#MNN@24X7 औपचारिक कार्य से सेवानिवृत्ति के बाद व्यक्ति के जीवन का एक नया अध्याय आरंभ होता है। वैसे शिक्षक कभी भी रिटायरमेंट नहीं लेते हैं और वे आजीवन अध्ययन- अध्यापन में लीन रहते हैं। वनस्पति विज्ञान विभाग के वरीय प्रोफेसर डॉ रामनरेश झा भी सेवानिवृत्ति के बाद शैक्षणिक अवदान देते रहेंगे।असल मायने में डॉ रामनरेश झा बाटनी विभाग के रीढ़ रहे हैं।

ये बातें अतिथियों ने लनामिविवि के वनस्पति विभाग और डॉ प्रभात दास फाउण्डेशन के द्वारा वरीय प्रोफेसर डॉ रामनरेश झा की सेवानिवृत्ति के मौके पर कही। विभागीय सभागार में आयोजित कार्यक्रम दो सत्रों में संपन्न हुआ।पहले सत्र में अतिथियों और विभाग के सहकर्मियों ने डॉ आरएन झा को मिथिला की परंपरा के मुताबिक पाग,चादर और बुके प्रदान कर सम्मानित किया। साथ ही शाब्दिक उदगार के माध्यम से भावभीनी विदाई दी।

दूसरे सत्र में “बिहार विकास में औषधीय पौधों का योगदान” विषयक सेमिनार को मुख्यवक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए सेवानिवृत्त प्रो चन्द्रभूषण त्रिवेदी ने कहा कि बिहार के विकास में औषधीय पौधे महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।औषधीय पौधों की खेती हर लिहाज से फायदेमंद है। इसके जरिए कम जगह में अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है। विशेष कर मिथिला में इसकी खेती कारगर साबित हो सकती है। यहां की अधिकांश भूमि जलजमाव युक्त है, जिसके चलते ससमय बुआई करने में किसानों को कठिनाई होती हैं।ऐसे किसान निर्धारित फसल का समय गुजरने के पश्चात औषधीय फसल लगाकर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

प्रो त्रिपाठी ने अपने संबोधन के दौरान सफेद मुसली,सीबिया, पोदीना, लेमनग्रास, सहजन, मुलैठी, शतावत,हल्दी,अश्वगंधा आदि औषधीय पौधों की खेती का विस्तृत विवरण दिया।साथ ही इसकी मार्केटिंग का तरीका भी बताया।मुख्य अतिथि रूप में मौजूद विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ एस के वर्मा ने कहा कि ऐसा एक भी पौधा नहीं है जो औषधीय गुणों से युक्त नहीं होता है।भारत में औषधीय पौधों के सहारे ही इलाज किया जाता था।यह अब भी कारगर है, पर जानकारी के अभाव में लोग इसका प्रयोग कम कर रहे हैं।इसकी खेती से व्यक्ति और राज्य दोनों का विकास संभव है।

रसायन शास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो प्रेममोहन मिश्र ने कहा कि मिथिला में औषधीय पौधों की खेती लायक भूमि मौजूद है।अगर यहां के युवा इस दिशा में कार्य करते है तो औषधीय पौधों का बड़ा बाजार तैयार हो सकता है।जबकि वनस्पतिशास्त्री प्रो विद्यानाथ झा ने कहा कि बिहार में औषधीय पौधों का उद्योग खड़ा किया जा सकता है।देश में दवाई कंपनियां विदेशों से औषधीय पौधों का आयात करती हैं।अगर यह बिहार में उपलब्ध होगा तो पूरे देश में यहां से सप्लाई की जा सकती हैं।सेमिनार सह विदाई सम्मान कार्यक्रम को डॉ के के साहु,डॉ आर एन मिश्रा, डॉ विनय कुमार सिंह आदि ने भी संबोधित किया।

अतिथियों का स्वागत वनस्पति शास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो शहनवाज जमील ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रो गजेन्द्र प्रसाद ने किया।कार्यक्रम का संचालन विभाग की छात्रा भवानी कुमारी एवं साधना मिश्रा ने संयुक्त तौर पर किया।