सृष्टि के प्रारंभ से विद्यमान योग हमें माया-मोह छोड़कर ईश्वर से सीधे जोड़ने में सक्षम- प्रो एचके सिंह।

बचपन से ही योग अपनाने से हमारी न केवल अधिक सक्रियता, बल्कि रोग मुक्त जीवन जीना संभव- कुलसचिव।

#MNN24X7 दरभंगा, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी के आदेश से राष्ट्रीय सेवा योजना कोषांग के द्वारा “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस” के अवसर पर विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन में योगाभ्यास एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो एचके सिंह, कुलसचिव डॉ दिव्या रानी हंसदा, डीएसडब्ल्यू प्रो अशोक कुमार मेहता, एमके कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ मो रहमतुल्लाह, विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो मुनेश्वर यादव, परीक्षा नियंत्रक प्रो विनोद कुमार ओझा, उप परीक्षा नियंत्रक डॉ इंसान अली, सीसीडीसी डॉ गजेन्द्र प्रसाद, भू संपदा पदाधिकारी डॉ कामेश्वर पासवान, खेल पदाधिकारी डॉ अमृत कुमार झा, कार्यक्रम संयोजक डॉ आर एन चौरसिया, एनएसएस पदाधिकारियों में डॉ सोनू राम शंकर, डॉ अविनाश कुमार, डॉ रीता कुमारी, प्रो शिव कुमार राय, योग प्रशिक्षक बीरेन्द्र कुमार सिंह, सह प्रशिक्षिका सिद्धि झा, अमित कुमार झा, अक्षय कुमार झा, प्रशांत कुमार झा, मनजीत कुमार चौधरी सहित 100 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।

उद्घाटन संबोधन में प्रो हरे कृष्ण सिंह ने कहा कि योगाभ्यास एवं सक्रियता से हमारा शरीर स्वस्थ एवं मन प्रसन्न रहता है। नियमित योग से रोग दूर होता है और तभी हम सांसारिक वस्तुओं का समुचित भोग भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि सृष्टि के प्रारंभ से ही योग विद्यमान है जो हमें माया- मोह आदि छोड़कर ईश्वर से सीधे जोड़ने में सक्षम है। नन्हा-सा बच्चा भी स्वत: ही हाथ- पैर चलाना, पलटना और फिर चलना प्रारंभ कर देता है। योग भारत की खोज है जो दुनिया को भारत की अनुपम देन है। कुलसचिव डॉ दिव्या रानी हांसदा ने कहा कि बचपन से ही योग अपनाने से हम न केवल अधिक सक्रिय, बल्कि हमारा रोग मुक्त जीवन जीना भी संभव है। योग ही रोग मुक्त जीवन का मूल मंत्र है। उन्होंने बताया कि योग एक प्राकृतिक एवं प्रभावी तरीका है जो तनाव, चिंता आदि को कम करने में मदद करता है। इसके निरंतर अभ्यास से जीवन में शांति और संतुष्टि मिलती है।

स्वागत एवं विषय प्रवेश कराते हुए एनएसएस के समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि योग बेहतरीन जीवन जीने की एक कला है, जिससे सामाजिक एकता को भी बढ़ावा मिलता है। योग हमें स्वस्थ जीवन जीने, मानसिक शांति प्राप्त करने तथा आत्म जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। उन्होंने बताया कि आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की 11वीं वर्षगांठ है, जिसका थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग” रखा गया है। वहीं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए पीजी एनएसएस के पदाधिकारी डॉ सोनू राम शंकर ने योग की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि योग एक अति प्राचीन भारतीय विद्या है, जिसके माध्यम से स्वस्थ एवं मूल्य आधारित समाज का निर्माण किया जा सकता है। इससे काम, क्रोध, लोभ एवं मोह आदि पर नियंत्रण होता है।
समारोह में योग प्रशिक्षक बीरेन्द्र कुमार सिंह एवं सिद्धि झा ने ओम उच्चारण, ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, कटी चक्रासन, वज्रासन, तितली आसन, शवासन आदि आसनों तथा भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, कुंभक-रेचक आदि प्राणायामों के अभ्यास का सही तरीका तथा उनके लाभों को विस्तार से बताया। उन्होंने सूर्यास्त से पहले ही भोजन करने को सर्वाधिक लाभप्रद बताते हुए कहा कि हमें रात्रि 8 के बाद भोजन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। योग में श्वसन क्रिया का काफी महत्व होता है। समारोह का प्रारंभ शांति मंत्र पाठ से, जबकि समापन राष्ट्रगान से हुआ।