#MNN@24X7 लनामिवि दरभंगा- अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय सह दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया के पूर्व कुलसचिव सह मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व विकास पदाधिकारी सह विश्वविद्यालय जंतु विज्ञान विभाग के डायनामिक प्रो० मो० नेहाल ने अपने कल के पटना से दरभंगा यात्रा की कहानी सोशल हैंडल पर शेयर की है। उस यात्रा के दौरान कैसे उन्हें 200₹ के नकली करेंसी से पहली बार सामना हुआ है इसकी आपबीती उन्होंने साझा किया है।
वो बताते हैं कि हम अपने पूरे परिवार के साथ पटना से दरभंगा की यात्रा पर अपने निजी कार से आ रहे थे। अपनों से मिलने का अपना एक सकारात्मक वाइब होता है, चल रहे दीपावली-छठ पर्व के अवसर पर रात के समय रास्ते में पूरा मार्ग जगमगा रहा था। सबसे अच्छी बात यह है कि यह न तो राजनीतिक रूप से प्रायोजित है और न ही वैचारिक रूप से थोपा गया है। त्यौहार तो अनादि काल से जनता के बीच सामाजिक एकता और एकीकरण लाने और बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाते हैं और सार्वजनिक भागीदारी के अवसर प्रदान करते हैं। साल भर फैले वे प्रकृति के चक्र के परिवर्तन को भी चिह्नित करते हैं। मन इस यात्रा से पूरा तरोताजा था।
उसी दरम्यान अचानक यात्रा के दौरान किसी जगह अचानक हाथ में ₹ 200 का नकली करेंसी हाथ में आ गया। नकली करेंसी का यह मेरे जीवन का पहला अनुभव था जब मैंने अपने पास पहले से मौजूद ₹200 के नोटों से मिलान किया तो माजरा बिल्कुल समझ में आ गया था कि हम नकली करेंसी के शिकार हो गये हैं। ₹ 200 मूल्यवर्ग (निचला वाला) कहीं न कहीं जो अब हमारे पास है। यह पहली बार है लेकिन किसी के साथ भी कई बार हो सकता है। इसलिए हमें विशेष रूप से उत्सव के दौरान सतर्क और सतर्क रहने की जरूरत है।
आगे उन्होंने सरकार से भी अनुरोध किया है कि सरकार को भारतीय अर्थव्यवस्था के खिलाफ ऐसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को रोकने और कुचलने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। इसके लिये व्यापक रूप से सरकार को इस नकली करेंसी के गिरोहों पर नजर रखकर तत्काल उसके नेटवर्क को ध्वस्त किया जाय और भारतीय अर्थव्यवस्था को नकली करेंसी से बचाया जा सके जो भारतीय अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव डालती है।