दरभंगा। भारत में प्रतिवर्ष एक लाख से ऊपर बच्चे डायरिया से अकाल मृत्यु प्राप्त हो जाते हैं। दुर्भाग्य से बिहार दस्त जनित रोगों में भारत में सर्वोच्च स्थान पर है और नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे में 4 के 10.4% से बढ़कर ताजे नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे 5 में 13.7 %पर आ गया है। दस्त को ना सिर्फ रोका जा सकता है, बलिक समय पर ओ आर एस और जिंक का इस्तेमाल सुनिश्चित कर मृत्यु दर को शुन्य पर लाया जा सकता है।

सघन दस्त निवारण पखवारा 2022 के अवसर पर नर्सों , चिकित्सकों एवं अभिभावकों को जागरूक करते हुए दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य एवं शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ केएन मिश्रा ने दस्त शुरू होते हई ओ आर एस और जिन्क के इस्तेमाल का संदेश जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।

सघन दोस्त निवारण बटवारा के अवसर पर शिशु विभाग के प्रांगण में एक नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया, जिसके दौरान उपस्थित अभिभावकों को बच्चों के लिए ओआरएस के पैकेट बांटे गए।

इस अवसर पर डॉ ओमप्रकाश ने स्वच्छता और शुद्ध पेयजल के ऊपर जोर देते हुए कहा की गंदगी दस्त को निमंत्रित करती है, अतः खाने पीने से पहले हांथ को साबुन से अच्छे से मांजे। बरसात के मौसम में खुले में बिकने वाली चीजों पर मक्खियां भिनकती हैं। अतः ठेले पर और खुले में बिकने वाले खाने पीने के समान का इस्तेमाल ना कर दस्त से बचा जा सकता है।

डॉ अशोक कुमार ने कहा कि बिहार में ग्रामीण इलाकों में दस्त दर भारत में सबसे ज्यादा है, इसलिए हमें दस्त के रोकने के उपायों को घर-घर – गांव गांव तक पहुंचाना है। उन्होंने सभी से रोटावायरस वैक्सीन लेने का आह्वान किया, जो खतरनाक दस्त से बचाता है।

डा एन पी गुप्ता ने बताया कि दस्त कुपोषण का महत्वपूर्ण कारण है। दस्त से बचाने के लिए हर शिशु को जन्म के तुरंत बाद से मां का स्तनपान और 6 महीने बाद मां के दूध के साथ घर के पौष्टिक भोजन जरूर देना है।

डॉ रिजवान हैदर ने कहा कि शिक्षा दस्त को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण साधन है , इसलिए महिलाओं को शिक्षित बनाना है। साथ ही उन्होंने कहा कि शौचालय का घर में निर्माण दस्त जनित रोगों को कम करने का महत्वपूर्ण साधन है।

उन्होंने जोर देकर कहा जहां सोच वहां शौचालय। जास्त रोगों को रोकने के जागरूकता का यह कार्यक्रम 30 जून तक पूरे राज्य में चलेगा। इस दौरान आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर ओआर एस के पैकेट वितरित किए जाने हैं।