#MNN@24X7 दरभंगा, 28 नवंबर, मिथिला विश्वविद्यालय में शोध की चरमराई व्यवस्था पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। इधर पिछले दो वर्षों से पीएचडी के नए सत्रों में नामांकन के लिए पैट (पीएचडी एडमिशन टेस्ट) नहीं आने से स्नातकोत्तर उत्तीर्ण छात्र–छात्राएं निराश हैं। शोध के प्रति विश्वविद्यालय प्रशासन के उपेक्षा भाव और सुस्ती पर आइसा दरभंगा के जिला सचिव मयंक कुमार ने सवाल उठाया है।
मयंक कुमार ने कहा कि नियमति सत्र का दावा करने वाले मिथिला विश्वविद्यालय प्रशासन के पास इसका क्या जवाब है कि पिछले दो वर्षों से पीएचडी में नामांकन नहीं हुआ है? यह चिंतनीय है कि शोध जगत में अहम स्थान रखने के बावजूद मिथिला विश्वविद्यालय अपने ही विवि प्रशासन की लापरवाही के कारण नैक मूल्यांकन आदि में पिछड़ जाता है। यदि विवि प्रशासन सजग रहता तो विगत नैक में मिथिला विश्वविद्यालय ए ग्रेड पा सकता था। वर्तमान में शोध करने को इच्छुक छात्र–छात्राओं के भविष्य पर जो संकट के बादल मंडरा रहे हैं, इस ओर विवि प्रशासन को ध्यान देना होगा। इसलिए हम विवि प्रशासन से मांग करते हैं कि अगले सत्रों के लिए शीघ्र से शीघ्र पीएचडी नामांकन की प्रक्रिया शुरू कर छात्रों के बहुमूल्य समय को बर्बाद होने से बचाए।