“कड़वा सच” एक ऐसी कहानी है जिसमें एक कलाकार को और उसके जीवन के संघर्ष को दिखाया गया है। कलाकार मनोरंजन कर बड़ी मुश्किल से अपना जीवन यापन करता है लेकिन सुविधा के नाम पर उसके पास कोई साधन नहीं होता है फिर भी वह कला को आगे बढ़ाने के लिए अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए अपनी आखिरी सांस तक मेहनत करता रहता है और यह लड़ाई हार जाता है उसके बाद उसके इस संकल्प को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी उसकी पत्नी और उसकी बेटी अपने कंधों पर लेती है और फिर कुछ बदलाव के साथ कलाकार का जीवन आगे बढ़ता है। कुशल डेका के असमिया नाटक की कथा वस्तु को कलाकारों ने जीवंत कर यथार्थ चिंतन के लिए दर्शकों को विवश कर दिया। इस नाटक का हिन्दी अनुवाद रवि वर्मा ने किया है और दयाल कृष्ण नाथ ने इस नाटक का निर्देशन किया है। साथ ही इस प्रस्तुति में मंच पर दयाल कृष्ण नाथ, दक्षिणा नाथ, रवि रंजन, रवि वर्मा, निकिता कुमारी, जय कुमार भारती व अंजारउल हक है। इस प्रस्तुति के प्रकाश संयोजन वरुण कौर ने की है।
इस तरह अष्टदल सांस्कृतिक महोत्सवक का सफल समापन हुआ।