#MNN@24X7 दरभंगा, क़ृषि विज्ञानं केंद्र जाले पर ग्रामीण युवक एवं युवतियों हेतु मछली पालन तालाब निर्माण एवं प्रबंधन विषय पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण का समापन हुआ।

प्रशिक्षण का आयोजन ग्रामीण युवक एवं युवतियों के लिए किया गया जिसमे उनको तालाब निर्माण कि विधियों कि जानकारी दी गई, जिसमे विशेष रूप से तालाब कि लम्बाई चौडाई, ढलान बांध कि चौडाई जैसे कई प्रमुख महत्वपूर्ण गुरु सिखाए गए।

इसके साथ ही तालाब में संचय हेतु उचित आकर के बीज का चयन, मछली कि उचित प्रजाति का चयन एवं उसके रखरखाव कि भी जानकारी दी गई।

डॉ.शर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान सैधान्तिक के साथ साथ प्रायोगिक कक्षाओं का भी आयोजन किया गया। जिसमे प्रशिक्षणर्थियों के भागीदारी सुनिश्चिट कि गई।

डॉ.शर्मा ने बताया कि उचित प्रबंधन के माध्यम से मछली पालक बहुत सरलता से अपनी आय में वृद्धि कर सकता है।

प्रशिक्षुओ को प्रायोगिक कक्षाओं के माध्यम से तालाब के प्रबंधन के बारे में बताया गया जिसमे मात्स्यकी वैज्ञानिक डॉ.पवन कुमार शर्मा ने बताया कि किस तरह से अंगुलीका आकर कि मछली कि पहचान कर के संचय करना चाहिए।

डॉ.शर्मा ने बताया कि तालाब में मछली पकड़ते समय एक निश्चित आकर के जल का प्रयोग करना चाहिए जिससे छोटे आकर कि मछलीया ना फंसे एवं इछित आकर कि मछलीयों कि हार्वेस्टिंग कि जा सके।

डॉ.शर्मा ने बताया कि तालाब प्रबंधन में मच्छलियो को दिए जाने वाले भोजन कि सही गणना एक महत्वपूर्ण पहलु है इसके लिए समय समय पर मच्छलियो के भार का आकलन करना जरुरी है जिससे कुल बायोमास का 2-3% गणना करके मछलीयों के लिए भोजन उपलब्ध करवाया जा सके।

इस गणना के लिए मछली पालक घुमुवा जल का प्रयोग करके सैंपल एकत्रित कर सकते है। कल प्रशिक्षुओ को घूमउवा जल भी चलना सिखाया गया।