दरभंगा। विज्ञान की बदौलत ही हमारा समाज विकसित बना है।विज्ञान की विचारधारा समाजवादी है।विज्ञान से हर वर्ग को फायदा हुआ है।यही कारण था कि मिथिला के लाल वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा ने रिटायर होने के बाद बच्चों में वैज्ञानिक चेतना भरने का बीड़ा उठाया।ये बातें प्रसिद्ध रसायनशास्त्री एवं पूर्व प्राचार्य डॉ प्रेममोहन मिश्रा ने स्मृति शेष पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ मानस बिहारी वर्मा के प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित समाज के विकास में विज्ञान की भूमिका विषयक संगोष्ठी में कही।

डॉ प्रभात दास फाउण्डेशन एवं विजन सिविल सर्विस सेंटर के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में डॉ मिश्रा ने डॉ मानस बिहारी वर्मा के द्वारा मिथिला में किए गए कार्यों को उकेरा और कहा कि रिटायर होने के बाद उन्होंने एसी में रहने की अपेक्षा गाँव-देहात की तपती धूप में कार्य करना पसंद किया।इस संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आईएमए के सचिव सह डॉ रमण प्रसाद वर्मा ने कहा कि समाज विकास में विज्ञान का अनुपम योगदान रहा है।

डॉ मानस बिहारी वर्मा ने अपने कार्यों से मिथिला में वैज्ञानिकपूर्ण समाज स्थापना का सफल प्रयास किया।वे बच्चों के क्रियाशील दिमाग को वैज्ञानिक चेतना से लैस करना चाहते।उनका मानना था आनेवाले दिनों में बिना विज्ञान के एक भी कदम चलना मुश्किल होगा।इसलिए वे भावी पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच उत्पन्न करना चाहते थे।संगोष्ठी में बोलते हुए गाँधीवादी चिंतक अजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि विज्ञान और समाज एक दूसरे के पूरक है।इस बात को डॉ मानस बिहारी वर्मा ने अपने क्रियाकलापों से सिद्ध किया है।असल में वैज्ञानिक डॉ वर्मा सही मायने में सामाजिक कार्यकर्ता थे।जब वर्ष 2004 में पूरा मिथिला बाढ़ में डूबा हुआ तो वे कोसी-कमला दियारा में शिविर लगाकर मुख्य सेवादार की भूमिका निभा रहे थे।बाढ़ से लोगों के सूजे हाथ-पैरों पर वे स्वयं सरसों का गरम तेल लगाते थे।उनकी सोच और मानव सेवा अद्भुत थी।वे सही अर्थों में महामानव थे।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विजन सिविल सर्विस सेंटर के निदेशक अजय किशोर ने कहा कि जिस तरह से विज्ञान समाज का विकास संपूर्णता से चाहता है उसी प्रकार से वर्मा साहेब ने विज्ञान को आत्मसात करने में अपना जीवन लगा दिया।वे अंतिम क्षणों तक लोगों में वैज्ञानिक चेतना भरते रहे।सांइस वैन लैब के जरिए जिस प्रकार से उन्होंने गांव-देहात के स्कूलों में जाकर बच्चों को विज्ञान की बारिकियों से अवगत कराया वैसा प्रयास फिर से आरंभ होना चाहिए।अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन करते हुए फाउण्डेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने कहा कि डॉ वर्मा के अभियान को फिर से गति देने का प्रयास किया जाएगा।इस संगोष्ठी के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि दरभंगा में खुलनेवाले सांइस सेंटर को डॉ वर्मा के नाम पर रखा जाए।इस हेतु राज्य सरकार को प्रतिवेदन देने पर भी सहमति बनी।

वहीं दूसरी तरफ इस अवसर पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में सफल रहे रौशनी कुमारी,निधि,नेहा,आजंनेय,रूपा,सपना, अर्पणा, अंकुर, रूबी तथा इन्द्रजीत रमण को क्रमशः प्रथम से दसवें स्थान के लिए पुरस्कार दिया गया। मौके पर फाउण्डेशन के अनील सिंह,राजकुमार, शांतुन कुमार, आर्यन कुमार आदि मौजूद थे।कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों ने डॉ मानस बिहारी वर्मा के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर किया।