संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति ने दिया भरोसा

कला-रंजनी मंच का धमाकेदार आगाज

प्रध्यापकों ने भी दी अपनी प्रस्तुति

दरबार हॉल में छात्रों ने दिखाई प्रतिभा

#MNN@24X7 दरभंगा, कला व संगीत प्रेमियों के लिए बड़ी खबर है कि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में फिर से ललित कला एवं संगीत विभाग को पुनर्जीवित करने की कवायद तेज हो गयी है। विभागीय औपचारिकताओं के लिए विश्वविद्यालय ने जरूरी कदम उठाना शुरू कर दिया है। आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के तहत गठित कला रंजनी मंच द्वारा शारदा सिन्ह की स्मृति में दरबार हॉल में आयोजित संगीत सन्ध्या कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय ने कुछ ऐसा ही आश्वासन दिया है।

कला रंजनी मंच के धमाकेदार आगाज से अभिभूत कुलपति ने प्रतिभागी बच्चों को पुरस्कृत करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि कला व संगीत जीवन मे सुकून देता है। विभाग के जीवित होने से बेशक बच्चों को भी लाभ होगा। सरकार व राजभवन से इसके लिए फलदायक पहल की जाएगी।

कार्यक्रम के मौके पर उन्होंने स्वर कोकिला शारदा सिन्हा को याद करते हुए उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि भी दी। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि कार्यक्रम का विषय ‘ शारदा सिन्हा जी की स्मृति में संगीत संध्या ‘ रखा गया था। वहीं मुख्यातिथि पूर्व कुलपति डॉ. अरविंद कुमार पांडेय ने छात्र छात्राओं की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि कुलपति द्वारा गठित विविध मंचो द्वारा बच्चों को विविध क्षेत्रों में आगे आने का अवसर प्राप्त होगा।

उन्होंने कहा कि कालेजों के बच्चों को भी यहां के विभिन्न मंचों से जोड़ कर हम उनकी प्रतिभा को निखार सकते हैं। इसी तरह विशेष आमंत्रित अतिथि कला संस्कृति एवं युवा विभाग के राज्य परामर्शदातृ सदस्य उज्जवल कुमार ने कहा कि बिहार कोकिला शारदा सिन्हा जी बिहार की संस्कृति रही हैं। हमसभी उनके संगीत व कला के प्रति समर्पण को भूल नही सकते हैं।

मंच के अध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार झा ने सभी का स्वागत करते हुए इसकी महत्ता पर प्रकाश डाला। कला रंजिनी मंच का संयोजन डॉ. साधना शर्मा एवं सह- संयोजन डॉ. रीतेश कुमार चतुर्वेदी ने किया।
इस कार्यक्रम में सृष्टि फाउंडेशन ने अपनी विशेष प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में रंग भर दिया। श्रुति सिंह, श्रेया मिश्रा, अवन्या भरद्वाज, आकृति , तृप्ति, प्रगति, शारदा और कृषा ने आकर्षक प्रस्तुतियां दीं।

वहीं, डॉ . ममता पाण्डेय, डा. माया, डॉ. मैथिली समेत अन्य प्रध्यापकों ने भी गीत एवं कविताएं सुनाई। कर्मचारी नेता डा. रवीन्द्र मिश्र ने शारदा सिन्हा जी की स्मृति में कविता सुनाई।

मंगलाचरण अपर्णा आकांक्षा और नटवर द्वारा किया गया। कुलगीत सावन, अपर्णा और विश्वमोहन ने प्रस्तुत किया। स्वागत गीत नेहा और आकांक्षा ने किया। विषय प्रवर्तन का कार्य डॉ. नवीन कुमार झा गाया। विश्वविद्यालय के छात्र- छात्राओं द्वारा विविध प्रस्तुतियां हुईं। डॉ. कामलेन्द्र चक्रपाणी, डॉ वीर सनातन, छात्रा प्रीति खंडेलवाल, महित कुमार एवं
मोनू रॉय का भरपूर सहयोग किया। ज्योति उपाध्याय, खुशबू, रूपेश, मीनू, राजदीप ठाकुर, रंजू, कृष्ण कुमार, रौशन, सत्या, केशव, सोमनाथ, दीपक, काजल, अञ्जलि, शारदा, रश्मि, पूजा कुमारी, रजनी कुमारी, सनफ़ुला, वैष्णवी, अंजलि, चंदा इत्यादि विश्वविद्यालय की छात्राओ के विविध प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया।

भूसंपदा पदाधिकारी डॉ. उमेश झा, जयनन्दन और सतीश शर्मा का भी सहयोग रहा। डॉ. शिवालोचन झा, प्रो. दयानाथ झा, डॉ. विनय मिश्र, डॉ. सुधीर कुमार झा, डॉ.प्रीति रानी समेत विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षक, कर्मचारी और छात्रगण मौके पर उपस्थित थे। मंच संचालन डॉ. साधना शर्मा द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रितेश कुमार चतुर्वेदी ने किया।