उत्तर बिहार में उद्यमीय संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता: प्रोफेसर सिन्हा

उद्यमिता के विकास के बगैर औद्योगिक विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। उद्यमी से हमारा तात्पर्य वैसे व्यक्ति से होता है जो सृजनात्मकता के सहारे नए विचार या नए उत्पाद को सामने लाते हैं, उन्हें व्यावसायिक अवसर की पहचान कर उसका विदोहन करना होता है। इसमें उन्हें जोखिम वहन करना पड़ता है।

उद्यमिता के विकास के लिए उद्यमीय संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। बेरोजगारी, उपलब्ध संसाधनों की बर्बादी एवं आय असमानता जैसी समस्याओं के समाधान का उद्यमिता विकास ही एकमात्र उपाय है। प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने विश्वविद्यालय वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशाशन विभाग द्वारा आयोजित उत्तर बिहार में उद्यमिता विकास विषयक तीन दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही।

कार्यशाला का उद्घाटन सत्र का शुभारंभ मुख्य अतिथि माननीय प्रति कुलपति महोदया प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ; मुख्य वक्ता विनोद शंकर सिंह, पूर्व महाप्रभंधक , जिला उद्योग केंद्र, मधुबनी; सम्मानित अतिथि कुल सचिव प्रोफेसर मुस्ताक अहमद एवं वित्तीय परामर्शी कैलाश राम; अध्यक्ष भूतपूर्व कुलपति प्रोफेसर एस एम झा, वाणिज्य संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर बी बी एल दास, वाणिज्य विभागाध्यक्ष सह निदेशक प्रोफेसर ए के सिंह, कार्यशाला के संयुक्त आयोजन सचिव डॉ दिवाकर झा की उपस्थिति में दीप प्रज्वलन से हुआ।

सभी अतिथियों, प्रतिभागियों समेत अन्य का स्वागत करते हुए कार्यशाला के आयोजन सचिव प्रोफेसर ए. के. सिंह ने माननीय कुलपति महोदय का साधुवाद ज्ञापन किया जिनके निर्देशन एवं नेतृत्व में यह आयोजन संभव हुआ। उन्होंने विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों से मिले सहयोग की भी चर्चा की।

कार्यशाला के मुख्य मुद्दों एवं पह्लूवों की सरल व्याख्या प्रोफ़ेसर बी.बी.एल. दास ने प्रस्तुत की। मुख्य वक्ता विनोद शंकर सिंह ने उद्यमिता विकास के विभिन्न आयामों को रेखांकित किया। उन्होंने एक नए उद्यमी के सम्मुख उपस्थित होने वाली समस्याओं तथा उनके समाधान के उपाय भी सुझाए।

कुल सचिव प्रोफ़ेसर मुस्ताक अहमद ने माननीय कुलपति महोदय का संदेश वाचन किया। अध्यक्षीय संबोधन में पूर्व कुलपति प्रोफेसर एस. एम. झा ने उत्तर बिहार के युवाओं को उद्यमिता को व्यवसाय के रूप में अपनाने की वकालत की। उन्होंने उद्यमीय संस्कृति के विकास तथा उपलबध प्रचुर व्यावसायिक अवसरों का लाभ उठाने की बात की। साथ ही उद्यमिता को सामाजिक प्रतिष्ठा दिए जाने की बात कही।
उद्घाटन सत्र का समापन पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एस. के. सिंह के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। मंच संचालन विभागीय शिक्षक एवं कार्यशाला के संयुक्त आयोजन सचिव डॉ दिवाकर झा ने किया।

यह कार्यशाला आगामी दो दिनों तक जारी रहेगा। आज दोपहर बाद 2:30 बजे से पहला तकनीकी सत्र आयोजित हुआ जिसकी अध्यक्षता पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आई सी वर्मा ने की जिसमें 250 के लगभग प्रतिभागियों की उपस्थिति रही। इस सत्र में शिव कुमार सिंह, पूर्व महाप्रभंडक, जिला उद्योग केंद्र, शिवहर; सी ए मनोज कुमार चौधरी एवं मिथिला पिकल्स चटनी प्राइवेट लिमिटेड, दरभंगा की संस्थापक एवं निदेशक कल्पना झा ने अपने विचार रखे। प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं को भी सत्र में स्थान मिला। इस सत्र के समन्वयक विभागीय शिक्षक श्याम कुमार थे।