•सिविल सर्जन ने सारथी रथ को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
• सारथी रथ से माइकिंग कर लोगों को परिवार नियोजन खासकर पुरुष नसबंदी के प्रति किया जाएगा जागरूक
• महिला बंध्याकरण की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित

#MNN@24X7 मधुबनी, 17 नवंबर- मिशन परिवार विकास अभियान के तहत 14 से 20 नवंबर तक दंपति संपर्क सप्ताह चलाया जा रहा है । इस दौरान लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने के लिए गुरुवार को सिविल सर्जन डॉ.सुनील कुमार झा ने 15 जागरूकता वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. सारथी रथ के माध्यम से अगले 5 दिनों तक चलने वाले दंपति संपर्क सप्ताह के दौरान जिला के सभी प्रखंडों में माइकिंग कर लोगों को परिवार नियोजन खासकर पुरुष नसबंदी के प्रति जागरूक किया जाएगा।

डॉ. झा ने बताया कि परिवार नियोजन सेवाओं को सही मायने में धरातल पर उतारने और समुदाय को छोटे परिवार के बड़े फायदे की अहमियत समझाने की हरसंभव कोशिश सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनवरत की जा रही है। यह तभी फलीभूत हो सकता है जब पुरुष भी खुले मन से परिवार नियोजन साधनों को अपनाने को आगे आएं और उस मानसिकता को तिलांजलि दे दें कि यह सिर्फ और सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है। पुरुष नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती है, यह गलत धारणा है।

इसको मन से निकालकर यह जानना बहुत जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी अत्यधिक सरल और सुरक्षित है इसलिए दो बच्चों के जन्म में पर्याप्त अंतर रखने के लिए और जब तक बच्चा न चाहें तब तक पुरुष अस्थायी साधन कंडोम को अपना सकते हैं। वहीं परिवार पूरा होने पर परिवार नियोजन के स्थायी साधन नसबंदी को भी अपनाकर अपनी अहम जिम्मेदारी निभा सकते हैं।

दो और तीन बच्चों के पिता को किया जाएगा जागरूक :

अभियान के दौरान दो और तीन बच्चों के पिता को पुरुष नसबंदी करवाने के लिए प्रेरित किया जाएगा इसके साथ ही एक बच्चे के पिता को परिवार नियोजन के अस्थाई उपाय के रूप में कंडोम इस्तेमाल करने और दो और तीन बच्चों के पिता को पुरुष नसबंदी करवाने के लिए प्रेरित करते हुए इसके लिए आवश्यक साधन उपलब्ध कराए जाएंगे । उन्होंने बताया कि जिला भर के सभी अस्पतालों और प्राथमिक – सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर परिवार नियोजन के स्थाई साधन के रूप में महिला बंध्याकरण और पुरुष नसबंदी और अस्थाई साधन के रूप में गर्भनिरोधक गोली और इंजेक्शन के साथ- साथ कॉपर टी लगवाने की सुविधा उपलब्ध हैं। इसी तरह पुरुषों के लिए भी कंडोम उपलब्ध हैं ।

अधिक सरल है पुरुष नसबंदी:

सिविल सर्जन ने बताया कि पुरुष नसबंदी मामूली शल्य प्रक्रिया है। यह महिला नसबंदी की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और सरल है। इसके लिए न्यूनतम संसाधन, बुनियादी ढांचा और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता है। पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में कई प्रकार का भ्रम फैला हुआ है। इस भ्रम को तोड़ना होगा। छोटा परिवार सुखी परिवार की अवधारणा को साकार करने के लिए पुरुष को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाने की जरूरत है।

मौके पर जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ दयाशंकर निधि, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास, आयुष्मान भारत डीपीसी कुमार प्रियरंजन, अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद, डीसीक्यूए डॉक्टर कमलेश शर्मा, केयर इंडिया के डीटीएल महेंद्र सिंह सोलंकी सहित अन्य कर्मी उपस्थित थे.