बच्चे का बचपन छिन गया है

#MNN@24X7 दरभंगा, बच्चे मोबाइल से चिपके रहते हैं। वे पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैँ। इसके लिए बच्चों को दोष देना ठीक नहीं। ये बात कही उत्तराखंड से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी के संपादक उदय किरौला ने। हिंदी बाल साहित्य शोध संस्थान बनौली द्वारा स्नेह अगेही शिक्षण संस्थान शुभंकरपुर में आयोजित 8 वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बतौर उन्होंने कहा कि एक साहित्यकार, शिक्षक व अभिभावक के रुप में हम बड़े लोग पुस्तक पढ़ेंगे, पुस्तक खरीदकर घर लाएंगे तो बच्चे जरूर पुस्तक की ओर आकर्षित होंगे।

उन्होंने कहा कि शहरी करण, सयुंक्त परिवारों के विघटन व एकल परिवारों के कारण बच्चे
दादा व दादी से मिलने वाले प्राकृतिक प्यार से दूर होते जा रहे हैं। स्कूल के भारी बस्ते, ट्यूशन संस्कृति व होमवर्क के कारण बच्चे के पास खेलने का तक समय नहीं है। बच्चे का बचपन छिप गया है।

सी एम साइंश कालेज दरभंगा के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ दिनेश प्रसाद शाह ने कहा कि बच्चों तक बालसाहित्य पहुंचाना अपने आप में बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए साहित्य लिखते समय साहित्यकारों को बाल मनोवैज्ञानिक को समझते हुए बच्चा बनकर बच्चों के लिए लिखना होगा।

प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए हिंदी बाल साहित्य शोध संस्थान के बनौली के अध्यक्ष डॉ सतीश चंद्र भगत ने कहा कि बच्चों में प्रतिभा होती है। उन्हें अवसर दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बालसाहित्य को प्रोत्साहित करने व संरक्षित करने के लिए उनकी संस्था विगत 8 वर्ष से कार्य कर रही है। अभी तक संस्था ने भारत के विभिन्न राज्यों के साहित्यकारों को सम्मानित किया है। संस्था ने कई बाल कविता के संकलन भी तैयार किए हैं।

समारोह में बालप्रहरी संपादक उदय किरौला(उत्तराखंड), डॉवंदना मिश्र(म. प्र.), डॉ अभिषेक कुमार( बेगूसराय), डॉ. वेदप्रकाश अग्निहोत्री (उतर प्रदेश), डॉ नरेशचंद्र त्रिपाठी (लखनऊ, उ.प्र.), साधुशरण भगत(दरभंगा), कविता श्रीवास्तव (सिमरी), डॉ रीता सिंह पटना, बिहार), डॉ विद्या चौधरी(पटना) आदि साहित्यकारों को प्रतीक चिह्न, अंग वस्त्र व बालसाहित्य भेंट किया गया।

समारोह में विभिन्न विद्यालयों के पचास से अधिक बाल कवियो में खुशी चौरसिया, खुशबू कुमारी, श्रद्धा सुरभि, संप्रज्ञा सुरभि, श्रेया पाण्डे, अंकुश पासवान, अमन कुमार,सान्या एवं शान्विका ( वैशाली) गिरिश चौरसिया, सचिन कुमार, राजा कुमार, राजनन्दनी, राजलक्ष्मी कुमारी, अनुप्रिया कुमारी, शान्वी, सिद्धि ठाकुर, दिव्यांश, अदिति, आराध्या, सूर्यवंश, आशी, अनाया, कुमारी निक्की, अविनाश कुमार, मोना कुमारी , सुरभी कुमारी, अमृता कुमारी, पुनीत श्रीवास्तव, स्पर्श कुमार, रौशनी कुमारी, रमण कुमार आदि ने कविता पाठ किया। प्रतिभागी सभी बच्चों को मैडल पहनाकर व बालसाहित्य देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर हिंदी बाल साहित्य शोध संस्थान बनौली द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय बाल काव्य संकलन’ पर्यावरण की करें सुरक्षा’, कविता श्रीवास्तव की पुस्तक ‘चिड़िया रानी’, सविता कुमारी द्वारा संपादित हस्तलिखित पत्रिका ‘सिमरी दर्पण’, डा. रीता सिंह की पुस्तक ‘बिहार के बाल साहित्यकार:एक अध्ययन’ सहित कई पुस्तकों का लोकार्पण किया गया।

समूचे समारोह का संचालन हिंदी बाल साहित्य शोध संस्थान के सचिव अमिताभ कुमार सिन्हा ने किया।

इस अवसर पर अखिलेश कुमार चौधरी, महाकांत प्रसाद, शंभु नारायण चौधरी, हीरालाल सहनी रीतु प्रज्ञा , आलोक कुमार, सूबेदार नंद किशोर साहु, अरविन्द कुमार, साहेब कुमार ठाकुर, अजीत कुमार, रीना कुमारी, आनंद कुमार सिन्हा, सुरूचि , डॉ रूपा सिन्हा, आशीष अकिंचन, विजय चौरसिया, कृष्ण मोहन भगत, प्रतिभा, आदित्य गोविन्दम् आदि उपस्थित होकर उत्साहवर्धन किया।
धन्यवाद ज्ञापन साहित्यकार महाकांत प्रसाद ने किया।