#MNN@24X7 राजकीय महारानी रमेश्वरी भारती चिकित्सा विज्ञान संस्थान, मोहनपुर दरभंगा के द्वारा डीएवी पब्लिक स्कूल, सारा मोहनपुर दरभंगा में ” हर दिन, हर घर आयुर्वेद ” कार्यक्रम को शिक्षकों एवं छात्रों के बीच मनाया गया। प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत पूरे भारतवर्ष में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के दिशा- निर्देशन में ” हर दिन, हर घर आयुर्वेद “कार्यक्रम को मनाया जा रहा है।

कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद एवं डीएवी के प्राचार्य श्रीमती स्नेहा के द्वारा दीप प्रज्वलन करके किया गया। छात्रों के द्वारा स्वागत गान प्रस्तुत किया गया। प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद आहार विषय पर बोलते हुए कहा कि आयुर्वेद में मानव जीवन के तीन उपस्तम्भ बताया गया है- आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य। इन तीनों का समुचित रूप से जीवन में आयुर्वेदिक विधि से पालन करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

आज वर्तमान समय में अज्ञानता एवं माताओं की आलस्य की वजह से हमारे जीवन के पोषक आहार की गुणवत्ता में गिरावट आई है। अनाज उपजाने , संग्रह एवं उसे भोजन के रूप में पकाने से लेकर भोजन सेवन करने की विधि में आधारभूत काफी परिवर्तन हुआ है। जिससे अनाजों में पोषक तत्वों में उत्तरोत्तर कमी होता चली गयी है। प्राचीन काल में जैविक खेती से उपजे अनाजों में जो पौष्टिक तत्वों की प्राप्ति होती थी, आज रासायनिक खादों से उपजे अनाजों में नहीं है। हमें प्राचीन जैविक खेती की ओर वापस लौटना होगा। छात्रों का रुझान फास्ट फूड, मैगी, चाऊमीन आदि की ओर तेजी से बढ़ा है।

इस पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे खाद पदार्थों में चीनी, नमक और मैदा के अत्यधिक प्रयोग से नाना प्रकार की आमज व्याधियां उत्पन्न हो रही है। रासायनिक खाद पदार्थों एवं किटनाशक दवाइयों के अत्याधिक छिड़काव से उत्पन्न फसलों के अन्न का सेवन से आज के वर्तमान युग में कैंसर जैसे भयावह रोग फैल रहें है। छात्रों को वृक्षारोपण की ओर प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को अपने घर पर भी छोटे-छोटे गमलों में पेड़ पौधों को वह उगाना चाहिए। इससे प्रकृति के प्रति भावनात्मक लगाव उत्पन्न होता है। प्रकृति बचेगी तो ही आयुर्वेद बच पाएगा।

डीएवी की पब्लिक स्कूल की प्राचार्य श्रीमती स्नेहा ने बताया कि हमारे भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा वर्णित दीर्घ एवं स्वस्थ आयु प्राप्ति के सूत्र को अपने जीवन में उतार कर हम आरोग्य को प्राप्त कर सकते हैं। यह साफ तौर पर एवं स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है कि हमारे पूर्वज इस धरती पर आयुर्वेद को अपनाकर हमसे ज्यादा स्वस्थ एवं खुशहाल थे। छात्रों को आयुर्वेद के प्रति प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को आयुर्वेद के नियमों को दृढ़ता पूर्वक पालन करने का अभ्यास करना चाहिए।

डॉ.दिनेश कुमार ने कहा कि मानव जीवन के चार पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति हेतु स्वस्थ जीवन ही आधार है। आयुर्वेद के द्वारा ही स्वस्थ जीवन को प्राप्त किया जा सकता है। वेदों में श्रेष्ठ आरोग्य दाता आयुर्वेद को माना गया है। स्वास्थ्य की गुणवत्ता को बढ़ाने हेतु उन्होंने दिनचर्या, संध्याचर्या, एवं ऋतुचर्या के सिद्धांतों को छात्रों को बताया। ऋतु के अनुसार आहार – विहार के बारे में जानकारी दी।

ऋतु हरीतकी के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हरीतकी( हरड़) एक ऐसी मां है, जो कभी कुपित नहीं होती‌।उदर (पेट) में सेवन की हुई हरितकी हमें किसी न किसी रूप से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। ऋतु के अनुसार अनुपान भेद से हरड़ चूर्ण का सेवन करने से लाभ को बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शरद ऋतु चल रही है। इस समय हरीतकी चूर्ण को शर्करा के साथ सेवन करना चाहिए। इससे पित्त का शमन होता है। आयुर्वेद की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि विश्व की एकमात्र चिकित्सा पद्धति है जो स्वास्थ्य की गुणवत्ता को सुधारने की बात करती है।

डॉ मुकेश कुमार ने ब्रह्ममुहूर्त में जागरण के लाभ को बताते हुए कहा कि ब्रह्म मुहूर्त में प्रकृति विशुद्ध अवस्था में होती है।प्रकृति के पांच तत्व आकाश, वायु ,अग्नि, जल और पृथ्वी अपने विशुद्ध रूप में होते हैं। प्रकृति पंचामृत का पान करा रही होती है। अतः हमें ब्रह्ममुहूर्त में जागरण कर प्रकृति प्रदत पंचामृत का ग्रहण करना चाहिए।

प्राचार्या श्रीमती स्नेहा आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद द्वारा आयोजित” हर दिन, हर घर आयुर्वेद” कार्यक्रम की सराहना करते हुए यह कहा कि इससे छात्रों एवं आमजनों के बीच आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।