#MNN24X7 दरभंगा से (विशेष संवाददाता): दरभंगा शहरी विधानसभा सीट पर चुनावी सरगर्मी तेज़ है। गली-मोहल्लों से लेकर चौक-चौराहों तक बस एक ही चर्चा है — “इस बार कौन?” यह प्रतिष्ठित सीट न सिर्फ मिथिला क्षेत्र की सियासत की नब्ज़ मानी जाती है, बल्कि यहाँ की हवा कई बार पूरे दरभंगा जनपद का रुख़ तय कर देती है।

दरभंगा शहरी सीट पर मुकाबला हर बार की तरह दिलचस्प रहने वाला है। पारंपरिक वोट बैंक,जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और प्रत्याशियों की छवि — ये चारों तत्व इस चुनाव को बहुस्तरीय बना रहे हैं। पिछले चुनाव में इस सीट पर मुकाबला कड़ा रहा था।लेकिन इस बार हालात कुछ बदले हैं— महंगाई, बेरोज़गारी, स्थानीय विकास,नगर निगम के कामकाज और सड़क-जाम की समस्या लोगों के बीच मुख्य मुद्दे के रूप में सामने आ रहे हैं।

दरभंगा शहर का शिक्षित वर्ग इस बार चुप नहीं है। सोशल मीडिया पर बहसें गर्म हैं और युवा मतदाता पहली बार सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वहीं, परंपरागत मतदाता आज भी अपने “नाता और निष्ठा” के आधार पर निर्णय लेते नज़र आ रहे हैं। यहां इस बार “हवा” किसी एक ओर साफ़-साफ़ नहीं झुकी है। एक तरफ सत्ता पक्ष अपने कामकाज का हवाला दे रहा है, तो विपक्ष “विकास और बदलाव” के नारे पर जनता का रुझान अपने पक्ष में करने की कोशिश में है।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि दरभंगा की यह सीट सिर्फ़ एक चुनावी मैदान नहीं,बल्कि मिथिला की राजनीति की दिशा तय करने वाली कुंजी बन चुकी है। आने वाले दिनों में यह साफ़ हो जाएगा कि दरभंगा शहर की जनता विकास की निरंतरता पर भरोसा जताती है या बदलाव की ओर कदम बढ़ाती है।