संवाददाता – मैथिली न्यूज नेटवर्क

#MNN24X7 समस्तीपुर:महागठबंधन समर्थित भाकपा (माले) के जिला स्थायी समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि>“विकास का ढिंढोरा पीटने वाली नीतीश सरकार ने 20 वर्षों में नया कल-कारखाना लगाना तो दूर, अंग्रेजों के जमाने से चल रही समस्तीपुर की चीनी मिल और पेपर मिल की सुध तक नहीं ली।”


उन्होंने शुक्रवार को चीनी मिल चौक और आसपास के इलाकों में जनसंपर्क अभियान के दौरान मतदाताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही।

रोजगार का बड़ा जरिया हुआ करता था समस्तीपुर

सुरेंद्र सिंह ने कहा कि जब जिले की जनसंख्या कम थी, तब चीनी मिल, पेपर मिल और अन्य कारखाने हजारों परिवारों के रोज़गार का सहारा थे। इन मिलों से स्थानीय लोगों को घर के पास ही रोज़गार मिलता था। लेकिन सरकार की दूरदर्शी नीति के अभाव में ये मिलें बंद हो गईं और अब मजदूरों को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और हैदराबाद जैसे शहरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है।

चुनाव में वादे, सरकार में खामोशी

भाकपा (माले) नेता ने आरोप लगाया कि हर चुनाव में बंद पड़े उद्योगों को चालू करने का वादा किया जाता है,लेकिन सत्ता में आने के बाद सरकार इस पर चर्चा तक नहीं करती।उन्होंने कहा —

> “20 साल की एकछत्र नीतीश सरकार ने न तो नए उद्योग लगाए,न ही पुराने चालू किए। परिणामस्वरूप मिथिलांचल का प्रवेश द्वार कहलाने वाला समस्तीपुर अब ‘मजदूर सप्लाई जोन’ बनकर रह गया है।”

मिल की जमीन पर कब्जा, उद्योग की उम्मीद धुंधली

सुरेंद्र सिंह ने कहा कि बंद पड़ी मिलों की जमीन पर धीरे-धीरे अवैध कब्जा जमाया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की —

> “अगर चीनी मिल और पेपर मिल चालू नहीं हो सकती,तो उनकी जमीन पर नया उद्योग-धंधा लगाया जाए या व्यावसायिक उपयोग कर युवाओं को रोजगार का साधन दिया जाए।”

(मैथिली न्यूज नेटवर्क – समस्तीपुर ब्यूरो