स्वामी विवेकानंद की शिक्षा एवं प्रेरणा से ही भारत विकसित राष्ट्र बनेगा -प्रोफेसर इफ्तेखार अहमद

#MNN@24X7 दरभंगा मिल्लत कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर एक संगोष्ठी तथा भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रोफेसर इफ्तेखार अहमद ने की। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद के आदर्श, उनकी प्रेरणा तथा शिक्षा हम तमाम लोगों का मार्गदर्शन करते हैं। इन्हीं आदर्शों के बल पर भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनेने के सपने को साकार कर पाएगा।

उन्होंने स्वामी जी के बताए सच्चाई, सच्चरित्रता तथा नैतिकता के बल पर जीवन में आगे बढ़ने की बात पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहते हुए ईमानदारी से कार्य करने की जरूरत है।

भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर महेश चंद्र मिश्रा ने स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन, उनके विचारों, सीख तथा आदर्शों का विस्तार से वर्णन करते हुए छात्र-छात्राओं तथा युवाओं से जीवन में बड़ी सोच के साथ आगे बढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि उनकी प्रेरणा से भारत निश्चय ही विश्व गुरु और विश्व शक्ति बनेगा।

वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉक्टर मुस्तफा कमाल अंसारी ने छात्र-छात्राओं एवं युवाओं से स्वामी विवेकानंद के बताए मार्ग का अनुसरण करने तथा कड़ी मेहनत, सच्चाई एवं ईमानदारी से जीवन मे आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने स्वामी जी की शिक्षा से प्रेरणा लेने की बात कही।

कार्यक्रम पदाधिकारी डॉक्टर सोनी शर्मा ने लोगों से स्वामी जी के त्याग एवं आदर्शों को अपनाने तथा राष्ट्र की तरक्की में भागीदार होने की बात पर बल दिया।

भाषण प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में मैथिली विभागाध्यक्ष डॉक्टर सुनीता झा, उर्दू विभाग के डॉक्टर शाहनवाज आलम तथा हिंदी विभागाध्यक्ष डॉक्टर मुन्ना शाह उपस्थित थे। प्रतियोगिता में उजमा रहमान को प्रथम स्थान, नूरुल कमर को द्वितीय स्थान तथा हुरु निशा को तृतीय स्थान प्राप्त हुए।

मंच संचालन अंग्रेजी विभाग की डॉक्टर कामिनी कुमारी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर सोनी शर्मा ने किया।

कार्यक्रम में डॉ सियाराम प्रसाद, डॉक्टर सोमा रानी कोले, डॉ मुदस्सिर हसन भट, डॉ जमशेद आलम, डॉ संजील, डॉ विजय शंकर पंडित, डाॅ. उजमा नाज, डॉ शगुफ्ता निगार आदि तथा मो.आकिब, मो.नासिर, सल्तनत अंजुमन, मो. समुल्लाह, मेहर सिद्दीकी, जिना फातिमा इत्यादि स्वयंसेवक साथ ही अधिक से अधिक संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।