एक दिवसीय व्याख्यानमाला आयोजित

#MNN24X7 दरभंगा, उपनिषद की विद्या आध्यात्म की विद्या है और इस विद्या के बिना भारतीय संस्कृति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। उपनिषद हमें निष्काम कर्म करने की शिक्षा देती है जिसे पाकर व्यक्ति संसारिक जीवन जीते हुए इसके बंधन से मुक्त हो जाता है। सच कहें तो उपनिषद ही हमारी संस्कृति का मूल आधार है।

राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, पटना द्वारा ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से आयोजित एक दिवसीय व्याख्यानमाला कार्यक्रम में मुख्य वक्ता जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के संस्कृत विभाग के प्रध्यापक डा कृष्णमोहन पाण्डेय जी ने उक्त बातें कही। व्याख्यान का विषय था- उपनिषद् दर्शन की लोकोपकारिता।

वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डा मनोज कुमार ने कहा कि उपनिषद् पर आधारित जीवन जीने में ही जीवन की सार्थकता है। इसी क्रम में सारस्वत वक्ता तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रामप्रिय शर्मा ने कहा कि उपनिषद हमें सत्य मार्ग की ओर प्रेरित करता है। इतना ही नहीं, उपनिषद के महावाक्य समस्त संसार का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अनुसार समस्त कार्य अपने कारण में सदैव सत् रूप में विद्यमान रहता है।

कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के दर्शन विषय के अध्यापक तथा सहसंयोजक डा. शशिकान्त तिवारी शशिधर ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय की वरिष्ठ सहायक प्राचार्य तथा कार्यक्रम की संयोजिका डा ज्योत्स्ना ने कहा कि छात्र उपनिषद के कर्तव्य परायण शिक्षा को ग्रहण करें।

इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राचार्य प्रो. उमेश शर्मा, साहित्य विषय के अध्यापक डा शिवानन्द शुक्ल तथा समस्त विद्यार्थी कर्मचारी उपस्थित रहे। हथुआ राज ज्ञानोदय संस्कृत उपशास्त्री महाविद्यालय के वरिष्ठ प्रध्यापक डॉ अनिल कुमार झा ने भी कार्यक्रम की सफलता में महती भूमिका निभायी। वहीं, राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम को पूर्णता प्रदान की गयी।