मनीगाछी। भागवत भूषण श्री श्री 108 पंडित माधव दास जी महाराज का वार्षिक गमनोत्सव शनिवार को चनौर, मकरंदा, वृंदावन जगन्नाथ पुरी समेत कई जगहों पर मनाया गया। मौके पर चनौर एवं मकरंदा में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया।
संत किशोरी चरण दास एवं श्रीधर स्वामी ने कथा वाचन किया। जबकि वृंदावन में सूरमा कुंज एवं जगन्नाथपुरी में संत हरिदासजी महाराज की भजन स्थली सिद्ध बकुल में संत भंडारा के साथ विद्वत गोष्ठी का आयोजन किया गया। पंडित परम भागवत श्री श्री 108 गोस्वामी रास बिहारी दास जी महाराज के शिष्य थे।
व्रजवासी संत प्रेमदास शास्त्री महाराज में बड़ी सुरमा में आयोजित संत सेवा के बाद विद्वत गोष्ठी में कहा कि पंडित जी महाराज जीवन पर्यंत मिथिला में श्रीमद्भागवत के गुण रहस्य को उद्घाटित करते रहे। उनके श्रीमुख से कथा सुनने के लिए भागवत अनुरागी संत सदा लालायित रहते थे। इसलिए महात्माओं ने भागवत भूषण की उपाधि से विभूषित किया था। चनौर में आयोजित गोष्ठी में महात्माओं ने पंडित जी के सरल जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने शरणागति का सही अर्थ समझ कर अपने गुरु के आज्ञा के अनुसार जीवनपर्यंत गौरीय वैष्णव धर्म का प्रचार-प्रसार करते रहे।
उनकी मीठी एवं सरल वाणी से जब कथा का प्रवाह निकलता था तो उसमें श्रोता गण गोते लगाते रहते थे। 5-6 घंटे तक कथा सुनने के बाद भी श्रोता कभी थकते नहीं थे। वृंदावन में प्रोफेसर की नौकरी एवं बंगीय हिंदी साहित्य परिषद् के प्रथम अध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुके पंडित जी महाराज संतो के कहने पर जीवन भर भागवत धर्म का प्रचार-प्रसार करते रहे। उन्होंने हजारों व्यक्ति पर कृपा कर उन्हें सब मार्ग पर लाने का काफी प्रयास किया। वे कहते थे कि एक मानव पर संपूर्ण मानव का दायित्व होता है।
इसलिए वैष्णवों को भजन भी संपूर्ण जगत में मंगल हो रहा है इस कामना से रहना चाहिए। महाराज जी सदा हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे महामंत्र लेने एवं श्रीमद्भागवत पाठ करने की सलाह अपने शिष्यों को देते थे। साथ ही सामाजिक दायित्व का भी निर्वहन करने पर बल दिया करते थे।
मौके पर कई जगहों पर अष्टयाम संकीर्तन का आयोजन किया गया। सत्संग के दौरान प्रमोद बाबा, सुबल दास बाबा, चरण दास, प्रेमा दासी, मुखिया मदन कुमार यादव, गोपी नाथ झा कृष्णानंद झा गुणानंद चौधरी, सुरेश यादव, त्रिलोक कुमार मिश्र, रामानंद यादव उर्फ नंदी आदि ने अपने विचार रखे।