#MNN24X7 पतंजलि विश्वविद्यालय केर संस्थापक योग गुरू स्वामी रामदेव आ कुलपति आचार्य बालकृष्ण केर आग्रह पर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली केर द्वारा पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार म आयोजित 2025 वर्षीय 62वीं अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा 18 स 21 मार्च तक सम्पन्न कयल गेल। जाहि म बेनीपुर प्रखंड क्षेत्र क बेलौन गाँव वासी 15 वर्षीया सुप्रीता कुमारी राष्ट्रीय स्तर पर अक्षरश्लोकी स्पर्धा म रजत पदक आ अमरकोष कण्ठपाठ स्पर्धा म राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक केर रूप म दू-दू गोट (मेडल) प्राप्त कयलनि।
बिहार प्रान्त केर मार्गदर्शक, गुरू सहित सुप्रीता केर पिता डॉ० संतोष कुमार झा पूर्णिमा रामप्रताप संस्कृत महाविद्यालय, बैगनी केर सहायक आ संस्कृत प्रचार-प्रसार विस्तार मंच केर सह-संयोजक सेहो छथि। आ हुनक माई श्रीमती महाश्वेता ( ट्रिपल एम.ए.) बहादुरपुर अवस्थित उत्क्रमित माध्यमिक उच्च विद्यालय, कमरौली केर बी.पी.एस.सी. +2 हिन्दी शिक्षिका छथि।
संस्कृत कऽ राजभाषा केर दर्जा प्रदान करय बला देश क पहिल राज्य देवभूमि उत्तराखण्ड, मायानगरी, हरिद्वार केर धरती पर अवस्थित पतंजली विश्वविद्यालय केर संस्थापक योग गुरू स्वामी रामदेव, कुलपति आचार्य बालकृष्ण, हरिद्वार केर सांसद आऽ पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ० रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुकांता मजुमदार आदि कऽ उपस्थिति मऽ उत्तराखण्ड राज्य केर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी क आदि, मध्य आ अन्त म आगमन स भारत सरकार केर संस्कृत संवर्धन योजना केर तहत अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव संस्कृत शास्त्र महाकुम्भ केर 62वीं अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा क आयोजन कयल गेल।
एहि प्रतियोगिता म देश भरि केर 26 राज्य स चुनल गेल 719 प्रतिभागी आ देश भरि केर विभिन्न स्थान स 108 निर्णायक, 52 मार्गनिर्देशक क संग 79 विशिष्ट अतिथि सेहो मौजूद छलाह। एहि मे बिहार कऽ 13 टा छात्र सेहो अपन प्रतिभाक प्रदर्शन केयलनि। एहि संबंध म एहि साल 28-29 जनवरी कय कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा म राज्यस्तरीय प्रतियोगिता क आयोजन कयल गेल छल। जाहि म 15 वर्षीया सुप्रीता कुमारी आ हुनकर छोट बहिन 13 वर्षीया सर्वज्ञा कुमारी दू-दू विषय म आ 10 वर्षीय छोट भाई सर्वोत्तम कुमार झा एक विषय म, राष्ट्रीय स्तर क प्रतियोगिता केर लेल कुल 17 विषय म चयनित छात्र म स तीनू भाई-बहिन अपन प्रतिभा केर बल पर पांच विषय म चयनित भ राज्य स्तर पर झंडा फहरा दयलथि।
जाहि म सुप्रीता, सर्वज्ञा आ सर्वोत्तम अपन पैतृक निज आवास जगदम्ब सदनम्, जानकी नगर, नाका नं०-8, चूनाभठ्ठी, लक्ष्मीसागर, मुहल्ला मे रहि क सुप्रसिद्ध ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल लक्ष्मीसागर दरभंगा म अंग्रेजी माध्यम स पढ़ैत अपन पिता डॉ० संतोष कुमार झा केर सान्निध्य म रहि क गुरुकुल केर जकाँ अध्ययन करि पतंजलि विश्वविद्यालय, मायापुरी, हरिद्वार देवभूमि उत्तराखंड म आयोजित प्रतियोगिता म सुप्रीता देश भरि क प्रथम कक्षा स पी.एच.डी. कक्षा तक पढ़ैत छात्र क समेकित तरीका स पटकनी दैत, एतेक कम उम्र म पैंतीस साल बाद संपूर्ण मिथिलाञ्चल क्षेत्र केर संग संपूर्ण बिहार मे अपन बुत्ता पर बिहार क दू-दू टा पदक दिया क वर्षों-वर्ष क हेरायल गौरव पिछला चारि वर्ष स राष्ट्र स्तर पर लगातार विशिष्ट स्थान केर संग तीन पदक प्राप्त कय वापस लाबय केर कोशिश कय रहल छथि; एहि बेर सेहो भाई सर्वोत्तम आ बहिन सर्वज्ञा, मात्र दू-तीन अंकक कारण पदक सँ चूकि क ई सिद्ध कयलनि जे आइयो बिहार म स्थित मिथिलाक भूमि पर देव भाषा संस्कृत पल्लवित, पुष्पित, परिवर्धित आ संरक्षित अछि ।
विश्वविद्यालय केर संस्थापक योग गुरु बाबा रामदेव, कुलपति आचार्य बालकृष्ण आ निदेशक प्रो० साध्वी देवप्रिया, अभिभाविकाक रूप म सुप्रीता क साथ गेल हुनक माता श्रीमती महाश्वेता, बिहार प्रान्त क मार्गनिर्देर्शक, गुरू संग पिता डाॅ० संतोष कुमार झा आ मार्गदर्शक डॉ० त्रिलोक झा क मार्गव्यय,आवास सुविधा क अतिरिक्त 11-11 हजार नगद राशि, मार्गनिर्देशक केर प्रमाण पत्र आ पूरा बिहार-झारखंड स आयल सब 13 छात्र केर अपन ओर स 51-51 सौ रुपया, गंगाजल स भरि धातु केर कलश , पुस्तक, दू दर्जन सँ बेसी पतंजलि उत्पाद आ वस्त्र स सम्मानित कयल गेलनि।
बेनीपुर केर ई बेटी क ई पुरस्कार केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली केर कुलपति, प्रो० श्रीनिवास वरखेड़ी, निदेशक, कार्यक्रम केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, समन्वयक डॉ० मधुकेश्वर भट्ट, पतंजलि विश्वविद्यालय केर कुलपति आचार्य बालकृष्ण संयुक्त रूप स पदक, प्रमाणपत्र, स्मृति चिन्ह, नगद राशि केर साथ-साथ पारितोषिक द क प्रोत्साहित कयलनि ।
बेनीपुर प्रखंड केर पूरा क्षेत्र केर संग-संग संस्कृत भारती, संस्कृत संस्कृति विकास संस्थान, संस्कृत एजुकेशन मंच, संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा आ बिहार म स्थित संस्कृत महाविद्यालय केर अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी, संस्कृत केर अनुरागी छात्र-छात्रा सहित भाई-बहन क साथ-साथ ई बेटी के उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस करैत हिनक उज्जवल भविष्य केर कामना करी रहल छथिन।