#MNN@24X7 महाकुंभ नगर, पूरे विश्व का स्वागत करने के लिए तीर्थों के राजा तीर्थराज प्रयागराज तैयार हैं। संगम तट पर 13 जनवरी से विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ शुरू होने जा रहा है।महाकुंभ में कई नामी बाबाओं का जमावड़ा शुरू हो गया है।महाकुंभ शुरू होने से पहले अखाड़े में प्रवेश शुरू हो गया है और साधु-संत अपने-अपने आखाड़े में आने लगे हैं।महाकुंभ में नागा सन्यासी अपनी छावनियों में प्रवेश कर जप-तप और साधना में लीन हो गए हैं।इन्हीं संतों में से एक हैं महोबा के रहने वाले पयाहरी मौनी बाबा।मौनी बाबा का टेंट भी संगम तट पर लगा हुआ है।मौनी बाबा सिर्फ चाय पीते हैं और बुलेट से चलते हैं।इनके टेंट में साधुओं से ज्यादा संख्या छात्रों की है।इन्हें मौनी बाबा वाट्सएप के जरिए पढ़ाते हैं।मौनी बाबा बीते 41 साल से मौन हैं,लेकिन बच्चों को शिक्षा देना उनका मिशन है।
मौनी बाबा 41 सालों से मौन हैं और 40 सालों से कुछ खाया भी नहीं है। सिर्फ दूध की चाय पीते हैं।बाबा पिछले 41 सालों से अनवरत मौन व्रत धारण किए हैं। मौनी बाबा ने मौन व्रत धारण करने के साथ अन्न जल भी त्याग दिया था। मौनी बाबा न कुछ खाते हैं न कुछ पीते हैं सिर्फ चाय पर ज़िंदा हैं।दिन भर में 10 चाय पीते हैं।जब छात्रों की भीड़ उनके सामने बैठती है तो सारे सवालों के जवाब बाबा या तो लिख कर देते हैं या फिर अपने नोट्स वाट्सएप के जरिए उन्हें भेजते हैं और यही उनके पढ़ाने का भी तरीका है।पिछले 41 सालों से एक शब्द भी बाबा के मुंह से नहीं निकला,लेकिन न जाने कितने छात्रों को सिविल सर्विसेज और प्रदेश पीसीएस में सफलता दिला दी।
मौनी बाबा का नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है।मौनी बाबा उत्तर प्रदेश के बड़के जिले प्रतापगढ़ के चिलबिला में शिवशक्ति बजरंग धाम से आए हैं।मौनी बाबा आने वालों भक्तों को प्रसाद में भी चाय ही पिलाते हैं।मौनी बाबा को तेज रफ्तार बाइक चलाने का भी शौक है।हाईवे पर मौनी बाबा के बाइक की रफ्तार 100 से कम नहीं होती है। मौनी बाबा अपनी बाइक से 45 मिनट में प्रतापगढ़ से संगम नगरी में पहुंचे हैं।
बता दें कि मौनी बाबा शिक्षकों के परिवार से हैं। मौनी बाबा ने बायोलॉजी में बीएससी किया है।इनके पिता प्राचार्य थे,जिनकी मृत्यु के बाद इन्हें शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति भी मिली थी, लेकिन अब तक इनके हृदय में ईश्वर भक्ति की अलख जाग चुकी थी।धीरे-धीरे सांसारिकता से मोहभंग हो गया और संन्यास ले लिया।मौनी बाबा धर्म और आध्यात्म सेवा के लिए है। मौनी बाबा की बड़ी खूबी ये भी है कि वो सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को फ्री कोचिंग भी देते हैं।अब आप सोचेंगे कि मौन रहने वाले बाबा कोचिंग कैसे देते हैं तो वो लिखकर बताते हैं कि वाट्सएप के जरिए छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हैं और उनके लिए नोट्स भी बनाते हैं और उन्हें उपलब्ध कराते हैं।मौनी बाबा लिखकर बताते हैं कि हर साल उनके 2 से 3 छात्र सिविल सेवाओं में चयनित हो जाते हैं।
मौनी बाबा लिखकर बताते हैं कि मौन रहने से ऊर्जा का संचय होता है और उनकी ऊर्जा विश्व कल्याण के काम आती है। मौनी बाबा ने एक ग्रंथ भी लिखा है,इसका नाम धर्म कर्म मर्म सागर है।ग्रंथ में जन्म से मृत्यु तक, सोने से जागने तक प्रत्येक कार्य के शास्त्र सम्मत नियम हैं।मौनी बाबा की पुस्तक प्रकाशित होने के लिए गई है जो फरवरी तक प्रकाशित हो जाएगी।
साभार स्वराज्य सवेरा