जल ही जीवन है, जिसका सदुपयोग एवं संरक्षण करना हम सबका परम पुनीत कर्तव्य- डॉ वसुंधरा रानी*

मानव जीवन का अनमोल उपहार जल को निःस्वार्थ भाव से पिलाना जनकल्याण एवं सामाजिक सेवा का प्रतीक- डॉ चौरसिया।

‘भारत को जानो’, ‘समूह राष्ट्रगान प्रतियोगिता’ तथा ‘गुरु वंदन- छात्र अभिनंदन’ भारत विकास परिषद् का प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम- अनिल कुमार।

#MNN24X7 दरभंगा के दिल्ली मोड़ रोड स्थित होटल गोविन्दा पैलेस के ठीक सामने ”मां जानकी पिता सीताराम नायक सेवा संस्थान,” दरभंगा तथा ‘भारत विकास परिषद् , भारती-मंडन शाखा, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में शुद्ध पेयजल हेतु “प्याऊ” की व्यवस्था की गई है, जहां कोई भी जरूरतमंद कामगार, यात्री, मजदूर, गरीब, दलित, पिछड़ा, महिला, बाल एवं वृद्ध आदि व्यक्ति नि:शुल्क जल-पी सकेंगे। लाल फीता काटकर इस ‘प्याऊ’ का उद्घाटन करते हुए डीएमसीएच की डॉक्टर एवं संस्थान की निर्देशिका डॉ वसुंधरा रानी ने कहा कि जल की कमी से अनेक स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। यह हमारे शरीर से अनेक विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। इसके बिना कोई प्राणी जीवित नहीं रह सकता है। स्वच्छ जल पीने से ही हमारा शरीर स्वस्थ रह सकता है। दूषित पानी पीने से हैजा, डायरिया, टायफाइड आदि रोग उत्पन्न होते हैं। अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान के अध्यक्ष डॉ जगत नारायण नायक ने संस्थान के उद्देश्यों एवं कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम लोग प्रतिवर्ष गरीबों एवं जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरण, शादी- ब्याह, प्याऊ की व्यवस्था तथा निर्धन एवं मेधावी बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था आदि सामाजिक सरोकार के कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि हमलोग ‘वासु जगत इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड’ के द्वारा दरभंगा के विभिन्न क्षेत्रों में विकसित जमीन एवं आवासीय मकान जमीन सहित कम दामों पर उपलब्ध कराते हैं।
विषय प्रवर्तक के रूप में परिषद् के अध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि 12 जनवरी, 1963 को भारत विकास परिषद् की दिल्ली में स्थापना हुई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य प्रबुद्ध एवं समृद्ध लोगों द्वारा गरीबों, दलितों, पिछड़ों एवं अनपढ़ लोगों को मदद कर आगे बढ़ाना है। परिषद् ‘भारत को जानो’ तथा ‘समूह गान प्रतियोगिता’ एवं ‘गुरु वंदन- छात्र अभिनंदन’ आदि कार्यक्रम छात्रों के माध्यम से प्रतिवर्ष करता है। दरभंगा में 1984 से परिषद् संचालित है, जिसके द्वारा मानव अंगों- डोनेशन शिक्षित-अशिक्षित पत्र भरवाया जाता है, ताकि समय पर जरूरतमंदों की सहायता की जा सके। मुख्य अतिथि के रूप में मिथिला विश्वविद्यालय के एनएसएस समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया ने जल के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अमृत तुल्य जल हमारे जीवन का अनमोल उपहार है। हमारे धर्मों में जल पिलाना पुण्य का कार्य माना जाता है। जल-सेवा मानव कल्याण एवं सामाजिक सेवा का प्रतीक है। बिना किसी स्वार्थ के जल पिलाना मानवता की सच्ची सेवा है। सार्वजनिक रूप से ‘प्याऊ’ की व्यवस्था होने से अमीर-गरीब, जात-पात, शिक्षित-अशिक्षित तथा धर्म-वर्ग आदि का भेद मिटता है।
मुख्य वक्ता के रूप में एमएलएसएम कॉलेज के रसायन विभाग की प्राध्यापिका एवं परिषद् की महिला संयोजिका डॉ अंजू कुमारी ने कहा कि हमारे शरीर का लगभग 70% भाग जल से बना है। जल पाचन क्रिया, रक्त संचार तथा तापमान नियंत्रण जैसे अनेक कार्यों में सहायता करता है। हर व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम 2 से 3 लीटर शुद्ध पानी की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि प्याऊ की व्यवस्था एक सकारात्मक कदम है जो समाज में जनसेवा, सहानुभूति और भाईचारा का जीवन्त उदाहरण है। इस अवसर पर इंजीनियर सुधीर पूर्वे, रंजीत सिंह, प्रकाश झा, लक्ष्मण महतो, भुनेश झा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। “जीवन में जल की महत्ता” पर संगोष्ठी का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से,जबकि समापन राष्ट्रगान से हुआ। कार्यक्रम का संचालन महाराजा रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक इंजीनियर सत्य प्रकाश नायक ने, जबकि धन्यवाद ज्ञापन भारत विकास परिषद् , भारती-मंडन शाखा के संयुक्त सचिव राजकुमार गणेशन ने किया