संविधान विरोधी फासीवादी ताकतों को परास्त करना कम्युनिस्ट ताकतों के सामने सबसे बड़ी चुनौती–माले।

वामपंथी आंदोलन के पुराने गढ़ मिथिलांचल को फिर से खड़ा करने का संकल्प लेने की जरूरत–बैद्यनाथ यादव।

भाकपा माले के आंदोलन और वैचारिक तेवर ने कम्युनिस्ट आंदोलन को नई धार दी है–आरके सहनी।

कबीर,पेरियार,फुले,रवीन्द्रनाथ टैगोर के साथ बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत को बुलंद करने की जरूरत–डॉक्टर सुमन।

#MNN@24X7 दरभंगा 26 दिसंबर, भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन के 100 साल : उपलब्धियां और चुनौतियां के संदर्भ में एक गोष्ठी का आयोजन भाकपा माले कार्यालय में हुई। गोष्ठी को संबोधित करते हुए भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा ने कहा कि दलित–वंचितों,मजदूर–किसानों की दावेदारी के संघर्षों और नया समाज गढ़ने का पूरा इतिहास ही कम्युनिस्ट आंदोलन का इतिहास है।जमींदारी उन्मूलन में उनकी अग्रणी भूमिका थी,सामाजिक बराबरी को स्थापित करने के लिए लंबे संघर्ष का इतिहास है।70 के दशक के उत्तरार्ध में बदले माहौल को समझने में गलतियों के चलते हिंदी पट्टी में कम्युनिस्ट आंदोलन को धक्का लगा लेकिन भाकपा माले के आंदोलनात्मक तेवर ने उसे नई ताकत दी है। मौजूदा निजाम में मजदूरी महाघोटाला चल रहा है, सरकारी अभियानों और कार्यक्रम में लगे स्कीम वर्कर्स सहित करोड़ों लोगों को न्यूनतम मजदूरी से वंचित रखा जा रहा है। संवैधानिक मूल्यों और प्रगतिशील विचारों पर हमले हो रहे हैं और अवैज्ञानिक पाखंड को समाज में थोपा जा रहा है। बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों पर हमले हो रहे हैं और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वामपंथी आंदोलन की मजबूती से ही फासीवादी ताकतों को शिकस्त दिया जा सकता है।यूनाइटेड लेफ्ट मूवमेंट वक्त का तकाजा है।

गोष्ठी में बोलते हुए प्रोफेसर सुरेंद्र सुमन ने नागार्जुन, महेश्वर, गोरख पांडे को याद करते हुए कहा कि आरएसएस–भाजपा के पाखंड का मुकाबला करने के लिए हमारे पास आंबेडकर, पेरियार, फुले, रविन्द्र, नागार्जुन जैसे सामाजिक बदलाव के अनगिनत सारथी हैं।उनकी वैचारिकी संघी हमले का वैचारिक जवाब देने में सक्षम है।

माले के वरिष्ठ नेता आरके सहनी ने कहा कि दलित वंचितों की दावेदारी से ही कम्युनिस्ट आंदोलन में नया तेवर लाएगा।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए भाकपा माले की मजदूर महिला नेत्री एमएलसी शशि यादव ने सामंती पितृसत्तात्मक समाज में महिला मुक्ति और बराबरी के प्रश्नों को मजबूती से उठाया। संघर्षों का अभिन्न एजेंडा बनाया और कामकाजी महिलाओं के मुद्दे की अगुवाई कर रही है।

गोष्ठी में बोलते हुए सीपीआई के जिला सचिव नारायण जी झा ने कहा कि कम्युनिस्ट आंदोलन की उपलब्धियों को जन जन तक पहुंचाने की जरूरत है।

इस मौके पर बोलते हुए अधिवक्ता मिथिलेश्वर सिंह ने कहा कि भाजपा की सरकार संविधान को बदलने पर आमादा है।

गोष्ठी को अन्य लोगों के अलाव कल्याण प्रोफेसर रामबाबू आर्य, रामदेव मंडल, रघुवीर यादव, प्रो महेश ठाकुर, पप्पू पासवान, देवेंद्र साह, प्रिंस कर्ण, अशर्फी राम, रंजीत राम, विनोद सिंह, आदि ने संबोधित किए।गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए माले के जिला सचिव बैद्यनाथ यादव ने कहा कि आज इसकी शुरुआत हुई है।इसे साल भर चलाया जाएगा। संचालन रिसर्च स्कॉलर समीर कुमार ने किया।