-भारत सरकार के विज्ञान प्रसार विभाग विज्ञान को जन-जन की भाषाओं में पहुंचाने का कर रहा कार्य

-किसी भी भाषाओं की साहित्य दिल और उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण होती है धड़कन : प्रो. मुश्ताक अमहद

-लैब में होने वाला कार्य आम जनता के लिए किस प्रकार लाभदायक, इस तकनीक को बाहर निकालने का कार्य मातृभाषा में ही संभव : नकुल पराशर

-मातृभाषाओं में सोचने पर ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण होती है जागृत : कपिल त्रिपाठी

ओरिएंटेशन-कम-वर्कशॉप की विधिवत शुरुआत करते कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह, विज्ञान प्रसार के निदेशक नकुल पराशर, वरिष्ठ वैज्ञानिक कपिल त्रिपाठी, कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद, प्राचार्य प्रो. दिलीप कुमार चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार मानवर्धन कंठ व अन्य।

कार्यशाला में प्रतिभागियों को संबोधित करते ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह व मंचासीन अतिथि।

#MNN@24X7 विज्ञान चीजों को प्रमाणित करके स्थायी स्वरूप देने का कार्य करती है, जो समाज के लिए काफी लाभदायक होता है। आजादी के दौर में भी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए काफी उल्लेखनीय कार्य किये। आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में भी भारत सरकार के विज्ञान प्रसार विभाग विज्ञान को जन-जन की भाषाओं में पहुंचाने के लिए सराहनीय कार्य कर रहा है।

उक्त बातें केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार की स्वायत्त संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ एवं सीएम साइंस कॉलेज, दरभंगा के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय ओरिएंटेशन-कम-वर्कशॉप के पहले दिन रविवार को प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा निति में भी मातृभाषाओं शिक्षा देने की बात कही गई है, इसी कड़ी को बढ़ाने में विज्ञान प्रसार विभाग भी अहम योगदान निभा रहा है। मातृभाषा में समझने की शक्ति ज्यादा होती है, जिससे विश्लेषण करना आसान हो जाता है। पहले विज्ञान में केवल अनुकरण की जाती है, लेकिन अब नित नई प्रयोग को काफी बढ़ावा दिया जाता है।

विज्ञान प्रसार विभाग के निदेशक नकुल पराशर ने कहा कि मैथिली भाषा संविधान के अष्टम अनुसूचि में शामिल है। मैथिली मां जानकी की धरती है। मिथिला में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। इस वर्कशॉप के माध्यम से इन प्रतिभाओं को एकत्रित करके मिथिला क्षेत्र में भी विज्ञान के क्षेत्र में रोजगार का अवसर पैदा हो सकें, इसके लिए मौके की तलाश की जाएगी। स्टार्टअप शुरू करने की जरूरत है। मिथिला अपने आप में स्वर्ग है, इस स्वर्ग को और स्वर्ग बनाने की जरूरत है। भारत सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। दरभंगा में संभावनाओं की कमी नहीं है। लैब में होने वाला कार्य आम जनता के लिए किस प्रकार लाभदायक है। इस तकनीक को बाहर निकालने का कार्य मातृभाषा में ही संभव है। मैथिली भाषा में विज्ञान की पत्रिका, पुस्तिका और फिल्मों पर कार्य करने की काफी संभावनाएं है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक कपिल त्रिपाठी ने कहा कि विज्ञान प्रसार विभाग मातृभाषाओं में विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करना शुरू कर दिया है। विज्ञान प्रसार विभाग का मानना है कि दिल्ली में बैठकर नई पीढ़ियों को जागरूक नहीं किया जा सकता है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर जाना होगा। इसीके तहत हमलोगों ने दरभंगा के सीएम साइंस कॉलेज को मैथिली भाषा में विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए चुना है। मातृभाषाओं में सोचने पर ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण जागृत होती है। मैथिल लोग दुनिया के सभी क्षेत्रों में आगे हैं, लेकिन सामाजिक दायित्व के क्षेत्र में पीछे है। इसके निदान के लिए इस वर्कशॉप के माध्यम से संवाद करने की कोशिश की जाएगी।

वरिष्ठ पत्रकार व मीडिया गुरु मानवर्धन कंठ ने कहा कि विज्ञान प्रसार विभाग ने ‘स्कॉप इन भारतीय भाषा’ प्रोगाम को आकार देने का कार्य किया है। ये कार्यशाला भी इसीका परिणाम है। ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ का सफल आयोजन करके सीएम साइंस कॉलेज ने विज्ञान प्रसार विभाग में एक अलग ही जगह बनाई है। मैथिली विज्ञान साहित्य की विरासत को अनुवाद करने की जरूरत है।

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि भारत विविधताओं में एकता वाला देश है। भारत सरकार ने मैथिली भाषा में भी विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए सीएम साइंस कॉलेज को चुनी है। यह मेरे विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। किसी भी भाषाओं की साहित्य दिल और उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण धड़कन होती है। मैथिली भाषा भी काफी समृद्ध है। विज्ञान साहित्य को मैथिली भाषा में बहुत कम ही अनुवादित किया गया है। आशा है कि इस वर्कशॉप से नई पीढ़ी प्रेरति होंगे और मैथिली में अनुवादित करने का कार्य करेंगे।

दूसरे सत्र में ‘मैथिली भाषा में लोकप्रिय विज्ञान साहित्य का विकास’ विषय पर डॉ. विद्यानाथ झा और प्रो. प्रेम मोहन मिश्र ने अपना विचार व्यक्त किया। ‘प्रिंट, इलेक्टॉनिक एवं सोशल मीडिया में विज्ञान लेखकों, पत्रकारों की लिए अवसर’ विषय पर डॉ. विश्वनाथ झा और डॉ. अमलेंदु शेखर पाठक ने अपना विचार व्यक्त किया। तीसरे सत्र में ‘हैंड्स ऑन साइंस फॉर प्रोमोटिंग साइंस इन मैथिली’ विषय डॉ. ब्रज मोहन मिश्र और डॉ. राम नरेश झा ने अपना विचार व्यक्त किया। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत में सीएम साइंस कॉलेज के प्रधानाचार्य ने सभी अतिथियों का स्वगात किया। उन्होंने सीएम साइंस कॉलेज को मैथिली भाषा में विज्ञान की प्रचार-प्रसार के लिए चुनने के लिए विज्ञान प्रसार विभाग का आभार व्यक्त किया। दो दिवसीय वर्कशॉप के पहले दिन कॉलेज के सभी शिक्षक और छात्र-छात्राएं मौजूद थे।