#MNN24X7 दरभंगा विकसित भारत के निर्माण में स्टार्टअप की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये नवाचार, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शोध विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल होने के नाते इस क्षेत्र में स्टार्ट अप मटेरियल कन्सलटेंसी उपलब्ध करानाललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण जवाबदेही है और इसके लिए सभी स्नात्कोत्तर विभागों को साथ मिलकर योजनाबद्ध तरीके से काम करना समय की मांग है। पीजी रसायन विभाग ने इसका श्रीगणेश कर दिया है, अब बारी बांकी विभागों के उद्देश्य पूर्ण कार्य योजना तैयार करने की है।
यह बात वृहस्पतिवार को पीजी रसायन शास्त्र विभाग एवं एसोसिएशन आफ केमिस्ट्री टीचर्स, मुम्बई के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के जुबली हाल में आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कान्फ्रेंस में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति सह संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक प्रो संजय कुमार चौधरी ने कहा।
‘केमिस्ट्री आफ मटेरियल्स फार सस्टेनेबल फ्यूचर’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि आज हम तकनीकी प्रगति के युग में जी रहे हैं। जहाँ औद्योगिक उत्पादों को डिजाइन करने, इसे विकसित करने और इसका निर्माण करने के लिए क्रांतिकारी तरीकों का उपयोग हो रहा है। कारखाने जहां अधिक स्मार्ट होते जा रहे हैं वहीं, रोबोटिक्स, स्वचालन और डाटा का उपयोग परेशानी मुक्त संचालन और बुद्धिमान निर्णय लेने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न नवाचारों के उपयोग के बावजूद, अधिकांश उत्पादों में अभी भी जहरीले पदार्थ होते हैं, जिससे मानव जीवन और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। औद्योगिक क्रांति के अपने गुण हैं, लेकिन विषाक्त पदार्थों और प्रदूषकों के मामले में , इसने दुनिया को एक भयावह तस्वीर भी दिखाई है। कुलपति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 2030 के लिए निर्धारित सतत विकास एजेंडे में, ‘हरित रसायन’ के मूलभूत पहलू और सिद्धांत एक सशक्त समाधान के रूप में उभरे हैं। लेकिन पर्यावरण पर रसायनों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने और एक स्थायी भविष्य का समर्थन करने के लिए , रसायनों के निर्माण के तरीके को बदलना अभी भी कठिन चुनौती बना हुआ है।
पीजी रसायन विभागाध्यक्ष सह विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय अध्यक्ष प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि सतत और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार भविष्य के निर्माण में रसायन विज्ञान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज दुनिया जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, प्रदूषण और लगातार बढ़ती ऊर्जा मांग सरीखे अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है। सामग्री रसायन विज्ञान इन मुद्दों पर स्वच्छ ऊर्जा, कुशल संसाधन उपयोग और हरित प्रौद्योगिकियों के लिए अभिनव समाधान प्रदान करने के केंद्र में है। इस लिहाज से यह संगोष्ठी ज्ञान के आदान-प्रदान, अग्रणी शोध को साझा करने और स्थिरता के लिए सामग्री रसायन विज्ञान में अभिनव दृष्टिकोणों को प्रेरित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। उन्होंने अपने संबोधन में सभी प्रतिभागियों को उपयोगी चर्चाओं में शामिल होने, नए सहयोग बनाने और बेहतर भविष्य को आकार देने में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया।
मौके पर विश्वविद्यालय के वित्तीय सलाहकार इंद्र कुमार ने उपयोगी विषय पर इंटरनेशनल कन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए पीजी रसायन विभाग की सराहना की।
इससे पहले कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी ने मंचासीन अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अतिथियों का स्वागत मिथिला की परंपरा के अनुसार पाग, चादर, स्मृति-चिन्ह एवं पौधा प्रदान कर किया। विषय प्रवेश विभाग के शिक्षक डा अभिषेक राय ने कराया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा आकांक्षा उपाध्याय ने किया। शैक्षिक सत्र में विषय विशेषज्ञों ने अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। मौके पर संगोष्ठी की स्मारिका का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर डा प्रेम मोहन मिश्र, डा अरुण कुमार सिंह, प्रो अजय नाथ झा, डा पुष्पम नारायण, डा सविता वर्मा, डा मंजू राय, प्रो संजय कुमार चौधरी, डा सोनू राम शंकर, डा विकास कुमार सोनू सहित विश्वविद्यालय के अनेक पदाधिकारी, विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। संगोष्ठी शुक्रवार को भी जारी रहेगा।