#MNN24X7 समस्तीपुर से — विशेष संवाददाता, विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुका है, पर सियासी तापमान अभी ठंडा नहीं पड़ा। समस्तीपुर विधानसभा सीट पर अब भी लोगों की जुबान पर बस एक ही सवाल है — “किसके सिर सजेगा समस्तीपुर का ताज?”
मतदान के बाद से ही पूरे क्षेत्र में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। tea स्टॉल से लेकर चौक-चौराहों तक, हर जगह लोग नतीजों के अनुमान लगा रहे हैं। कुछ मतदाता सरकार के विकास कार्यों का हवाला देते दिखते हैं, तो कुछ कहते हैं — “अबकी बार बदलाव तय है।”
ग्रामीण इलाकों में किसान और मजदूर वर्ग अपनी रोज़मर्रा की मुश्किलों को याद करते हुए वोट की अहमियत पर चर्चा कर रहे हैं। वहीं, शहर के युवाओं के बीच रोजगार और शिक्षा के मुद्दे इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते दिखे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि समस्तीपुर में इस बार का मुकाबला त्रिकोणीय रहा है। जातीय समीकरणों के साथ-साथ प्रत्याशियों की व्यक्तिगत छवि ने भी मतदाताओं को बांटने का काम किया है।
एक ओर सत्ता पक्ष को उम्मीद है कि उसकी नीतियों और योजनाओं पर जनता ने भरोसा जताया होगा, तो दूसरी ओर विपक्ष का दावा है कि “इस बार जनता ने हिसाब बराबर कर दिया।”
हालांकि मतदान प्रतिशत और जानकारों की समीक्षा से यह साफ़ है कि मुकाबला बेहद करीबी है। समस्तीपुर के मतदाता अपने रुख़ को अभी पूरी तरह ज़ाहिर नहीं कर रहे हैं, पर जनता के तेवर बता रहे हैं कि नतीजों का फ़ैसला आख़िरी राउंड की गिनती तक टिका रह सकता है।
अब नज़रें टिकी हैं मतगणना के दिन पर — जब यह तय होगा कि “किसके सिर सजेगा समस्तीपुर विधानसभा का ताज।”
