#MNN24X7 दरभंगा कृषि विज्ञान केन्द्र जाले के वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर की अध्यक्षता में आज कृषि अभियंत्रण विशेषज्ञ ई. निधि कुमारी ने सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली एवं इसकी मरम्मत एवं रखरखाव विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया। जिसमें की ई. निधि ने बताया कि इस प्रणाली को अपनाकर खेती में उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है और साथ में खरपतवारों और बीमारियों से फसलों को बचाया जा सकता है।यह प्रणाली उबड़-खाबड़ ज़मीन पर भी काम करती है।
उन्होंने कहा कि सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से सिंचाई में 40-60% पानी की बचत होती है साथ ही उत्पादकता में 30-40% वृद्धि होती है एवं उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर होती है, मज़दूरी खर्च कम होता है,रोगों का प्रकोप भी कम होता है। सिंचाई के पानी में घुलनशील उर्वरकों का इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है। यह हर तरह की मिट्टी के लिए उपयुक्त है एवं यह ढलान वाली या अनियमित आकार वाली ज़मीन की सिंचाई भी कर सकती है। इस तकनीक में वाष्पीकरण की प्रक्रिया भी कम होती है, जिससे खरपतवारों की वृद्धि कम होती है।
सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे कि ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई, सेंटर पिवोट्स, माइक्रो स्प्रिंकलर । ड्रिप सिंचाई प्रणाली को बूंद बूंद सिंचाई प्रणाली की सिंचाई क्षमता 90 से 95 % तक होती एवं फव्वारा विधि की 80 से 85% होती है जबकि सतही सिंचाई की क्षमता 60 से 65% होती है। इस पद्धति से बागबानी फसलों की सिंचाई एवं संरक्षित खेती के तहत् होने वाले फसलों की खेती की जा सकती है।भारत सरकार ने सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत किसानों को अनुदान भी उपलब्ध कराया जाता है। आने वाले चार दिनों में कृषकों को इसकी विस्तृत रूप से जानकारी दी जाएगी एवं इसके मरम्मत एवं रखरखाव विषय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इस कार्यक्रम में कुल 31 कृषकों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में केंद्र के उद्यानिकी विशेषज्ञ, डॉ प्रदीप कुमार विश्वकर्मा एवं गृह विज्ञान विशेषज्ञ, डॉ पूजा कुमारी भी उपस्थित थे।