ के साथ साथ प्रसव के बाद नवजात को कुल 12 टीके दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह टीका यदि गर्भवती महिला के साथ साथ उसके बच्चों को समय से पड़ जाए तो हम बच्चे को पूरी तरह से सुरक्षित कर पाते हैं।
बच्चों को विभिन्न प्रकार के गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण जरूरी :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एसके विश्वकर्मा ने बताया, बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण (आरआई) बहुत जरूरी है। यह शरीर में बीमारियों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है। साथ ही एंटीबॉडी बनाकर शरीर को सुरक्षित रखता है। टीकाकरण से बच्चों में जानलेवा बीमारियों का खतरा बहुत अधिक कम हो जाता है। शिशुओं की मौत की एक बड़ी वजह उनका सही तरीके से टीकाकरण नहीं होना है।
टीकाकरण संक्रमण के बाद या बीमारी के खिलाफ व्यक्ति की रक्षा करता और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है। शिशुओं को स्तनपान कराने से भी उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली तेज होती है। टीकाकरण से बच्चों को चेचक, हेपेटाइटिस जैसी अन्य बीमारियों से बचाया जा सकता है। वहीं, उन्होंने बताया, इसलिए, टीकाकरण शिशु के लिए बहुत जरूरी है। बच्चों में होने वाली बीमारियों व संक्रमण का असर तेजी से उनके शरीर पर होता है और उनके अंगों को प्रभावित करता है। बीसीजी, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, डीटीपी, रोटावायरस वैक्सीन, इन्फ्लूएंजा व न्यूमोनिया के लिए टीकाकरण किये जाते हैं।
प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को ऑगनबाड़ी केंद्रों पर होता है नियमित टीकाकरण :
प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को जिले के ऑंगनबाड़ी केंद्रों पर नियमित रूप से नियमित टीकाकरण का आयोजन किया जाता है। जिसके माध्यम ऑंगनबाड़ी केंद्रों पर शिविर आयोजित कर एएनएम द्वारा संबंधित क्षेत्र की आशा और सेविका के सहयोग से बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जाता है।
अभियान चलाकर योग्य लाभार्थियों को किया जाएगा टीकाकृत:
यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा ने बताया शत-प्रतिशत लाभार्थियों का नियमित टीकाकरण सुनिश्चित कराने को जिले भर में अभियान चलाया जाएगा। जिसके माध्यम से प्रत्येक लाभार्थियों को चिह्नित कर टीकाकृत किया जाएगा। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी आशा कार्यकर्ता समेत ऑंगनबाड़ी सेविका सहित अन्य कर्मियों का सहयोग लिया जाएगा।
दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा, एसीएमओ डॉ. आर. के. सिंह, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एस.के विश्वकर्मा, यूनिसेफ एस. एम. सी प्रमोद कुमार झा डब्ल्यूएचओ एसएमओ डॉक्टर आदर्श वर्गीज, यूएनडीपी के अनिल कुमार, सहित अन्य कर्मी उपस्थित थे।