#MNN@24X7 दरभंगा,18 सितम्बर। प्रेमचंद जयंती समारोह समिति के तत्वावधान में प्रेमचंद की 142 वी जयंती का समापन सह पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित। स्थानीय सी एम साइंस कॉलेज दरभंगा के कामेश्वर भवन में सुबह 10 बजे से प्रेमचंद की प्रासंगिकता विषय पर विमर्श हुआ।जिसकी अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष प्रो चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने किया।तथा संचालन समिति के सचिव डॉ लाल कुमार ने किया।स्वागत भाषण मोजाहिद आजम ने रखा।इस अवसर पर जन सरोकार स्मारिका का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया।

उद्घाटन भाषण करते हुए प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह कुलपति ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने कहा कि कि आज प्रेमचंद जयंती समारोह समिति जिस तरह से लगातार 21 वर्षों से आयोजन करती आ रही है यह काबिले तारीफ है उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रेमचंद जैसे महापुरुषों की याद न सिर्फ स्वभाविक है बल्कि नितांत आवश्यक भी है। उन्होंने आजीवन संघर्ष के जरिए अपने साहित्य में उच्च मानवीय मूल्य और आदर्श को कायम किया था शोषित पीड़ित और थके हारे समुदाय को इनके साहित्य में जीवन की आस्था मिली थी जन-जन को विश्वास मिला था इंसानियत की पहचान मिली थी यही वजह है कि प्रेमचंद अपने पूरे वजूद के साथ आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितना वह अपने जीवन काल में।

समारोह के मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो मुशताक अहमद ने कहा कि मौजूदा समय में साहित्यकारों संस्कृतकर्मियों और बुद्धिजीवियों के सामने एक दायित्व है कि वह भटके और घायल युवा मानस को एक दिशा दें विकसित जनमानस के सामने उसे स्वस्थ सांस्कृतिक परंपरा को फिर जीवित करें जिसे गौरवपूर्ण परंपरा की नींव प्रेमचंद के साहित्यकारों ने अपने साहित्य में डाली है या कितनी दुखद बात है कि अभी स्कूली शिक्षा इस प्रकार हो गई है कि बच्चे प्रेमचंद जैसे महापुरुषों को सही ढंग से जान नहीं पाते हैं उसे साहित्यिक सांस्कृतिक परंपरा से ना वाकिफ आ जाते हैं।

विशिष्ट अतिथि प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि प्रेमचंद उन महान रचनाकारों में से एक हैं जिन्होंने सामाजिक रूप से सजग एवं सशक्त उपन्यासों और कहानियों की रचनाकार भारतीय कथा साहित्य को एक अलग प्रदान किया हिंदी कथा साहित्य में यथार्थ की एक नई परंपरा की शुरुआत कर प्रेमचंद ने साहित्य का जनतंत्रिकरण किया।

समिति के संरक्षक डॉ धर्मेंद्र कुमर ने कहा कि विगत कई वर्षों से इस जयंती समारोह के माध्यम से इन साहित्यकारों से संबंधित विविध विधाओं में प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है ताकि इस तरह के से बच्चे उन्हें जान सके अपने आदर्श बना सके और जिंदा समाज कम हो सके सामाजिक सांस्कृतिक जड़ता को तोड़ने का यह एक विनम्र प्रयास है एक पहल है आप संस्कृति के खिलाफ आम जनता को गोलबंद करने का एक संकल्प है स्वस्थ सांस्कृतिक परंपरा कायम करने का तकिया गंदा माहौल समाप्त हो और आम आदमी साहित्य के माध्यम से प्रेमचंद के समग्र रूप से जान सके।

मुख्यवक्ता पैगाम कल्चर सोसायटी, पटना के सचिव सुरेश फुलवारवि ने कहा कि अप संस्कृति के व्यापक प्रचार-प्रसार अश्लील सिनेमा साहित्य ने युवा पीढ़ी की चेतना को कुंद और मालीन कर दिया है व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन के से लेकर के सामाजिक राजनीतिक परिवेश तक की अधोगति इतनी त्रीव हुई है कि आज मजहब संप्रदाय जाति नस्ल आदि के नाम पर इंसान को इंसान से बांटने का कुकर्म जारी है शिक्षा संस्कृति रुचि बोध पर यह हमला मानव को मानव बनाने जैसा है ऐसे वक्त में मनुष्यता एवं सभ्यता को बचाए रखने का उत्तरदायित्व परम आवश्यक हो गया है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में किलकारी दरभंगा द्वारा कफ़न नाटक का मंचन किया गया।ज्ञान सरिता पब्लिक स्कूल एवं नृत्यार्प नुपुर कला आश्रम के छात्र छात्राओं ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मनमोह लिया।

इस अवसर पर विगत 21 अगस्त 2022 को सांस्कृतिक प्रतियोगिता में 300 सफल छात्र छात्राओं को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। वहीं दूसरी ओर सबसे बेहतरीन प्रदर्शन के लिए डी ए वी पब्लिक स्कूल दरभंगा को उत्कृष्ट प्रतिभागियों अवार्ड और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। सर्वश्रेष्ठ सहभागीता के लिए ज्ञान सरिता पब्लिक स्कूल दरभंगा को अवार्ड और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया

कार्यक्रम में डॉ अमरकांत कुमर, डॉ सुधांशु कुमार,डॉ मंजर सुलेमान, डॉ हीरा लाल सहनी, डॉ मंजर हुसैन, डॉ उमेश कुमार शर्मा,विजय कुमार साह आदि ने महत्वपूर्ण बात रखे।

समारोह को सफल बनाने में रुसोसेन गुप्ता,डॉ जमील हसन, श्रवण कुमार, महाकान्त प्रसाद,ललित कुमार, रौशन कुमार, दुर्गानन्द कुमार ठाकुर,छवि कुमार, मनोज कुमार,प्रिंस कुमार, रूपेश कुमार, जाया कुमारी,लक्ष्मी कुमारी,सोनू कुमर सिंह, प्रज्जवल सेन गुप्ता,तरुण कुमार,करन कुमार,गौतम कुमार आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।