#MNN@24X7 जन सुराज पदयात्रा के दौरान सिवान में पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर 40 हजार करोड़ रूपये खर्च हो रहे हैं। नेतरहाट जैसे सरकारी स्कूल जो बिहार झारखंड के अलग होने से पहले संचालित होते थे, वैसे स्कूल प्रत्येक प्रखंड में खोलने के लिए हर साल करीब 15 हजार करोड़ का खर्च आएगा।
उन्होंने कहा कि हम लोगों की सोच ये है कि हर साल प्रत्येक प्रखंड में 1 विश्व स्तरीय स्कूल खोला जाए और 5 सालों मे 5 स्कूल प्रत्येक प्रखंड में उचित जगह पर खोले जाएं, तो जो जियो मैपिंग हम कर रहे हैं, उसके हिसाब प्रत्येक बच्चों को आधे घंटे से भी कम समय में बस द्वारा स्कूल पहुँचाया जा सकता है। हमारी सोच ये है की स्कूल को बच्चों तक नहीं भेजना है, बच्चों को स्कूल तक भेजना है। क्योंकि बिना सोचे समझे जो ये स्कूल आज के समय मे खोले जा रहे हैं, उससे अच्छा है की हर साल 1 प्रखंड मे 1 स्कूल खोला जाए तो अगले 10 सालों में 10 स्कूल प्रत्येक प्रखंड में खुल जाएंगे। यदि एक प्रखण्ड मे 10 नेतरहाट जैसे सरकारी स्कूल खुल गए तो उस समय की शिक्षा व्यवस्था के बारे मे आप परिकल्पना कीजिए कि वहां कैसी पढ़ाई होगी और किस तरह के बच्चे वहां से निकलेंगे।