#MNN@24X7 हिन्दी समाहार मंच, दरभंगा के तत्वावधान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी की जयन्ती समारोह का आयोजन, इन्डियन पब्लिक स्कूल, सैदनगर, लहेरियासराय में मंच के प्रथम अध्यक्ष शेखर कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और शास्त्री जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया एवं महाकान्त प्रसाद के अगुवाई में गांधी जी के प्रिय भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीड़ पराई जाणे रे”के समवेत गायन से हुआ।

इस अवसर पर बाल कवि डा सतीश चंद्र भगत ने कहा कि महात्मा गांधी का व्यक्तित्व बड़ा विराट था।शास्त्री जी अल्पकाल में भारत की प्रतिष्ठा बढाई। चंद्रमोहन पोद्दार ने कहा कि आज गांधी जी, शास्त्री जी के साथ-साथ आशा पारेख जी का जन्मदिवस भी है।गांधी जी और शास्त्री जी का व्यक्तित्व समावेशी था। महाकांत प्रसाद ने कहा कि गांधी जी ने जोहान्सबर्ग में फिनिक्स आश्रम की स्थापना की।

उस आश्रम मे रहने वाले लोगो को अनुशासन के साथ-साथ समय मूल्य की शिक्षा दी जाती थी। वहीं शास्त्री जी ने भारतवासियो को आत्मनिर्भरता का मूल मंत्र दिया।अमिताभ कुमार सिंहा ने कहा कि गांधी जी भारत के स्वाभिमान के प्रतीक का नाम है जबकि शास्त्री जी ने जय जवान और जय किसान का नारा देकर भारत को विश्व के मानचित्र पर अपने देश का नाम गौरव के साथ अंकित कराया।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कविगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुस्ताक एकवाल ने देशभक्ति कविता- नाज है मुझको मेरे वतन पर सुनाकर श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया। वही उदय शंकर चौधरी की कविता-बलिदानो से जिंदा है, भारत का स्वाभिमान सुनाकर कवि सम्ममेलन की सार्थकता सिद्ध किया। शंभु नारायण चौधरी की अंगिका कविता -हो गांथी बाबा फेनु आबऽ सुनाकर खुब तालिया बटोरी। वही सौम्य कुमार बिभु की कविता गांधी जी थे मानवीय संवेदना, गांधी जी थे प्रेम के रसखान सुनाया।

वहीं मशहूर शायर मंजर सिद्दकी की कविता हर कदम पर भारत की शान बढाते जाएंगे कविता सुनाकर लोगो को आनंदित किया।आशिष अकिंचन की कविता जीवन जो मिला जंजाल मिला साथ ही शेखर कुमार श्रीवास्तव ने गांधी जी आज खुश है, कि आज मेरा जन्म दिवस है,आज मुझे नहलाया-धोया जायेगा ,व्यंग्य कविता सुनाकर आज के भौतिक वादी समाज का शब्द चित्र अनोखे ढ़ंग से प्रस्तुत किया।

सतीश चन्द्र भगत की कविता धन्य धन्य भारत माता एवं चंद्रमोहन पोद्दार ने लाठी टेके पैदल चलते थे बापू,राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत गीत सुनाया।महाकांत प्रसाद ने देश के सांस्कृतिक मूल्य के विघटन को इन शब्दों मे उतारा-कतौ नै भेटैत अछि पिता।अमिताभ कुमार सिन्हा की कविता -गांधी जी ने अपनै विचारो का अहर्निश दीप जलाए,वह आज भी हमें आलोकित कर रहा है।संचालन अमिताभ कुमार सिन्हा तथा धन्यवाद ज्ञापन मुश्ताक एकबाल ने किया।
दरभंगा