दरभंगा, 17 मई 2022 :- बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता में बिहार में बढ़े उद्योग, हथकरघा, हस्तशिल्प एवं रेशम उद्योग को बढ़ावा देने को लेकर उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौंड्रिक, उद्योग विभाग के निदेशक पंकज दीक्षित एवं संबंधित जिलाधिकारी, उप विकास आयुक्त एवं अनुमंडल पदाधिकारी के साथ ऑनलाइन बैठक की गयी।
बैठक में उद्योग विभाग की योजनाओं की स्थिति से प्रधान सचिव, उद्योग विभाग द्वारा बारी-बारी से अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि बिहार में बढ़े उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा बिहार उद्योग प्रोत्साहन नीति 2016 के अंतर्गत बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पार्षद (एसआईपीबी) का गठन किया गया है।
इसके अंतर्गत सुक्ष्म, लघु एवम मध्यम उद्योग के लिए 25 लाख रुपये से 50 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाले उद्यमियों को सिंगल विंडो सिस्टम की सुविधा जिसमे निबंधन, वित्तीय सहायतार्थ 10से 12 %का ब्याज अनुदान एवं अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती है। तथा
राज्य सरकार अपनी स्वीकृति वैट के विरूद्ध 80%की प्रतिपूर्ति, विद्युत में 100%की प्रतिपूर्ति उद्यमियों को लौटा देती है।
वर्तमान में बिहार में 377 औद्योगिक इकाई कार्यरत हैं। जिनमे दरभंगा के 7 औद्योगिक इकाई कार्यरत हैं। मेसर्स रमेश महासेठ वेयरहाउस लाधा,पिंडारुच, नूतन भव्या रूरल एग्रो सलूशन प्राइवेट लिमिटेड बहादुरपुर,मेसर्स नाडा ब्रिक्स इंडस्ट्रीज, शीशो, दरभंगा,मेसर्स बालाजी इंडस्ट्रीज, कबीरचक, दरभंगा जो प्लास्टिक बैग के पाउच पर प्रिंटिंग करती है,मेसर्स महालक्ष्मी इंडस्ट्रीज, बेला इंडस्ट्रियल एस्टेट, दरभंगा जो मैदा चिप्स बनाती है,मेसर्स अम्बे फूड प्रोडक्ट्स, दोनार इंडस्ट्रियल एरिया, दरभंगा, जो कुरकुरे और नमकीन बनाती है एवं श्यामा एग्रो फूड्स दरभंगा, कोल्ड स्टोरेज,
हावीभौर के समीप शामिल हैं।।
प्रधान सचिव ने उद्योग विभाग के द्वारा बताया गया कि उद्योग विभाग लघु एवं कुटीर उद्योग के प्रोत्साहन हेतु तीन क्षेत्र में कार्य कर रहा है। जिनमें हथकरघा, हस्तशिल्प और रेशम उद्योग शामिल हैं।
बताया गया कि हस्तशिल्प में मधुबनी पेंटिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने मधुबनी पेंटिंग के शिल्पीयों को पटना के उपेंद्र महारथी संस्थान से जोड़ने को कहा, यह संस्थान दिल्ली एवं अन्य राज्यों में मार्केटिंग करती है।
उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प में बिचौलियों से बचाने हेतु कारीगरों को सीधे लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। रेशम उद्योग के संबंध में बताया गया कि भागलपुर, बांका, नवादा, जमुई और मुंगेर में तशर रेशम, बेगूसराय और मुजफ्फरपुर में अंडी रेशम तथा सीमांचल में मलबरी रेशम का उत्पादन किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए भागलपुर, बांका, नवादा, जमुई, मुंगेर में तशर एवं बेगूसराय, मुजफ्फरपुर में अंडी तथा सीमांचल क्षेत्र में मलबरी का अधिक से अधिक पौधा रोपण मनरेगा के माध्यम से कराया जाए ताकि रेशम उत्पादन में वृद्धि हो सके।
उन्होंने कहा कि उद्योग रोजगार प्रदान करता है।
यदि आप उद्योग को बढ़ावा देते हैं तो रोजगार के अवसर अधिक से अधिक उत्पन्न होंगे।
उन्होंने बताया कि बिहार में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के अंतर्गत 4 योजनाएं कार्यरत हैं-जिनमें मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री अति पिछड़ा वर्ग उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना एवं मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना। इनमें केवल युवा उद्यमी योजना के उद्यमियों को ही 1 प्रतिशत ब्याज देना पड़ता है,बाकी तीनों योजना में ब्याज नहीं लगता है।
इस योजना के अंतर्गत अधिकतम 10 लाख रुपये उपलब्ध कराया जाता है जिनमें 50 प्रतिशत अनुदान है एवं 50 प्रतिशत राशि पूरी किस्त मिलने तथा उद्योग चालू होने के एक वर्ष बाद से 84 किस्तों में लौटाना होता है।
बताया गया कि दरभंगा में इन चारों योजनाओं के अंतर्गत 594 आवेदकों का चयन किया गया है। जिनमें से 80 को प्रशिक्षित कर राशि 40% अर्थात 400000 लाख करा दी गई हैं ।40 आवेदकों का आरसेटी,दरभंगा( ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान) के माध्यम से प्रशिक्षण दिलवाया जा रहा है। जून 2022 तक से सभी आवेदकों को प्रशिक्षित करने हेतु पॉलिटेक्निक तथा इंजीनियरिंग कॉलेज से वार्ता की जा रही है।
भारत सरकार की योजना प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत युवाओं को 10 लाख से 25 लाख रुपये तक का ऋण मुहैया कर स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।
दरभंगा जिला में वर्ष 2021-22 में 100 लक्ष्य के विरुद्ध 71 आवेदन को ऋण हेतु अग्रसारित किया गया है। इसके योजना के अंतर्गत शहरी क्षेत्र के सामान्य लाभुकों को 15 प्रतिशत अनुदान पर 10 लाख से लेकर 25लाख रुपये तक का ऋण तथा ग्रामीण क्षेत्र के सामान्य वर्ग के आवेदकों को
25 प्रतिशत अनुदान पर ऋण प्रदान की जाती है।
इसमें स्पेशल कैटिगरी, ओबीसी, एससी/एसटी को 35 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इसमें आवेदक को कुल परियोजना लागत का सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत एवं विशेष कैटोगरी को 5 प्रतिशत अपनी राशि लगानी पड़ती है। इस योजना के तहत स्वरोजगार हेतु वन, खनिज, खाद्य, कृषि, इंजीनियरिंग, रसायन आधारित, वस्त्र, गैर परंपरागत ऊर्जा एवं सेवा उद्योग स्थापित किया जा सकता है।
सेवा उद्योग के लिए 10 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाता है बाकी क्षेत्र के लिए 25 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाता है।
बैठक में प्रधान सचिव ने सभी जिलाधिकारी को एक्सप्रेस वे एवं हाई वे के 02 किलोमीटर की परिधि में 50 एकड़ जमीन औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने हेतु क्रय करने का प्रस्ताव देने का निर्देश दिया।
बुनकरों को प्रोत्साहित करने हेतु 10 हजार रुपये का ऋण पूंजी के लिए प्रदान किया जा रहा है। इसके अंतर्गत लगभग 05 हजार बुनकरों को शामिल किया गया है।
प्रधान सचिव ने सभी जिलाधिकारी को उद्यमियों के साथ मासिक बैठक करने तथा बैंकर्स की बैठक में उद्योग विभाग की भी समीक्षा करने का निर्देश दिया।
बैठक में उप विकास तथा सुल्तानिया द्वारा जिला औद्योगिक नवप्रवर्तन योजना अंतर्गत स्थापित क्लस्टर को दी जाने वाली वित्तीय सुविधा को बढ़ा कर दो करोड़ तक करने का सुझाव दिया गया।
प्रधान सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री कलस्टर विकास योजना के अंतर्गत ऋण की राशि 20 करोड़ रुपये तक बढ़ाई जा सकती है।
दरभंगा एनआईसी से अपर समाहर्ता-सह-प्रभारी जिलाधिकारी विभूति रंजन चौधरी, उप विकास आयुक्त तनय सुल्तानिया, उप निदेशक जन संपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र मो. अंजारुल हसन, उद्योग विस्तार पदाधिकारी अमित कुमार एवं नंदकिशोर यादव उपस्थित थे।