#MNN@24X7 मिथिला विद्यापति के कारण भारत की सांस्कृतिक विरासत और मानवीय मूल्यों के संवाहक के रूप में कार्य कर रही है। भारत के उत्ष्कृटता में भी मिथिला का अहम योगदान है। यह बात सोमवार को 22वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के दूसरे दिन के कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए दरभंगा के सांसद डा गोपाल जी ठाकुर ने कहा।
उन्होंने कहा कि मैथिलीवासी अभी भी अपनी भाषा को जिंदा रखे हुए हैं, यह उनकी विशेषता है। मैथिली भाषा का उड़िया और बंगला के अस्तित्व बनाए रखने में भी खूब योगदान है। मैथिली शीघ्र शास्त्रीय भाषा का दर्जा हासिल करेगी। आज राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का खमियाजा भले मिथिला झेल रही हो, मिथिला क्षेत्र सबसे गरीबी का दंश झेल रहा हो। लेकिन केवल मखाना में एक करोड़ लोगों को रोजगार देने की क्षमता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मिथिला को जोड़ने का कार्य कार्य किया है। इसके लिए मैं पूर्व प्रधानमंत्री को नमन करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मिथिला के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं।
अपने संबोधन में उन्होंने मिथिला की धरोहर लिपि मिथिलाक्षर को दैनिक उपयोग लाने का आह्वान किया।
बिहार और खासकर मिथिला क्षेत्र का तेजी से विकास हो रहा है। केन्द्र और राज्य की डबल इंजन की सरकार में मिथिला लगातार प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। मूलभूत जरूरतें पूरी हो रही हैं। देश-दुनिया में प्रदेश की छवि बेहतर हुई है। विशेषकर सड़क व बिजली के क्षेत्र में काफी उन्नति हुआ है, लेकिन अभी भी समग्र विकास के लिए काफी काम किया जाना शेष है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में मिथिला सकारात्मक बदलाव के पथ पर अग्रसर है। सामाजिक चेतना का समुन्नत विकास हुआ है। लोगों की सोच बदली है। पिछड़ेपन की मानसिकता से लोग बाहर निकल चुके हैं। लोगों में आत्मविश्वास का जागरण हुआ है। यह सबसे बड़ी उपलब्धि है।
किसी क्षेत्र की प्रगति के लिए शिक्षा, चिकित्सा व रोजगार के अवसर के विकास का महत्वपूर्ण स्थान होता है। अभी तक इन क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुसार काम नहीं हो सका था। देश व प्रदेश का नेतृत्व कुशल, दृष्टिवान व विकास के प्रति समर्पित व्यक्तित्व के हाथों में है। इसलिए उम्मीद है कि इन क्षेत्रों में सुखद परिणाम जल्द ही सामने होगी।
उन्होंने कहा कि बदलते मिथिला का चतुर्दिक विकास कैसे हो, आजादी के बाद हमने क्या खोया? क्या पाया? इस विषय पर गंभीर परिचर्चा के आयोजन की जरूरत पर बल दिया।