#MNN@24X7 ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय प्रशासन अधिनियम, परिनियम तथा विनियमन से बंधा हुआ। साथ ही साथ सरकारी संकल्पों एवं अधिसूचनाओं का पालन करना भी आवश्यक होता है। इसलिए विश्वविद्यालय कोई भी कार्य सरकारी नियमों के विरुद्ध नहीं कर सकता। उक्त बातें विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफ़ेसर मुश्ताक अहमद ने कही।
उन्होंने कहा कि अयाची मिथिला महिला महाविद्यालय के एक फर्जी शिक्षक डा राम मोहन झा वर्षों से सरकारी राशि का गबन कर रहे थे एवं सांख्यिकी विषय में एमए या एमएससी की डिग्री नहीं रहते हुए भी सांख्यिकी के शिक्षक के रूप में कार्यरत थे जो न केवल अवैध था, बल्कि अनैतिक भी। उन्होंने न केवल सरकारी राशि का गबन किया, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया है। जिस विषय की योग्यता न थी उस विषय के शिक्षक बने रहे।
इसी प्रकार उनकी पत्नी श्रीमती रत्ना झा स्थानीय एमएमटीएम कॉलेज में राजनीति विज्ञान की शिक्षिका के रूप में कार्यरत थी। जांचोपरांत इन दोनों की सेवा अवैध साबित हुई और उक्त दोनों कॉलेजों को इन दोनों के विरुद्ध समुचित कार्रवाही करने का पत्र 3 माह पूर्व विश्वविद्यालय द्वारा दिया जा चुका है।अब
झा अपनी अवैध पद पर पुनः रहने के लिए विश्वविद्यालय पर दबाव बनाने की राजनीति कर रहे हैं,लेकिन विश्वविद्यालय नियम, परिनियम और विनियमन के विरुद्ध कोई कार्य नहीं कर सकता है और न ही किसी दबाव में आ सकता है।
जहां तक संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों के मांगों का प्रश्न है विश्वविद्यालय सरकारी मानकों के अनुसार कार्य कर रहा है और शीघ्र ही उनकी न्यायोचित सभी समस्याओं का समाधान कर लेगा। कुलसचिव ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि जो व्यक्ति वर्षों से सरकारी राशि का गबन कर रहा था और छात्र- छात्राओं को धोखे में रखकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा था, ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई हुई है तो उनके पक्ष में कुछ लोग विश्वविद्यालय पर दबाव बनाने हेतु धरना व प्रदर्शन कर रहे हैं और सीनेट के घेराव की बात भी कर रहे हैं। सीनेट की बैठक छात्रों, शिक्षकों एवं कर्मियों के हित के लिए होती है। उसमें बाधा डालने का क्या औचित्य है? प्रजातांत्रिक तरीके से अपनी मांग रखने का सभी को अधिकार है, जिसका विश्वविद्यालय हमेशा स्वागत करता रहा है।