#MNN@24X7 दरभंगा, मैथिली साहित्य के शिखर पुरुष पं गोविंद झा का बुधवार की रात्रि पटना में निधन हो गया। 102 वर्षीय वयोवृद्ध साहित्यकार के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान परिवार की ओर से शोक संवेदना व्यक्त करते हुए संस्थान के अध्यक्ष सह कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशि नाथ झा ने कहा कि वे मैथिली के वरद् पुत्र थे। उनके निधन से मैथिली एवं संस्कृत सहित अनेक भाषा साहित्य को अपूर्णीय क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि पं गोविंद झा की दिनचर्या में रचना कर्म के लिए आजीवन ब्रह्म मुहूर्त का समय निर्धारित रहा, जिस कारण उनकी रचनाओं में एक अलग तरह की ताजगी स्पष्ट तौर पर देखने को मिलती है।

महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उनकी रचनाओं को मैथिली एवं संस्कृत सहित अनेक भाषा साहित्य की श्री वृद्धि करने में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि उनकी प्रकाशित पुस्तकों का अधिक से अधिक अध्ययन एवं प्रकाशित पांडुलिपियों का प्रकाशन उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि पं गोविंद झा अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान थे। वे आत्म संयमी एवं व्यवहार कुशल होने के साथ-साथ किसी भाषा साहित्य के सर्वांगीण विकास के पक्षधर थे।

संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डा बुचरू पासवान ने कहा कि पं गोविंद झा ने जीवन पर्यंत आडंबर की बजाय व्यावहारिकता को महत्व दिया। यह उनकी विशेषता थी। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि स्वाध्याय के बल पर विभिन्न भाषाओं को सीखने वाले पं गोविंद झा ने मैथिली को शास्त्रीय भाषा साबित करने में अभूतपूर्व योगदान दिया।इसके लिए उन्होंने शब्दकोश के निर्माण से लेकर मैथिली का व्याकरण तक लिखा।

प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि वह एक ऐसे पंडित थे जिन्होंने आजीवन कर्म को ही सर्वश्रेष्ठ पूजा का स्थान दिया। पीजी मैथिली विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो धीरेंद्र नाथ झा ने कहा कि विद्यापति गीतों के संचयन एवं इसकी तार्किक व्याख्या करने वाले पं गोविंद झा महा मानव थे।

मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि बहु भाषाविद् एवं मैथिली के समादृत रचनाकार पं गोविंद झा में रचना शिल्प की अद्भुत दूर-दृष्टि थी। वे भावी पीढ़ी को समय के माकूल तैयार करने के प्रबल पक्षधर थे। वरिष्ठ साहित्यकार डा महेंद्र नारायण राम ने कहा कि उनकी संयमित दिनचर्या और विशिष्ट रचनाधर्मिता सभी के लिए अनुकरणीय है। महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा ने कहा कि पं गोविंद झा ने कथा, कविता, नाटक आदि की अपनी रचनाओं में समकालीन मिथिला के सामाजिक-सांस्कृतिक शैक्षणिक कुरीतियों-पाखंडों को बड़ी ही निर्ममता के साथ उजागर किया है, यह समाज के विकास की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उनके निधन पर डा गणेशकांत झा, विनोद कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, प्रो विजयकांत झा, दुर्गानंद झा, डा महानंद झा, सुधीर कुमार झा, आशीष चौधरी पुरुषोत्तम वत्स, नवल किशोर झा आदि ने भी शोक जताया।