#MNN@24X7 दरभंगा, विश्वविद्यालय मैथिली विभाग द्वारा आधुनिक मैथिली साहित्य के जनक कवीश्वर चन्दा झा की 184वीं जयंती विभागाध्यक्ष प्रो० दमन कुमार झा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। कवि जनक चन्दा झा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तृत रूप से विचार रखते हुए प्रो झा ने कहा कि आधुनिक मैथिली साहित्य को देखने की दृष्टि सर्वप्रथम चंदा झा ने दी।
कवीश्वर झा ने जो साहित्य सृजन की नई दृष्टि से साहित्यिक रचनाएं की वे मैथिली – साहित्य की अमूल्य निधि हैं। मैथिली रामायण की रचना कर उन्होंने राम -काव्य की परम्परा का श्रीगणेश कर मैथिली भाषा साहित्य को कालजयी ग्रंथ से अलंकृत कर दिया।वहीं अनुवाद कार्य से एक नयी विधा का जन्म का श्रेय भी उन्हें है।
बतौर मुख्य वक्ता डॉ सुनीता कुमारी ने चन्दा झा को स्मरण करते हुए कहा कि चन्दा झा मैथिली गद्य साहित्य के मर्मज्ञ थे।वे केवल उत्कर्ष के कवि ही नहीं हैं अपितु मैथिली गद्य को विशिष्ट ऊंचाई पर स्थापित करने वाले प्रमुख हस्ताक्षर हैं।
कवि चन्दा झा ने पीढ़ी -दर- पीढ़ी चली आ रही परंपरा को तोड़ने का साहस किया। महाकवि विद्यापति काल से जो काव्य परम्परा स्थापित हुई थी उसे एक नया मोड़ प्रदान करने का श्रेय चंदा झा को है । मिथिला में अनेकों कवि और लेखक हुए, लेकिन राम विषयक रचना नहीं के बराबर हुआ। इनके मिथिला भाषा रामायण में तात्कालिक समाज से लेकर काव्य में रस,अलंकार, छन्द ,लोकोक्ति, आदि देखे जा सकते हैं ।
विभागीय शोधार्थी प्रियंका कुमारी ने कवि झा को मिथिला के समृद्ध अतीत के प्रेमानुरागी के साथ ही तदयुगीन परम्परावाद, सामाजिक विषमता तथा कुरुपता का भी व्यंजक स्वीकारा जिसका प्रतिबिम्ब उनकी रचनाओं में देखा जा सकता है । प्रवीण कुमार ने मिथिला भाषा रामायण के अंतर्गत लोकोक्ति और मैथिल के समाज को करीब से देखने का प्रयास किया ।
चन्दा झा के काव्य की प्रासंगिकता पर शिवम कुमार झा ने अपनी बात रखी।वहीं नेहा कुमारी ने महेशवाणी और नचारी में वर्णित मिथिला की संस्कृति से अवगत कराया। मिथलेश कुमार चौधरी ने चन्दा झा के द्वारा लिखे गये पत्र को पढ़ा, जबकि राहुल राज गुप्ता और शालिनी कुमारी ने उनके प्रमुख कृतियों पर अपनी बात रखी । चन्दा झाक उपाधि और नाम के प्रसंग का उल्लेख अम्बालिका कुमारी ने किया ।
इस अवसर पर शोधार्थी पवन कुमार, मनोज कुमार, दीपेश कुमार, रौशन कुमार तथा पीजी प्रथम सत्र के छात्र – छात्राक एवं विभागीय सहकर्मी उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रियंका कुमारी ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ अभिलाषा कुमारी ने किया।