आज दिनांक 15 जून 2022 मिथिला स्टूडेंट यूनियन के द्वारा मिथिलावादी नेता अविनाश भारद्वाज के नेतृत्व में एक विशाल छात्र आंदोलन , छात्रों से जुड़े 11 सूत्री मांग के लिए किया गया । जहाँ गाँव – गाँव से हजारों-हजार की संख्या में सुदूर क्षेत्र से छात्र विश्वविद्यालय पहुँचे थे । छात्रों का जत्था म्यूजियम दरभंगा में एकत्र हुए तत्पश्चात एक बड़ी विशालकाय शक्ल में दरभंगा स्टेशन आयकर चौराहा पहुँची । छात्र आंदोलन के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन व पुलिस प्रशासन छात्रों के हुजूम को विश्वविद्यालय में प्रवेश नही करने दिया । आज पुनः वर्तमान सत्ता प्रशासन ने छात्रों के आवाज को दमन करने का काम किया है । रिजल्ट सेशन परीक्षा के लेटलतीफी से छात्र अत्यंत आक्रोशित थे । लेकिन छात्र नेताओं ने शांतिपूर्ण आंदोलन करने का निर्णय किया ।
प्रमुख छात्र नेता एवं संगठन के सदस्यों ने मेन गेट के समक्ष ही प्रदर्शन को धरना के शक्ल में बदलकर सभा को संबोधित किया ।
सभा को पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश भारद्वाज , गोपाल चौधरी , आदित्य मोहन , बिहार प्रभारी सह जिला परिषद अमित ठाकुर , राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सह जिलापरिषद धीरज कुमार झा , ई शरत झा , अमन सक्सेना , उदय नारायण झा , अभिषेक कुमार झा , प्रियरंजन पांडे , कुंदन कुमार , विनीत शेखर , गुलफाम रहमानी समेत दर्जनों से छात्र नेताओं ने संबोधित किया ।
सभा को संबोधित करते हुए छात्र नेताओं ने कहा कि :
3 साल की डिग्री देने में 4 साल -5 साल लगाना एक अत्याचार है। लाखों छात्र हर साल इस कुव्यवस्था के शिकार हैं, सेशन और डिग्री में लेट की वजह से हजारों फॉर्म नहीं भर पाते, परीक्षाओं का मौका चूक जाते हैं, कैरियर में पिछड़ जाते हैं। 4 लाख छात्रों वाले LNMU विश्वविद्यालय के 1918 शैक्षणिक पदों में सिर्फ 488 भरे हैं और 1430 (लगभग 60%) खाली हैं ? 41 कॉलेजों में लगभग 30 में स्थायी प्रिंसिपल नहीं है और नॉन-टीचिंग में 1099 पद खाली हैं। बिहार के छात्रों ने कभी नहीं मांगा की कॉलेजों में कैंपस प्लेसमेंट हो। वोकेशनल कोर्स, स्पोर्ट्स, कल्चरल इवेंट, हॉस्टल सुविधा आदि हो। जबकि देशभर में छात्रों हेतु ये बेसिक चीजें है। लेकिन बिहार के लिए ये सब तो लग्जरी हो गया, जब कॉलेजों में क्लासेज ही नहीं चलती तो फिर ये सब क्या मांगना। यहां यूनिवर्सिटिज से बस इतना एक्सपेटेशन होता है की सेशन रेगुलर हो, परीक्षा और रिजल्ट समय पर हो जाए, 3 साल की डिग्री 3 साल में मिल जाए। यूनिवर्सिटीज ये तक नहीं कर पाते।
शिक्षा हेतु 4 जिलों की 2 करोड़ जनसंख्या LNMU पर निर्भर है। 6 सांसद और करीब 36 विधायक हैं क्षेत्र में लेकिन कहीं कोई सुगबुहाहट नहीं। हमें पुनः खुद लड़ना होगा। 2017 में लड़कर हमने 3 साल की डिग्री 3 साल में दिलवाया था। पुनः एकजुट होकर आज हजारों की संख्या में विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के अधिकार के प्रति सजग कराया है । 2017 के आंदोलन के बाद से मिथिला विश्वविद्यालय में सत्र नियमित था वर्ष 2018 और 2019 में डिग्री सही समय पर मिला था । पीजी का भी सत्र नियमित हो चूका था , लेकिन कोविड के बाद से विश्वविद्यालय प्रशासम की तानासाही और भ्रष्टाचार नीति के कारण एक बार फिर से यहाँ का सत्र अनियमित हो चूका हैं । 3 साल में मिलने वाला स्नातक का डिग्री 5 सालो में मिलने जा रहा हैं 2 सालो का पीजी 3 साल और 4 साल में होने जा रहा हैं । बीएड का सत्र लेट चल रहा हैं डिस्टेंस और लॉ में भी पढ़ाई बंद कर दिया गया हैं । 2 साल से छात्र संघ का चुनाव बंद हैं । एकेडमिक कैलेंडर का पालन नहीं किया जाता हैं कॉलेज डिपार्टमेंट में शिक्षकों की कमी हैं हम इसी का विरोध करने के लिए आये हैं । मिथिला विश्वविद्यालय के किसी भी कॉलेज डिपार्टमेंट में छात्रों को शिक्षा नहीं दिया जाता हैं । छात्र जैसे तैसे अपनी पढ़ाई पूरा कर परीक्षा में शामिल होते हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन भ्रष्टाचार और कमीशन के कारण छात्रों का रिजल्ट रोक कर रखने का काम कर रहे हैं यह विश्वविद्यालय डिग्री बांटने का विश्वविद्यालय हैं , लेकिन पिछले 2 सालो में जब से विश्वविद्यालय में कुलपति और कुलसाचिव आये हैं यहाँ कुछ भी सही नहीं चल रहा हैं ।विश्वविद्यालय अब डिग्री बांटने लायक भी नहीं रहा हैं। छात्रों का रिजल्ट नहीं दिया जा रहा हैं कॉलेज में पढ़ाई चालू नहीं हैं छात्र संघ का चुनाव बंद पड़ा हुआ हैं डिस्टेंस और लॉ का मान्यता रद्द कर दिया गया हैं , अगर छात्र नहीं जागे तो आने वाले समय में स्नातक और पीजी करने के लिए भी हमलोगो को दिल्ली मुंबई का सहारा लेना पड़ेगा । यूनिवर्सिटी-प्रसाशन तथा सरकार कान मे तेल डाल कर सोयी हुई है एवं हम छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है ! कहीं नियमित रूप से क्लास का संचालन नहीं हो रहा है तो कहीं शिक्षकों का घोर अभाव है ! मूलभूत सुविधाओं जैसे लायब्ररी, प्रयोगशाला, वाईफाई, खेल-कूद, प्रतियोगिता इत्यादि की हालत तो जर्जर है ही, यहाँ तक की इनकी लापरवाही के चलते परीक्षा तथा रिजल्ट्स संचालन मे भी घोर अनियमितता है !
इंफ्रास्ट्रक्चर, रिसर्च, एवं कोर्स सुइटबिलिट-अपडेसन की बात तो जाने ही दीजिये ! कुल मिला के हमारे शिक्षा एवं भविष्य को इन्होंने गहरे अंधेरे कुएं मे धकेल दिया है ! छात्रों के मेधावी होने के बावजूद, 1972 मे ही स्थापित LNMU, 67 कॉलेज होने के बावजूद अपने अर्कमन्यता के कारण हर क्षेत्र मे फिसड्डी साबित हो रही है ! सभी जरूरी रीसोर्स के होने के बावजूद हमारे दुर्दशा के लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो यहाँ की सरकार व उनके द्वारा बनाया गया शिक्षा तंत्र।
एक टीम जिला परिषद सागर नवदिया , अध्यक्ष आदित्य मोहन ,विवि अध्यक्ष आदित्य मिश्रा , शिवेंद्र वत्स विवि प्रशासन से सफल वार्ता हुई , जहाँ इन सभी मांगो पर सफल वार्ता हुई । मांगे इस प्रकार है…
स्नातक पीजी और बीएड का रिजल्ट 3 साल और 2 साल में जारी हो । एकेडमिक कैलेंडर दिसंबर तक जारी करो । छात्र संघ चुनाव तत्काल करवाना जाए । लॉ और डिस्टेंस में पढ़ाई फिर से चालू हो । सभी कॉलेज -डिपार्टमेंट के रिक्त सीटो पर प्रोफेसर की बहाली हो । सभी कॉलेज-डिपार्टमेंट का नाम मिथिलाक्षर में अंकित किया जाए । छात्र छात्राओं को कॉलेज में लाइब्रेरी और लेबोरेट्री की सुविधा उपलब्ध हो । सरकार द्वारा एससी-एसटी और सभी वर्ग के छात्राओं का स्नातक से पीजी तक की शिक्षा तत्काल फ्री हो । विश्वविद्यालय में छात्रों हेतु हॉस्टल, लायब्रेरी, लेबोरेट्रीज, स्पोर्ट्स, कल्चरल इवेंट्स एवम वोकेशनल कोर्सेज की व्यवस्था हो। सरकारी प्रोफेसर द्वारा संचालित निजी कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाना होगा । स्वच्छ -सुरक्षित -भयमुक्त- भ्रष्टाचार मुक्त छात्रों का सुविधा जनक विश्वविद्यालय कैंपस हो ।
इस आंदोलन में विद्या भूषण राय , नीरज भरद्वाज अनीश चौधरी , जय प्रकाश झा कन्हाई झा कश्यप , राघवेंद्र रमण, मुरारी मिश्रा , कविता मंडल , पल्लवी , सुजाता कामत , मौसम मौथिल , साक्षी पाठक , राजनंदनी , मीनाक्षी , दीपक मिश्रा , सूरज कुमार , शंभु सावन , अर्जुन , धर्मेंद्र यादव , सुभाष पासवान , कृष्णणांद मिश्रा , हर्ष मिश्रा , गौतम चौधरी , रुद्र चौधरी , मोहित झा , शिवम भारद्वाज , नवीन सोनी , अमित मिश्रा समेत MSU के सैकड़ो नेतृत्वकर्ता के संग हजारों-हजार की संख्या में सेनानी उपस्थित थे ।