आंतरिक न्यायाधिकरण जरूरी : कुलसचिव

पदाधिकारियों की बैठक में मिले कई टास्क

महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर हुआ विचार-विमर्श

#MNN@24X7 दरभंगा, संस्कृत विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो0 लक्ष्मी निवास पांडेय की अध्यक्षता में गुरुवार को पदाधिकारियों की विशेष बैठक आयोजित की गई। इसमें खासकर परीक्षा, वित्त, शैक्षणिक गतिविधियों, प्रशासनिक स्तर समेत अन्य चुनिंदा विषयों पर आपस मे खुलकर विचार विमर्श हुआ।

पदाधिकारियों ने सुधारात्मक व विकासात्मक कार्यों को कुलपति के समक्ष रखा जिस पर उन्होंने मार्गनिर्देशन करते हुए विधिवत पूरा करने का टास्क दिया। इसी क्रम में कुलपति प्रो0 पांडेय ने कहा कि जिस रफ्तार से वे कार्यों का निष्पादन करना चाहते थे वह विभिन्न कारणों से नहीं हो सका। हमलोग आत्मविश्लेषण करें और समन्वय स्थापित कर कार्य करें।

उन्होंने कहा कि हमलोगों के लिए खुशी की बात है कि नई शिक्ष नीति में भारतीय परम्पराओं को विशेष जगह दी गयी है और ये परम्पराएं बिना संस्कृत के पूरी हो ही नही सकती हैं। ऐसे में संस्कृत की महत्ता एक बार फिर बढ़ गयी है। इसका भी शैक्षणिक लाभ हमें लेना है।

उन्होंने कहा कि वेदांत दर्शन एवं बौद्ध दर्शन पर भी कार्यक्रम किया जाना है। छात्रावास को भी व्यवस्थित करना है तथा छात्रवृत्ति के लिए भी हमसभी को प्रयास करने की जरूरत है। पूर्ववर्ती छात्रों का सम्मेलन भी कराना है। इसके लिए डीन डॉ शिवलोचन झा एवं सूचना वैज्ञानिक डॉ नरोत्तम मिश्र को क्रियान्वयन का भार दिया गया ।

वहीं कुलपति ने कहा कि तबादला, अनुकम्पा, प्रोन्नति समेत अन्य जरूरी कार्यों को भी जल्द सम्पादित करना है। इसी क्रम में कालेजों की विवादित या अतिक्रमित जमीन समेत अन्य समस्याओं का हल निकालने पर विचार किया गया।

उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकान्त ने बताया कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भी विश्वविद्यालय काम करेगा। इसके लिए पर्यटन विभाग से सम्पर्क स्थापित कर आगे की योजना बनाने पर विचार हुआ। कुलपति ने कहा कि नए पाठ्यक्रम व नए पद सृजन के लिए भी काम करना होगा। नए भवन को भी आवंटित करना है। कम्प्यूटर लैब व स्मार्ट क्लासेज को भी स्थापित करना है और मुख्यालय में सीसीटीवी को भी लगाना है।

इसी क्रम में कुलसचिव प्रो0 ब्रजेशपति त्रिपाठी ने कहा कि कार्यो में आ रहे व्यवधान का मूल कारण न्यायालय में बढ़ती वादों की संख्या है। प्रत्येक दिन-सप्ताह उन्हें अदालत जाना पड़ता है। ऐसे में अन्य विभागीय कार्य प्रभावित होते हैं। ससमय संचिकाओं का निष्पादन भी नही हो पाता है। इसके निदान के लिए उन्होंने आंतरिक न्यायाधिकरण स्थापित करने की वकालत की। उन्होंने तर्क दिया कि न्यायाधिकरण के गठन हो जाने पर आपसी तालमेल से केस मुकदमे को कम किया जाना आसान हो जाएगा और कानूनी मामलों को देखने मे भी सहूलियत होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकांश कम्प्यूटर आउटडेटेड हो चुके हैं। ऐसे में कायदे से कार्य नही हो पा रहा है। उन्होंने खुशी जताई कि अपने विश्वविद्यालय में करीब 30 फीसदी छात्र अल्पसंख्यक वर्ग के हैं।

वहीं, छात्र कल्याण अध्यक्ष डा शिवलोचन झा ने कहा कि स्टेशनरी सामानों की किल्लत से कार्य प्रभावित हो रहे हैं। शास्त्री का सत्र भी प्रभावित है।
नामांकन व परीक्षा के सम्बंध में भी उन्होंने वस्तु स्थिति को रखा। इसी क्रम में तय हुआ कि डीन डॉ झा, परीक्षा नियंत्रक डॉ मुकेश झा एवं सीसीडीसी डॉ दिनेश झा कल ही यानी शुक्रवार को इस विषय पर दोपहर बैठक कर निदान निकालने का प्रयास करेंगे।

वहीं वित्त परामर्शी इंद्र कुमार एवं वित्त पदाधिकारी जानकी रमन निधि ने बजट निर्माण समेत अन्य वित्तीय मामलों पर अपना पक्ष रखा। भूसंपदा पदाधिकारी डॉ उमेश झा ने भी अपनी समस्याओं को रखा। उल्लेखनीय है कि पूरी बैठक में आगामी कार्य योजनाओं पर फोकस करते हुए विश्वविद्यालय को आगे ले जाने पर विशेष रूप से विचार किया गया।

बैठक में कुलपति प्रो0 पांडेय, डॉ शिवलोचन झा,प्रो0 ब्रजेशपति त्रिपाठी, तेजनारायण झा, डॉ मुकेश कुमार झा, डॉ नरोत्तम मिश्रा, डॉ उमेश झा, डॉ दीनानाथ साह, डॉ दिनेश झा, डॉ कृष्णानन्द मिश्र, डॉ पवन कुमार झा, प्रो0 पुरेन्द्र बारीक, इंद्र कुमार, जानकी रमन निधि मुख्य रूप से उपस्थित थे।