सरकार के भरोसे नही रहने की सलाह।
साहित्य विभाग व एनएसएस इकाई द्वारा संगोष्ठी आयोजित।
#MNN24X7 दरभंगा, संस्कृत विश्वविद्यालय के साहित्य विभाग तथा राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के संयुक्त तत्वावधान में ‘ जल संरक्षण में संस्कृत साहित्य का महत्व ‘ विषय पर सोमवार को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रो. शशिनाथ झा, मुख्यातिथि प्रो.इन्द्रनाथ झा, सम्मानित अतिथि प्रो.विश्राम तिवारी,कलानुशासक प्रो श्रीपति त्रिपाठी एवं विभागाध्यक्ष प्रो विजय कुमार मिश्र ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया ।विषय प्रवर्तन विभागीय शिक्षक डा रीतेश कुमार चतुर्वेदी ने तथा अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. मिश्र ने किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो झा ने सबसे पहले संगोष्ठी में काफी अधिक प्रतिभागियों के सम्मिलित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। साथ ही कहा कि जल संरक्षण के लिए बावड़ी ,कुंआ,तालाब आदि के निर्माण की आवश्यकता बताई। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए हमें केवल सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। बल्कि हरकिसी को इसके लिए स्वयं प्रयास करना होगा। तभी संरक्षण संभव है।
वहीं, प्रो इन्द्रनाथ झा ने लौकिक उदाहरणों के माध्यम से जल की आवश्यकता पर प्रकाश डाला । डा विश्राम तिवारी ने साहित्य शास्त्र की दृष्टि से जल की महत्ता एवं संरक्षण पर प्रकाश डाला तथा कुलानुशासक प्रो श्रीपति त्रिपाठी ने शास्त्रों का उद्धरण देते हुए जल को अमृत तथा सर्वश्रेष्ठ औषधि बतलाते हुए उसके सदुपयोग पर जोर दिया।
समापन सत्र में प्रतिकुलपति प्रो सिद्धार्थ शंकर सिंह ने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे आज के परिप्रेक्ष्य में अत्यन्त उपयोगी बतलाया । सरिसवपाही से पधारे प्रधानाचार्य प्रो कृष्णकांत झा ने संस्कृत के विविध शास्रों में वर्णित जल की महत्ता को रेखांकित करते हुए प्राचीन जीवन पद्धति के अनुसार व्यवहार को जलसंरक्षण का मुख्य आधार माना। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के साहित्य विभागाध्यक्ष प्रो हरिशंकर पाण्डेय ने आयुर्वेदिक दृष्टि से जल की महत्ता को बतलाते हुए जल को एकत्रित करने एवं उसे शुद्ध करने की विधि बतलाई।
धन्यवाद ज्ञापन प्रो रेणुका सिंहा ने तथा मंगलाचरण प्रो विनय कुमार मिश्र एवं डा संतोष कुमार पासवान ने किया। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान दो शैक्षणिक सत्र आयोजित किए गये जिनकी अध्यक्षता क्रमश: डा विनय कुमार मिश्र एवं प्रो पुरेंद्र वारिक ने की ।इन दोनों सत्रों में कुल 75 प्रतिभागियों ने आलेख प्रस्तुत किया जिनमें डा वीर सनातन पूर्णेंदु राय , प्रमोद कुमार मिश्र एवं डा निशा आदि प्रमुख थे।
सत्रों का संयोजन डा वरुण कुमार झा एवं डा प्रमोद कुमार मिश्र ने किया । संपूर्ण संगोष्ठी के संयोजक डा प्रसेनजीत सूत्रधर रहे।अन्त में राष्ट्रगान से संगोष्ठी का समापन किया गया।